-आलेख महोत्सव-
आजादी के 75 वर्षो के बाद क्या खोया? क्या पाया?
आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर ‘सुरता: साहित्य की धरोहर’, आलेख महोत्सव का आयोजन कर रही है, जिसके अंतर्गत यहां राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रियहित, राष्ट्र की संस्कृति संबंधी 75 आलेख प्रकाशित किए जाएंगे । आयोजन के इस कड़ी में प्रस्तुत है-श्री बिनु सिंह नेताम द्वारा लिखित आलेख ”आजादी के 75 वर्षो के बाद क्या खोया? क्या पाया?”।
गतांक –आज का भारत
आजादी के 75 वर्षो बाद क्या खोया? क्या पाया?
-बिनु सिंह नेताम
15 अगस्त 1947 जब नियति से भारत साक्षात्कार हुआ जब 200 वर्षो की गुलामी से देश को मुक्ति मिली और खुली हवा में सांस भरी ।
भारत अपनी आजादी के 75 वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा है । यह सभी देशवासियां के लिए विशेष अवसर है । 15 अगस्त 1947 को देश सैकडों वर्षो की गुलामी की बेडियों से आजाद हुआ, आजादी के इन वर्षो में हिन्दुस्तान ने सभी क्षेत्रों में तरक्की की है विज्ञान, तकनीकी, कृषि, साहित्य , खेल आदि सभी क्षेत्रों में तिरंगा लहराया है। इसके बावजूद हमने बहुत कुछ खोया भी है जैसे – समन्वयवादी दृष्टिकोण, नैतिक मूल्य , धार्मिक सहिष्णुता, परस्पर प्रेम और भाईचारे का भाव आदि । देश को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं। इन 75 सालों में देश में काफी कुछ बदल गया है ।
आजादी के वक्त हम 34 करोड़ थे, आज 136 करोड़ से भी ज्यादा हैं, उस वक्त आम आदमी की सलाना कमाई 274 रूपये थी आज 1 लाख रूपये से भी ज्यादा है । लगातर देश की जीडीपी में बढोत्तरी हुई है । तब से लेकर अब तक सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य, खेल एवं तकनीकी आदि क्षेत्र की विकास यात्रा में देश ने अपनी एक पहचान बनाई है । 75 वर्ष की इस विकास में नए कीर्तिमान बने है । आज भारत की पहचान एक सशक्त राष्ट्र के रूप में है । दुनिया आज भारत की तरफ देख रही है क्योंकि 75 सालों में हमने उपलब्धियों की गगन चुंभी उड़ाने भरी है । भारत बीते 75 सालों में अपनी अंदरूनी समस्याओं और चुनौतियों के बीच देश ने ऐसा कुछ जरूर हासिल किया है ।
देश के पास गर्व करने के लिए उपलब्धियां है तो अफसोस जताने के लिए वजह भी है । आजादी के बाद बहुत कुछ खोया और बहुत कुछ पाया भी है । आजादी दिलाने के लिये अनेक वीर अपने मातृ भूमि पर न्यौछावर हो गये । हमें आजादी तो मिल गई लेकिन वह आजादी आज किस रूप में है। हमारे पूर्वजों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों , राजनेताओं ने आजाद भारत का जो सपना देखा था, उनकी नजरों में आजादी के जो मायने थे, क्या उसके अनुरूप हम आगे बढे है । आजादी का सही फायदा उठा रहे हैं या गलत, ये बात हमें सोचने की जरूरत है। हम अंधेरे और गरीबी की गस्त से आगे बढ़े । अशिक्षा और असमानता की तमाम बेड़ि़यां तोडीं इस दौरान देश ने बहुत कुछ खोया ,बहुत कुछ पाया ।
संविधान में एक आदर्श देश की जो परिकल्पना की गई है, उसे हम कितना साकार कर पाए हैं और कितना मजबूत बना पाये हैं, संविधान ने हमें जीने का अधिकार और शोषण से मुक्ति दिलाई है क्योंकि नागरीकाे से समाज और समाज से देश बनता है और देश की रक्षा के लिये संगठन और मन में देश प्रेम की भावना को जगाना अनिवार्य है , तब जाकर भारत अखण्डता और एकता की मिसाल पेश कर सकेंगा। एक बेहतर नागरिक एक स्वस्थ समाज का निर्माण करता है । एक सजग समाज देश को उन्नति और विकास की रास्ते पर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करता है ।
सवाल है कि एक देश और व्यक्ति के रूप में आज हम कहॉं खड़े हैं और हम देश का कितना काम आ सकते है और देश के लिये क्या क्या कर सकते है । 15 अगस्त 1947 को हम आजाद हो तो गये लेकिन यह आजादी विभाजन के साथ आई जिससे भारत की अखण्डता को तोड़ के रख दिया। भारत की जमीन से नए देश पाकिस्तान अस्तित्व में आया और बाद में बंग्लादेश भी अस्तित्व में आ गया । देश की पूर्वी और पश्चिमी हिस्से से बने इस नए देश की वजह से भारत को अपना एक बडा भू-भाग और लोगाें को खोना पडा जिससे लोगां में मतभेद उत्पन्न गया जिसने हिन्दू मुस्लिम एकता को तोड़ के रख दिया । इसके बाद कश्मीर और अक्साई चीन में हमें अपनी जमीन खोनी पडी, हालांकि सिक्किम को अपने साथ जोडने पर हमारी सरकार कामयाब हुई तब से लेकर अब तक भारत अपनी सीमा की हिफाजत करता आया है ।
