आज़ादी के अमृत महोत्सव और हिंदी के सन्दर्भ में कुछ कवितायेँ
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
1.अमृत काल है आज़ादी का
अमृत काल है आज़ादी का
स्थिर चिंतन उसपर मंथन
आज़ादी के मूल्यों का
हो सार्थक सम्यक विश्लेषण।
जिन मूल्यों से दृढ थे
आज़ादी के सैन्य सिपाही ,
सोचें आगे बढ़ें –
वल्लरी उन मूल्यों की
हमने कैसे फैलाई।
संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न भारत
एक पंथ निरपेक्ष राष्ट्र
लोकतंत्र की मर्यादा में
सबको न्याय और अधिकार।
हैं स्वतंत्र हम अपनी भू पर
विश्वास , विचार अभिव्यक्ति स्वतंत्र ,
किसी धर्म विश्वासी हों
हमें उपासना की स्वतंत्रता।
सम्यक अवसर हमें ,
हमारा उर्जित राष्ट्र दिलाता है ,
सबकी सम्यक है प्रतिष्ठा
और हमें उसपर समानता।
आज़ादी का अमृत काल है
इस पर चिंतन आवश्यक है ,
कर्तव्यों का ,
अधिकारों का
दर्शन वर्णन आवश्यक है।
भारत चिंतन आवश्यक है
संस्कृति चिंतन आवश्यक है।
2.भाव भारत वंदना
हम ह्रदय में ले के चलें
भाव भाषा भावना
इसके लिए कुछ दिवस क्या
जीवन जियें इसके लिए
जीवन लिए इसके लिए।
भावना की स्रोत है
मातृभाषा ममतामयी
इसमें रचित जीवन लड़ी
इससे जुडी अपनी कड़ी।
है देश की आबो हवा
यह देश की पहचान है ,
हम ह्रदय में ले के चलें
भाव भाषा भावना।
संस्कार में हमको मिली,
कर्तव्य पथ पर भी मिली
जब जब कहीं थी राष्ट्र चर्चा
व्यव्हार में हिंदी मिली।
हिंदी स्वरों की साधना
हिंदी हितों की कामना
हिंदी हमारी शक्ति है ,
यह भाव भारत वंदना।
3.हिंदी हमारी
है विहंगम दृष्टि की
यह मानिनी हिंदी हमारी
भावनाओं को लिए
संप्रभु भासिक शक्ति वाली।
इसकी सुशीतल दृष्टि है
सन्देश की क्षमता असीमित
इसमें कला विज्ञान के
आयाम कितने हैं असीमित।
संपर्क वाले शब्द हैं ,
राजभाषा के पिरोये ,
साहित्य सागर सा संजोये।
छंद तुलसी सूर के
ललित्य छायावाद का
माधुर्य है रसखान का
जायसी की व्यंजना।
सार्थक शब्दावली
तार्किक उच्चरण है
भाषा हमारी शक्ति है ,
जागृत हिंदुस्तान है।
सभी मजहब पंथ हैं ,
सभी के उदगार हैं ,
हिंदी अमृत संचार है।
हिंदी हमारी शक्ति है
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), तीन पहर (2018 )चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018) उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),माटी (2018 )द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021),कोरोना और आम आदमी की कविता (2021), एक अनंत फैला आकाश (2022) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, डॉ राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान 2020 ,एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे 20 पुरस्कार प्राप्त हैं ।
संपर्क : अंग्रेजी एवं आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ 226007
ईमेल : rpsingh.lu@gmail.com
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