जलस्रोत बचाओ पानी बचाओ-
जलस्रोत बचाओ पानी बचाओ । जल समस्या एक यथार्थ और ज्वलंत समस्या है । इस समस्या के निदान के लिये कई प्रकार के उपाय और पहल किये जा रहे हैं किन्तु मैं सोचता हूँ घर में उपयोग किये जा रहे पानी से कुछ बूँद बचा लेने से इस समस्या का स्थायी निदान संभव नहीं है, इसके लिये हमें जल स्रोता का संरक्षण करना आवश्यक है । जल स्रोतों को अतिक्रमण मुक्त, गंदगी मुक्त करने की आवश्यकता है । इसलिये मैं कहना चाहता हूँ-”जल स्रोत बचाओ पानी बचाओ’ । इस विषय पर प्रस्तुत है राधिका छंद में एक कविता-
पानी जीवन आधार, जिंदगी पानी ।
पानी से सारी सृष्टि, सृष्टि का प्राणी ।।
पानी बिन जग बेकार, जीव ना बाचे ।
सब कोई ही जानते, बात है साचे ।।
शोर मचाते हर कोय, पानी बचाओ ।
धरा करे हाहाकार, हमें न सताओ ।।
फिर भी करते आदमी, रोज नादानी ।
शहर-शहर अरू हर गाँव, एकहि कहानी ।।
स्रोत बचाने से यहाँ, रहेगा पानी ।
कान खोल कर सुन बात, जो है सियानी ।।
अगर नदी-नालें बचे, तब बचे पानी ।
कुआँ-बावली तालाब, बचे गुणखानी।।
साथ निभाये भू-गर्भ, कबतलक सोचो ।
बैठे-बैठे ही यूँ आप, धरा न खरोचो ।।
बंजर ना होवे धरा, रूके ना धारा ।
स्रोत बचाओं जी स्रोत, तब लगे न्यारा ।।
-रमेश चौहान
जल संकट का कारण एवं उपाय: जलस्रोत
बहुत सुंदर गोठ हे गो निक लागिस।
अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर एक श्रेष्ठ कविता ।
बधाई!
सादर धन्यवाद आदरणीय