कई राज्यों में अलगाववादी ताकतों जैसे नक्सलवाद, आतंकवाद की चुनौतियों से निपटते आये है और सीमा पर चीन एवं पाकिस्तान से लड़़ते हुए भारत ने देश की अखण्डता और संप्रभुता पर ऑच नही आने दी है । आंतरिक चुनौतियों एवं साप्रदायिक सौहार्द्र बिगाडने की कुटिल चालों को नाकाम करते हुए भारत ने अपनी अनेकता में एकता की एक खासियत एवं धर्म निरपेक्षता की भावना बकरार रखी है । भारत जीवंत लोकतंत्र का एक जीता जागता उदाहरण है । यहॉ कि लोकतांत्रिक संस्थाओ में लोगां की आस्था है ।
विरोधी विचारों का सम्मान लोकतंत्र को ताकत देता आया है। दुनिया के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत ने एक परिपक्व देश के रूप में अपनी पहचान बनाई है । देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर अब तक सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच मुद्दों पर गंभीर मतभेद रहे। लेकिन इन मतभेदों ने लोकतंत्र को कमजोर नही बल्कि उसे मजबूती दी है । लोग अपनी पसंद से सरकारें चुनते आये है । भारत के लोकतंत्र में लोग ही अहम है, यह भारत की जीत है ।
आम आदमी को सशक्त बनाने के लिये बीते दशको में सरकारें जनकल्याणकारी नीतियां और योजनाएं लेकर आई हैं । इन यांजनाओं का लाभ गरीबी एवं कमजोर वर्गो तक पहॅुचाया गया है । हमें अपने देश पर गर्व है । देश की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाना और सर्जिकल स्टाइक, 560 से ज्यादा रियासत का विलय आदि ।
प्रधानमंत्री सड़क योजना, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, स्वास्थ्य योजना, सुचना का अधिकार, अटल आवास योजना, जनधन योजना, स्वच्छ भारत मिशन , प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, शिक्षा का अधिकार , वोट का अधिकार, पहले परमाणु ऊर्जा लॉंच, मिशन चन्द्रयान और मनरेगा जैसे कार्यक्रमों और योजनाओं ने आम आदमी का सशक्त बनाया है । इन महत्वकांक्षी योजनाओं से हमारे देश की विकास तेजी से हुई है ।
लेकिन यह भी सच है कि सरकार की इन योजनाओं को पूरी तरह से लागू नही किया जा सका क्योंकि सभी लोगों के सोचने और समझने की क्षमता अलग-अलग होती है जिससे कुछ जगहों पर कार्य और विकास की गति रूक जाती है और देश उन्नति और विकास के नये आयाम को छू नहीं पाती । इसलिये भारत विकासशील राष्ट्र की श्रेणी में आता है । फिर भी इन योजनाओं का लक्ष्य आम आदमी को राहत पहॅॅुचाना ही है।
इन विकास योजनाओं से गरीबी और भूखमरी कुछ हद तक ठीक हुआ परंतु देश में गरीबी, पिछड़़ापन पूरी तरह से दूर नहीं हुआ । विकास से जुडी परियोजनाएं और समस्याएं अभी भी मौजूद हैं । खुली अर्थव्यवस्था के दौर के बाद भारत तेजी से विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा हे । आर्थिक, सैन्य एवं अंतरिक्ष, खेल के क्षेत्र में इसने सफलता की बडी छलांग लगाई है । हॉकी में स्वर्ण पदक, पहला एशियाई खेल, परमाणु रिएक्टर अप्सरा के डिजाईन का निर्माण , रेलवे का राष्ट्रीयकरण, अनेकों चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ी है ।
भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढाने का श्रेय डॉ मनमोहन सिंह को जाता है क्यों कि 1992 में नीजीकरण, उदारीकरण, वैष्वीकरण को लाकर देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया था और धीरे धीरे अनेको क्षेत्रो में छूट प्रदान किया गया इसलिये आज भारत दुनिया का सबसे बडा बाजार बना हूआ है । सैन्य क्षेत्र में भारत एक महाशक्ति बनकर उभरा है । परमाणु हथियारों से सपन्न्ता के बाद भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना है । मिसाइल तकनीक में दुनिया भारत को लोहा मान रही है । अंतरिक्ष में भारत ने नए नए कीर्तिमान गढे हे । जिसमें आर्यभट्ट, त्रिशूल, पृथ्वी, अग्नि, पीएसएलवी आदि। मंगल मिशन की सफलता एवं रॉकेट प्रक्षेपण की अपनी क्षमता की बदौलत भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में महारथ रखने वाले चुनिंदा देशों में शामिल है । आई टी सेक्टर में देश अग्रणी बना हुआ है ।
