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समसमायिक
परिवर्तन और परिवर्तन शीलता
हमें राष्ट्रहित को सर्वोपरि रख कर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विकसित राष्टृ निर्माण हेतु उठाए जा रहे आवश्यक कदम के समर्थन में पुरजोर कार्य करने की जरूरत है ।
व्यवस्थापिका, कार्यपालिका , न्यायपालिका के साथ-साथ प्रशासनिक व गैर प्रशासनिक तथा विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के कार्य प्रणाली मे योजनाबद्ध परिवर्तन कर सुदृढ़ नेतृत्व के माध्यम से आर्थिक उन्नति, सामाजिक समरसता, और पर्यावरण संतुलन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य का भविष्य में निश्चित ही सुखद परिणाम प्राप्त होगा।
तकनीकी
हिन्दी कविता, छंद, ग़ज़ल
समसमायिक कविता: मुखौटा
उनके चेहरे पर
महीन मुख श्रृंगारक लेप सा,
भावों और विचार का
है अदृश्य मुखौटा
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हिन्दी कहानी
कहानी:कोख में बसेरा-सुधा वर्मा
कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखि गई कहानी ‘कोख में बसेरा’ सुप्रसिद्ध समाचार पत्र देशबंधु के छत्तीसगढ़ी अंक मड़ई की संपादिका श्रीमती सुधा वर्मा द्वारा लिखित है । यह कहानी एक सैनिक की मॉं और पत्नी की साहस की कहानी है ।
कहानी: मछुआरे की लड़की-डाॅ विनोद कुमार वर्मा
एक विकलांग लड़की के असाधारण पराक्रम की गाथा : सुप्रसिद्ध कथाकार व व्याकरणविद् डाॅ विनोद कुमार वर्मा की कलम से- ‘ मछुआरे की लड़की ‘ हिन्दी की राष्ट्रीय स्तर पर एक चर्चित कहानी है।
हिन्दी साहित्यिक आलेख
शोध आलेख-भरत वेद कृत ‘शिखंडी’ हिन्दी साहित्य का किन्नर केन्द्रित प्रथम नाटक
इसीलिए बीसवीं शताब्दी के आखिरी दशक में किन्नर केन्द्रित ‘ शिखंडी ‘ नाटक का भरत वेद द्वारा लेखन और मंचन भारतीय नाट्य इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा। इस कालखंड में शिखंडी नाटक के पाँच मंचन के प्रमाण मिलते हैं, जिसमें पहला मंचन 1996 में बिलासपुर में हुआ। शिखंडी नाटक के सारे मंचन अविभाजित मध्यप्रदेश में हुए।
छत्तीसगढ़ी कविता, छंद, ग़ज़ल
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-5. व्यास जी के असंतोष दूर होना
(तोमर छंद)
आसन सुग्हर बिछाय । नारदजी ल बइठाय
वेद व्यास धरत ध्यान । पूजय सब विधि विधान
आदर सत्कार बाद । शुरू करय अब संवाद
ब्रम्हा मानस सुत आप । तुहर ज्ञान हे अगाध
कहय व्यास हाथ जोड़ । आप शास्त्र म बेजोड़
अपन कुछ बात बताव । मोर संताप मिटाव
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-4. व्यासजी ल असंतोष होना
अध्याय-4.
व्यासजी ला असंतोष होना
(भव छंद)
द्वापर के बात हे । सूतजी बतात हे
सत्यवती वसु सुता । करत रहय जब बुता
आय पराशर तभे । ओला देखय जभे
करय पराषर दया । सत्यवती ले मया
छत्तीसगढ़ी कहानी
छत्तीसगढ़ी कहानी:रज्जू
मैनखे अपन उमर के अलग- अलग पड़ाव में उतार-चढ़ाव भरे जिनगी जीथे। सुख-दुख, दिन-रात, बारिश, जाड़, घाम, भूख-पियास सहत जीवन के रद्दा में सबे जीव ला रेंगे ला पड़थे। दुनिया के सबे परानी जीवन में सुख पाथे त कभू दुख के खाई में तको गिर परथे, फेर जेन सम्हल के रेंगे के कोशिश करथे ओकर सब्बेच सपना जरूर पूरा होथे।
छत्तीसगढ़ी साहित्यिक आलेख
छत्तीसगढ़ के लोक जीवन म कबीर
छत्तीसगढ़िया मनखे के नस नस म कबीर समाय हवय कइहँव त ये बात अतिशंयोक्ति नइ होही। जिहाँ छत्तीसगढ़ मा कबीरपंथ के लाखों अनुयायी हो उँहा कबीर के लोकप्रियता के अंदाजा आप अइसने लगा सकथव। कबीर के दोहा, साखी, सबद रमैनी, निर्गुण भजन, उलटबासी छत्तीसगढ़ म सैकड़ों बछर ले अनवरत प्रवाहित हे।