-आलेख महोत्सव-
आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर ‘सुरता: साहित्य की धरोहर’ आलेख महोत्सव का आयोजन कर रहा है, जिसके अंतर्गत यहां राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रियहित, राष्ट्र की संस्कृति संबंधी 75 आलेख प्रकाशित किए जाएंगे । इस आयोजन के इस कड़ी में प्रस्तुत है श्रीमती शोभ रानी तिवारी द्वारा लिखित आलेख ‘राष्ट्रीय कर्तव्य ही राष्ट्रभक्ति है।’
आलेख महोत्सव: 3.राष्ट्रीय एकता के बाधक तत्व-मनोज श्रीवास्तव
राष्ट्रीय कर्तव्य ही राष्ट्रभक्ति है
-शोभा रानी तिवारी
राष्ट्र एक ऐसा शब्द है जिसमें नागरिक का संपूर्ण अस्तित्व समाहित होता है । अपने देश से प्रेम करना और सदा उनका कल्याण सोचना राष्ट्रभक्ति कहलाता है। व्यक्ति सर्वप्रथम सामाजिक , पारिवारिक प्राणी ना होकर राष्ट्रीय नागरिक होता है । उसका प्रथम कर्तव्य अपने राष्ट्र के प्रति होता है। अतः हम सभी को अपने राष्ट्र धर्म का पालन करना चाहिए। सबसे पहले हमें ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि हम वह हमें भारत की महान भूमि का एक हिस्सा बनाया । भारत भूमि सर्वप्रथम मानव इतिहास की जननी है। यह भूमि मानवता को पूर्ण रूप से चरितार्थ करती है। एक शिक्षक की दृष्टिकोण से हमारा प्रथम कर्तव्य है कि योग्य बालकों का निर्माण करना है, क्योंकि वही देश के भविष्य हैं । अतः हम यदि छात्रों को प्रारंभ से ही शिक्षा के साथ सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास करते हुए नागरिक कर्तव्यों का बोध कराते हैं, तो बाहरी मुल्कों की हमारे देश पर गलत निगाह डालने की हिम्मत नहीं होगी ।
एक नागरिक के नाते हमारा कर्तव्य है कि देश की एकता की भावना को बरकरार रखना है ,जिसके द्वारा हम प्रगति के साथ-साथ मानव जाति को भी बराबरी का दर्जा दे सकें । देश में जन्मे प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण का भाव रखना ही एक सच्ची राष्ट्र सेवा है ।
प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होता है कि वह जिस दिशा में है ,जिस परिवेश में है ,और जहां है, सकारात्मक सोच के साथ अपना योगदान दें। भारत विविधता में एकता का राष्ट्र है। अतः हम सभी को सभी भाषा के लोगों का सम्मान करना चाहिए ।हम सदा अपने अधिकारों की अपने हक की आवाज बहुत जोर से उठाते हैं ,लेकिन हम कभी अपने उत्तरदायित्व को जो कि किसी भी राष्ट्र के नागरिक का प्रथम कर्तव्य होता है, उसकी बात नहीं करते, जबकि यदि हम अपने कर्तव्यों का पालन राष्ट्रहित में करें तो स्वत: ही अधिकार मिल जाएगा। क्या हम कभी स्वच्छ भारत मिशन अभियान, राष्ट्रीय शिक्षा अभियान, वैज्ञानिक अभियान, राष्ट्रीय शिक्षक दिवस को एक नागरिक की भावना से आयोजित करना ,अपने कर्तव्यों में राष्ट्रहित को ऊपर रखना ? क्या हमने स्वयं की इससे पहले राष्ट्र की संपत्ति के लोगों के बारे में सोचा? राष्ट्रीय संपत्ति रेल में सफर करने वाले वही खाते हैं और कचरा नीचे फेंक देते हैं गंदगी फैलाते हैं क्या हम अब कभी उनकी स्वच्छता के बारे में ध्यान दिया? किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत वहां के नागरिक होते हैं। अतः हम सभी को मिलजुलकर राष्ट्रीय अभियान और मतदान का प्रयोग शासन द्वारा संविधान द्वारा बनाए गए नियमों का पालन ,शिक्षा का प्रचार , गरीबों की मदद ,देश के वीर सैनिकों का सम्मान ,महापुरुषों का सम्मान ,राष्ट्रीय दिवस को एक परिवार के रूप में मनाना, असामाजिक तत्वों का बहिष्कार करना ,सामाजिक व राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना, अपने से पहले राष्ट्र के बारे में सोचना आदि। हमारा देश को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था , लेकिन फिरंगियों की नापाक नज़र इस ओर गई, और कुटिल चालों के जरिए पहले व्यापारी बनकर भारत में आए, फिर ऐसे लोगों से संपर्क किया जो लालची और पाखंड थे ,उन्ही के द्वारा देश में गद्दारी करवाई ,नतीजा यह हुआ कि हम उनके गुलाम हो गये।
कुछ राष्ट्रभक्त जिन्हें न तो इतिहास में जगह मिली और ना ही कोई जानता परंतु वे अपने देश की आजादी के लिए लड़ते रहे और शहीद हो गए। हमारा राष्ट्र है तो हम हैं। हमारा कर्तव्य राष्ट्र की सुरक्षा एकता का निर्माण होना चाहिए ।हमारा हर सुबह अपने राष्ट्र के निर्माण के साथ होना चाहिए ।चरित्र एक ऐसी पूंजी है, जो राष्ट्र निर्माण में विशेष भूमिका का निर्वहन करता है। हमारे घर में माता-पिता तो स्कूल में शिक्षक गण चरित्र का निर्माण में अपनी सार्थकता सिद्ध करते हैं। संविधान में मौलिक अधिकारों के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए । राष्ट्रगान के समय खड़े हो जाना चाहिए। जो नागरिक ईमानदारी से अपना कर्तव्य पूरा कर देश और समाज सेवा कर रहा है वह सच्चा राष्ट्रभक्त है। हां हमें अनेकों ऐसे कर्तव्य और उत्तरदायित्व है, जिनको हम निष्ठा पूर्वक पूर्ण करते हैं तो नि:संदेह हम भारतीय सभ्यता के उस स्वर्णिम काल को वापस ला सकते हैं, जो कभी हमारा स्वर्णिम इतिहास बनकर संपूर्ण विश्व में अपना प्रकाश फैला रहा है ।
-श्रीमती शोभा रानी तिवारी ,
619 अक्षत अपार्टमेंट खातीवाला टैंक,
इंदौर मध्य प्रदेश मोबाइल 89894 09210
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-संपादक
सुरता: साहित्य की धरोहर