अमृत कलश काव्‍य श्रृंखला-1-डॉ अलका सिंह

अमृत कलश

(स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव से प्रेरित कवितायेँ )

-डॉ अलका सिंह

अमृत कलश काव्‍य श्रृंखला-1

अमृत कलशअमृत कलश काव्‍य श्रृंखला-1-डॉ अलका सिंह
अमृत कलश अमृत कलश काव्‍य श्रृंखला-1 -डॉ अलका सिंह

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव –

भारत देश के आजादी के 75 वें वर्ष के लिए भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है । इसी तारतम्‍य में डॉ. अलका सिंह द्वारा इससे प्रेरित होकर ‘अमृत कलश’ नाम से काव्‍य श्रृंखला प्रारंभ की जा रही है जिसके अंतर्गत मातृभूमि की यशगान, स्‍वंतंत्रता सेनानियों की स्‍तुति, रतीय संस्‍कृति परम्‍पराओं को रेखांकित किया जावेगा । प्रस्‍तुत है इस श्रृंखला की पहली कड़ी-

अमृत कलश काव्‍य श्रृंखला-1

1. अमृत ममतामयी संस्कृति हमारी

अमृत ममतामयी संस्कृति हमारी
कल्याणकारी सोच ही संस्कृति हमारी।
हमने सर्वदा विश्व को है कुटुंब माना ,
प्रेम करुणा शांति को है ध्येय जाना।
शौर्य तो बहता हमारे रक्त में
किन्तु सत के लिये कल्याण हित है सर्वथा।
अमृत कलश सा राष्ट्र भावों को संजोये
सूर्य की कांति अद्भुत है लिये।
अमृत ममतामयी संस्कृति हमारी
कल्याणकारी सोच की संस्कृति हमारी।

2. राष्ट्र का कण कण अप्रतिम

राष्ट्र का कण कण अप्रतिम
राष्ट्र का हर पल सुहाना
राष्ट्र का हर एक अवयव
सृष्टि का सुन्दर नमूना।

नमन है इस राष्ट्र को
नमन इस भूभाग को ।
श्रेष्ठ है इस राष्ट्र की अजस्र धारा
नमन है व्यक्ति को , दर्शन विचार को।

3.यह भूमि भारत सदा जागृत

यह भूमि भारत सदा जागृत
कोटि गाथायें संजोये
यहाँ तप की परंपरा
हमने करोड़ों सिद्धि पायी ,
दर्शनों के खोज की , विस्तार की है परंपरा।
यह भूमि भारत सदा जागृत
शौर्य के संग शांति का अद्भुत नमूना
भूमि भारत सदा जागृत।
अमृतमयी संस्कृति हमारी ,
आमेलनों के यहाँ परिप्रेक्ष्य
विश्व को शांति भावों में इसने दिये सन्देश।
यह भूमि भारत सदा जागृत !

संस्कृति अपनी
सत्य अहिंसा में रची बसी है
संस्कृति अपनी ,
उत्सव के रंगों में रंगी हुयी है
संस्कृति अपनी।
पर्वत सागर , ग्राम नगर में
भारत भूमि के कण कण में
गुण का अद्भुत विस्तार लिये है
संस्कृति अपनी।

यहाँ सभ्यतायें पनपीं
यहाँ दर्शनों की मीमांसा
सैम धारा में बहती रहतीं।
इस संस्कृति में व्यक्ति सदा पोषित ईश्वर से
आत्मा -परमात्मा का अद्भुत सम्बन्ध यहाँ पर।

सत्य अहिंसा में रची बसी है
संस्कृति अपनी ,
उत्सव के रंगों में रंगी हुयी है
संस्कृति अपनी।

-डॉ अलका सिंह
(डॉ अलका सिंह डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी लखनऊ में शिक्षक हैं।शिक्षण एवं शोध के अतिरिक्त डॉ सिंह महिला सशक्तीकरण , विधि एवं साहित्य तथा सांस्कृतिक मुद्दों पर काव्य , निबंध एवं समीक्षा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त वे रजोधर्म सम्बन्धी संवेदनशील मुद्दों पर पिछले लगभग डेढ़ दशक से शोध ,प्रसार एवं जागरूकता का कार्य कर रही है। वे अंग्रेजी और हिंदी में समान रूप से लेखन कार्य करती है और उनकी रचनायें देश विदेश के पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती हैं। पोस्टमॉडर्निज़्म, पोस्टमॉडर्निज़्म : टेक्स्ट्स एंड कॉन्टेक्ट्स,जेंडर रोल्स इन पोस्टमॉडर्न वर्ल्ड,वीमेन एम्पावरमेंट, वीमेन : इश्यूज ऑफ़ एक्सक्लूशन एंड इन्क्लूज़न,वीमेन , सोसाइटी एंड कल्चर , इश्यूज इन कैनेडियन लिटरेचर तथा कलर्स ऑव ब्लड जैसी उनकी सात पुस्तकें प्रकाशित हैं । उनकी अंग्रेजी पुस्तक “कलर्स ऑफ़ ब्लड” मासिक धर्म संबधी जागरूकता पर एक सशक्त पाठ है , वहीँ उनकी पुस्तक “भाव संचार ” सांस्कृतिक मूल्यों एवं नारी विषयक मुद्दों पर केंद्रित है। शिक्षण एवं लेखन हेतु उन्नीस पुरस्कार/ सम्मान प्राप्त हैं। अभी हाल में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उच्च शिक्षा श्रेणी में राज्यस्तरीय मिशन शक्ति सम्मान 2021 प्रदान किया गया है।)


स्वतंत्रता दिवस पर विशेष: हम स्वतंत्र मन, हम उर्जित हैं-डॉ अलका सिंह

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