व्यंग्य आलेख:आंदोलन एक मिथ अथवा यथार्थ
– डॉ अर्जुन दूबे
इस व्यंग्य आलेख में अंग्रेज लेखक जार्ज ओरवेल का ‘एनिमल फार्म’ नाम के उपन्यास के कथानक के माध्यम से इस उपन्यास का आज के सदंर्भ में प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए यह प्रश्न अनुउत्तरित छोड़ा गया है कि आंदोलन एक मिथ अथवा यथार्थ ?
एक अंग्रेज लेखक जार्ज ओरवेल का एनिमल फार्म नाम का उपन्यास बहुत ही चर्चित रहा । कथानक की दृष्टि से इसमें जानवरों द्वारा आदमियों के विरूद्ध अपनी स्वतन्त्रता और स्वराज के निमित्त आंदोलन की कहानी है।
उपन्यास का कथानक व्यंग्य और हास्य से ओतप्रोत है । आंदोलन की चेतना जानवरों में सबसे बुजुर्ग सूअर प्रजाति के ओल्ड मेजर नामधारी सूअर ने संचारित किया था किंतु मृत्यु शास्वत सत्य है, वह इह लोक से चला गया, किंतु उसके शब्द “मानव को हमारे फार्म जिसका नाम मैनर फार्म है जो गलत है, से खदेड़ दो, उसका कोई अधिकार नही है”, उसके वंश के युवा सूअर स्नोबाल के नेतृत्व में सभी जानवरों को संगठित कर ऊर्जा दते रहे ।
आओ हम सकल क्रांति करें जिससे यह शोषण करने वाला मानव भाग जाये ।
स्नोबाल का ओजस्वी भाषण रंग लाया । सभी जानवर एकता दिखाते हुए मैनर फार्म पर मानवों के खिलाफ धावा बोल दिए; बिना किसी रक्तपात के मानव फार्म छोड़ कर भाग गये ।
अब फार्म पर स्नोबाल के नेतृत्व मे जानवरों का शासन हो गया । फार्म का नाम बदलकर एनिमल फार्म रखा गया क्योंकि अब यह एनिमल का, एनिमल के लिए और एनिमल के द्वारा हो गया था । अब शोषण नहीं होगा -हमारा दूध मानव पीता था, अब हमारे बच्चे पियेंगे, उत्पादन पर अब हमारा अधिकार होगा और मानवों से न तो संबंध और न ही व्यापार स्थापित करेंगे़ । हमें अपना संविधान बनाना है; संविधान बन गया जिसमें सात बिंदु उल्लेखनीय रहे – कोई जानवर किसी जानवर को नहीं मारेगा, सभी जानवर बराबर हैं, सभी अपनी क्षमता के अनुसार काम करेंगें और अपनी आवश्यकता के अनुसार अन्न आदि वस्तुओं को लेते रहेगें, कोई जानवर शराब नहीं पीयेगा, चार पैर वाले जानवर अच्छे हैं, दो पैर वाले जानवर बुरे पक्षीयों को छोडकर क्योंकि उनके पास पंख है, इस एनिमल फार्म का मानव द्वारा संचालित किसी भी मैनर फार्म से कोई संबध नहीं रहेगा।
दिन बीतते गये;सभी जानवर खुश थे यद्यपि सूअर अधिक लाभ में रहते थे,दूध दुहने में निपुण थे और दुध अपने और अपने बच्चों को खुब पिलाते थे ।
स्नोबाल ने प्रस्ताव रखा कि विंड मिल बनवायी जाये जिसका सभी ने अनुमोदन किया । किंतु सूअरों के मध्य एक बलवान महात्वाकांक्षी नेपोलियन नामधारी सूअर को स्नोबाल एवं उसका प्रस्ताव पसंद नहीं आता था । वह अवसर की तलाश में रहता था । एक दिन स्नोबाल जानवरों को संबोधित कर रहा था कि नेपोलियन द्वारा प्रशिक्षत खुंखार कुत्ते जिन्हे छोटे पिल्लों के रुप में लालन पालन करने के निमित्त नेपोलियन ले गया था, उसके इसारे पर स्नोबाल को दौडा़ लिए, स्नोबाल भागा कि भागा फिर लौट कर नही आया ।
अब कहानी शुरू होती है दोषारोपण और मानवों के कृत्यों को पुनर्स्थापित करने की.विंड मिल बन कर तैयार हो गयी थी, नींव कमजोर थी, आंधी पानी आयी तो ढह गयी । आरोप स्नोबाल पर लगा कि रात मे चुपके से आकर वि़डमिल ध्वस्त कर दिया । अब नेपोलियन का शासन था । सूअरों की बल्ले किंतु जिस सूअर ने अन्याय के खिलाफ बोला कि नेपोलियन के पालतू खुंखार कुत्ते उन्हें अपना निवाला बना लेते थे । सर्वत्र भय व्याप्त था ।
संविधान का संशोधन किया जाने लगा.सभी जानवर बराबर हैं किंतु कुछ औरों से अधिक बराबर हैं, कोई जानवर किसी को मारेगा नहीं बिना किसी कारण के, कोई शराब नहीं पीयेगा पर आवश्यकता से अधिक नहीं, चार पैर अच्छा किंतु दो पैर उससे भी अच्छा । सूअर मानव की भांति दो पैरों पर चलने का अभ्यास करते थे; मानवों से संबंध और व्यापार जरूरी है, घायल और बृद्ध जानवरों को मानव संचालित मैनर फार्म को बेच दिया जाता था, तर्क था आंतरिक आय का साधन विकसित करना, अब एनिमल फार्म नाम अप्रांसगिक हो गया है, हमारा संबंध सभी मानवों से हो गया है, अत: अब इसका पुराना नाम मैनर फार्म ही रहेगा ।
सूअरों ने मानवों की समस्त आदतों को अंगीकार कर लिया था अथवा करने का प्रयास कर रहे थे, महात्वाकांक्षा में दोनों– नैपोलियन सूअरों सहित और पिलिंगटन अन्य मानव साथियों सहित–शराब की दावत के दौरान आपस में भिड गये थे,पहचान करना मुश्किल था कि कौन सूअर है और कौन मानव!
सटीक व्यंग्य 👌👌👌