इन उपलब्धियों ने देश को सुपर पॉवर बनने के दरवाजे पर लाकर खडा कर दिया है। जाहिर है कि आज भारत के पास दुनिया को देने के लिये बहुत कुछ है। लेकिन इन सफलताओं एवं उपलब्धियों के बावजूद सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों में ह्रास हुआ है । कुछ लोगो की सोच उच्चस्तर से निम्नस्तर की ओर है जो आज भी रूढ़िवादी वंशानुगत परम्परा को देखने को मिलता है । व्यक्ति से लेकर समाज, राजनीति सभी क्षेत्रों में मूल्यों का पतन देखने को मिला है । सत्ता, पावर, पैसा की चाह ने लोगो को भ्रष्ट एवं नैतिक रूप से कमजोर बनाया है जिससे देश की विकास में अनेको बाधाएं उत्पन्न हुई है और राष्ट्र को अनेको मुश्किलों का सामना करना पड रहा है । आज समाज और देश के हर क्षेत्र कोने कोने में भ्रष्ट लोग भरे पडे हैं । मानो झूठ के बाजार में सच बिक रहा हो । बस खरीददार होना चाहिए । आज सब कुछ बिक रहा है । मजबूरी में इंसान बिक रहा है, जुल्म का हैवान बिक रहा है, पैसो के खातिर इमान बिक रहा है ।
राजनीति का एक दौर वह भी था जब रेल हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए केन्द्रिय मंत्री अपने पद से इस्तीफा दे दिया करते थे। एक वोट से सरकार गिर जाया करती थी । भ्रष्टाचार के नाम आने पर नेता अफसर अपना पद छोड़ देते थे । अपराधियों को कड़़ी से कडी सजा दी जाती थी लेकिन अब युग बदल चुका है । आज सत्ता में रहने के लिये सभी लड़ रहे हैं। धर्म के नाम पर दंगे करवाये जाते है , जात- पात के नाम पर बॉटा जाता है । मानव की एकता को तोड़ने की कोशिश की जाती है ।
आज राजनीति दलदल बन चुका है जहॉ भाई-भाई का न हुआ, बेटा बाप का न हुआ । सत्ता पाने के लिये आज सभी तरह के समझौते किये जा रहे है और अनेक हथकंडे अपनाएं जातें है जिससे सत्ता में रहकर गरीब और कमजोर लोगो का दबाया जा सके और उनका शोषण किया जा सके लेकिन नैतिक पतन के लिये केवल नेता या कोई बड़ा अफसर जिम्मेदार नहीं है क्योंकि किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता । बेहतर समाज और राष्ट्र निर्माण बनाने की जिम्मेदारी हम सब की है । इसके लिये भारत के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र निर्माण के लिये आगे आना होगा जिससे बेहतर समाज और राष्ट्र बन सके । तभी जाकर एक बेहतर भारत और न्यूइंडिया के सपने साकार किया जा सकेगा।
आज देश बढते जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिकरण, शहरीकरण वनो का विनाश के कारण पर्यावरण तेजी से प्रदूषण हो रहा है जिनसे पेड़-पौधे, जीव-जंतु और लोगों के ऊपर प्रतिकुल प्रभाव पड रहा है और अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं । देश गरीबी की ओर अग्रसर हो रहा है । यदि हम अपने इतिहास में झॉंक कर देखें तो मालूम होता है कि पहले इन जैसी समस्या नही थी। थोडा भी असंतुलन होने पर प्रकृति स्वयं उसका निराकरण भी करती थीं ।
इन समस्याओं से उबरने के लिये भारत के नागरिकों को सरकार द्वारा चलाये जा रहे अनेक अभियान, नीतियां और योजनाओं का हिस्सा बनना होगा और राष्ट्र हित के लिए आगे आना होगा । शिक्षा का प्रचार-प्रसार, परिवार-नियोजन, सामाजिक सुरक्षा, सन्तति सुधार कार्यक्रम, स्वास्थ्य सेवा और मनोरंजन के साधन, स्वतंत्र भारत में पर्यावरण नीतियां तथा कानून, राष्ट्रीय पर्यावरण, जैव विविधता पर्यावरण आदि जैसे कार्यक्रम का सर्मथन करना अति आवश्यक है तभी देश सशक्त और मजबूत बनेगा ।
जिस तरह महान बनने के लिये अनुशासन जरूरी है
उसी तरह राष्ट्रहित के लिये संगठन जरूरी है ।
नाम – बिनुसिंह नेताम
पता – ग्राम – खैरी ,गोंड पारा ,
पोस्ट – नांदल , तह- नवागढ ,
जिला- बेमेतरा , पिन 491337
मोबाइल नं. 7489242394 ,9009870731
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-संपादक
सुरता: साहित्य की धरोहर
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