आज के दौर की कविताएं- आदमियत-विरेन्‍द्र पटेल

आज के दौर की कविताएं-आदमियत

-विरेन्‍द्र पटेल

आज के दौर की कविताएं-आदमियत
आज के दौर की कविताएं-आदमियत

आदमियत

न जाने कितने समय में,
निकल पाएगी,
इस गुफागुह में से
आदमियत,
न जाने कितने समय में,
निकल पाएगी,
इस मन में बसे,
आदमियत,
ख़ामोश थे सत्यधर्मी,
अपने सपनों को साकार करने,
महत्त्वाकांक्षी जीव,
अपने ही अंदर,
आदमियत को ।

दबाएं अंधेरे को,
बाहर चीर कर
निकलने की चीख,
और बेबशी को,
मुक्त कराने वाली,
संचित ज्ञानकोश की,
विचित्र शक्ति जो,
इस मौन आदमियत को।

आख़िर क्या है,
क्यों है, कब तक यूं ही,
दबे-दबे सी
कुंठा, ग्लानि, विभात्सना,
भर रहेगी इस
आदमियत में।।।
तलाश जारी है,
मेरे अंदर की
आदमियत को,
ख़ोज पूर्ण हो
इस पथ में,
आदमियत को।।।।

-वीरेन्द्र कुमार पटेल पिनाक*

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One thought on “आज के दौर की कविताएं- आदमियत-विरेन्‍द्र पटेल

  1. .बहुत सुंदर सार्थक संदेश निहित पंक्तियों के लिये हार्दिक बधाई

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