-आलेख महोत्सव-
अक्षुण्ण रहे हमारी स्वतंत्रता
आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर ‘सुरता: साहित्य की धरोहर’, आलेख महोत्सव का आयोजन कर रही है, जिसके अंतर्गत यहां राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रियहित, राष्ट्र की संस्कृति संबंधी 75 आलेख प्रकाशित किए जाएंगे । आयोजन के इस कड़ी में प्रस्तुत है-डॉ. अशोक आकाश द्वारा लिखित आलेख ”अक्षुण्ण रहे हमारी स्वतंत्रता?”।
गतांक –स्वतंत्रता का अमृत पान
अक्षुण्ण रहे हमारी स्वतंत्रता
अनवरत प्रगति पथ पर अग्रसर हो हमारा देश
डॉ. अशोक आकाश
आजादी के अमृत महोत्सव पर समूचा देश गौरव की अनुभूति कर रहा है। देश भक्ति की नई लहर चल पड़ी है । बच्चों जवानों वृद्धों में नए जोश का संचार हुआ है । किसान,मजदूर खुशियों से सराबोर है । गरीबी भुखमरी से निजात पा आज का भारत पूर्णतः विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा है ।
जब देश स्वतंत्र हुआ,सुई भी विदेश से आती थी, आज हम वायुयान निर्यात कर रहे हैं, स्वनिर्मित उपग्रह प्रक्षेपित कर दूसरे ग्रहों तक मानवरहित यान भेजने की तकनीकी विकसित कर हमने विश्व को चौंका दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कश्मीर से धारा 35 A और 370 हटाने पर विश्व ने कश्मीर को हिन्दुस्तान का अभिन्न अंग मान लिया है। अमेरिका चीन जैसे देशों की नजरों में नजर मिला कर बात करने का हौसला हमने पा ली है। विदेशी निवेश,जी.एस.टी. प्राकृतिक खनिज वनसम्पदा एवं विशाल विदेशी मुद्रा भंडार से हमने आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त कर लिया है । विदेशों से कर्ज लेकर 20 सूत्रीय कार्यक्रम संचालित करने वाला भारत देश अब हजारों सूत्रीय कार्यक्रमों का स्वस्फूर्त क्रियान्वयन कर रहा है। आपदाग्रसित गरीब देशों को मुफ्त आर्थिक सहायता देकर वैश्विक मानवतावादी विचारों का संप्रेषण कर रहा है।
नदियों नालों पहाड़ों वन कृषि प्रदेशों का यह मनोरम देश वर्ष भर कई तरह की आपदाओं से ग्रसित रहता था, आवागमन के साधन नहीं थे, सड़कें नहीं थीं, पुल नहीं थे । बारिश के दिनों में लाखों लोगों का जीवन संकटमय रहता,आज देश में लाखों किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग देश की जीवन रेखा की तरह कोने कोने से जुड़े हुए हैं । बड़े-बड़े बांध बारिश की विभीषिका झेलने में सक्षम है। नदियों में बने बड़े-बड़े पुल, फ्लाईओवर देश को गौरवान्वित कर रहे हैं । सीमा पर तैनात जवानों को पारंपरिक हथियारों के बदले अत्याधुनिक स्वचालित हथियार मुहैया कराए गए हैं। सीमा पर चौकसी बरतने अत्याधुनिक तीक्ष्ण मारक यंत्र एवं उपकरणों की सहायता से दुश्मन पर कड़ी नजर रखी जा रही है । सेटेलाइट, टोही विमान एवं द्रोण के माध्यम से दुश्मन देश की पल पल की खबरें तत्काल मिल जाती हैं और समय पूर्व सचेत हो मुंहतोड़ जवाब दे दिया जाता है । देश की सीमा सुरक्षित रखने सभी तरह के अत्याधुनिक उपाय अपनाए जा रहे हैं ।
किसी भी देश की उन्नति में उस देश की जनता की कर्मठता का बड़ा हाथ होता है। आम जनता जितनी सक्रियता से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करती हैं, उतनी ही तेजी से देश की विकास गति में इजाफा होता है और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है। एक व्यक्ति कमानेवाले दस व्यक्ति खाने वाले हों तो घर में निर्धनता बनी रहती है लेकिन दस में दस व्यक्ति अपने सामर्थ्य अनुरूप काम करें तो घर की आर्थिक उन्नति के सारे मार्ग खुल जाते हैं। हमारे देश में आम जनता की सक्रियता से चहँमुखी विकास के मार्ग खुल चुके हैं।कृषि उद्योग वाणिज्य शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार तकनीकी क्षेत्र में नित नए आयाम जुड़ते जा रहे हैं । कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों में विकास से देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होकर अब मुख्य निर्यातक देश के रूप में अपनी वैश्विक पहचान बना चुका है । दूध फल एवं इस पर आधारित प्रसंस्करण उद्योगों से शिक्षा एवं रोजगार के अवसर में वृद्धि हुई है ।
किसी भी देश को उन्नत तभी कहा जा सकता है,जब वहां सड़क बिजली पानी शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के पर्याप्त साधन मुहैया हों । आज देश में परमाणु ऊर्जा से लेकर सौर ऊर्जा तक विभिन्न श्रोतों से अत्याधुनिक विद्युत निर्माण की बड़ी-बड़ी ईकाइयां लगाई जा चुकी है एवं संधारण संचालन जिम्मेदारी पूर्वक किया जा रहा है, जिससे कृषि क्षेत्र,उद्योग,शिक्षा, कला एवं स्वास्थ्य सेवाओं में आमजन को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं हो रही है । चौबीसों घंटे बिजली का लक्ष्य तय कर सफलतापूर्वक कार्य किया जा रहा है । इसीतरह पीने के लिए स्वच्छ जल हेतु पूरे देश भर में नल जल योजना लागू है, जिसके तहत स्वच्छ जल हेतु नल कनेक्शन से घर घर को जोड़ दिया गया है। एक समय था हमारी माताएं सर पर गगरी लेकर नदिया तालाब कुआं पानी लेने जाती थी । बहुत मेहनत से एक मटकी जल भरकर लाया जाता था, आज नल कनेक्शन हमारी रसोई तक उपलब्ध है स्वर्ग का सुख अगर कहें तो इसी को कहा जा सकता है ।
आज आजादी के 75 वें वर्ष में देश की विकासगति में जमीन और आसमान का अंतर आया है। उन्नति का शिखर चूमते हम फिर से सोने की चिड़िया और विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर हैं, जरूरी है कि हम अपनी स्वतंत्रता को स्वच्छंदता में ना बदलें । अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग इस तरह करें कि किसी के अधिकारों का हनन ना हो । सब के सम्मान का ख्याल रखें और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करें ।
टहनियां चाहे कितनी भी ऊंची डाली पर इतराए, उसकी जड़ें मिट्टी से जुड़े हो तभी उसमें फूल खिल सकता है ! हमें अपनी आजादी की जड़ों को पोषित करना होगा । यह याद रखने होंगे कि कितने कष्ट से हमें यह आजादी मिली है। कितने मेहनत किए हमारे देश के महान् सपूतों ने जिन्होंने अपनी जवानी कुर्बान कर दी । मातृभूमि की रक्षा में जीवन बलिदान करने वाले उन सपूतों को नमन जिन्होंने अपनी जिंदगी देश के नाम न्यौछावर कर हँसते हँसते फॉसी के फंदे अंगीकार किये। स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर उनकी शहादत को सादर नमन है ।
आज हम जिस तरह आजाद हवा में सांस ले रहे हैं उसे प्राप्त करने हजारों वीर जवानों ने अपनी सांसों की कुर्बानी दी है अपनी जिंदगी दांव पर लगा अपना तन मन धन जीवन कुर्बान कर हमें आजादी सौंपने वाले वीरों को नमन, उन राजनीतिज्ञों को नमन जिन्होंने निस्वार्थ राजनीतिक सेवा करते भारत देश को सफलता के शिखर पर अग्रसर होने हर कदम हर पल सपना देखा । राम,कृष्ण,गौतम, महावीर,बुद्ध की इस धरती में जनमे महात्मा गांधी को नमन जिन्होंने लाखों अधनंगे भूखे गरीब जनता की पीड़ा महसूस कर एक ही धोती में जीवन गुजारने का संकल्प ले उसे आजीवन निभाते रहे।
स्वतंत्र भारत में विकास की नींव रखने वाले दिवास्वप्नदृष्टा जवाहरलाल नेहरू को नमन जिन्होंने अपनी जिंदगी के 17 साल अंग्रेजो के बंदीगृह में घोर यातना सहते गुजार दी और स्वतंत्रता पश्चात उतने ही बरस देश के प्रधानमंत्री रहकर भारत माता की बेड़ी कटे तन को पुष्ट कर विकास की इबारत लिखते रहे । अखण्ड भारत के स्वप्न दृष्टा नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल, बाल गंगाधर तिलक, खुदीराम बोस, बिस्मिल जैसे हजारों अमर शहीदों की कुर्बानी को नमन, जिनके अमर त्याग ने हमें गुलामी की जंजीर से मुक्त किया ।
आधुनिक भारत के निर्माण में विकास पथ को अनवरत गति देने वाले समस्त सत्तासीन राजनीतिक हस्तियों,वैज्ञानिकों, अन्न धन से परिपुष्ट करने वाले अन्नदाता एवं सीमा के सजग प्रहरी के प्रति अनन्त आभार ।
इस साल हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। यह बड़ा गौरवशाली दिन है क्योंकि हमें अपने घर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का सुअवसर मिला है । प्रशासनिक स्तर पर जनता को जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है, हमें अपनी राष्ट्रीय ध्वज का मान रखना होगा। सम्मान पूर्वक ध्वजारोहण कर निश्चित समय पर उतारकर सम्मान पूर्वक संभाल कर रखने होंगे। आजादी के अमृत महोत्सव को अक्षुण्ण बनाए रखने का दायित्व हम सबका है।
हो मीठी गंगा यमुना का जल,
और हो सागर का जल खारा।
जब तक सूरज चंदा चमके,
अमर रहे गणतंत्र हमारा।
स्वतंत्रता दिवस महापर्व की अनंत शुभकामनाएं _ जय हिंद !
लेखक
अशोक आकाश साहित्यकार
बालोद जिला समन्वयक छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग
निवास_ ग्राम कोहंगाटोला, तह. जिला बालोद छ. ग.
मोबाइल नंबर_ 9755889199
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-संपादक
सुरता: साहित्य की धरोहर
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