अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए कुछ कवितायेँ

अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए कुछ कवितायेँ

प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

संदर्भ

भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् द्वारा प्रायोजित विद्यार्थियों का विदाई समारोह , लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रवासी छात्र, फेयरवेल पार्टी

antarrastriya vidyarthiyon ke liye kuchh kavitayen
antarrastriya vidyarthiyon ke liye kuchh kavitayen

1.तुम शक्ति पिंड श्रेष्ठ

तुम शक्ति पिंड श्रेष्ठ
नवल जोश , नवल शक्ति।
भ्रांतियां मिटा बढ़ो
नव विहान , दिग दिगंत।
भ्रांतियां मिटा बढ़ो
नव विहान , दिग दिगंत।

एक विश्व , हम सभी
रचें एक अल्पना
है कुटुंब रूप विश्व
यही संकल्प लिए
यही रहे कल्पना।

सिद्ध हों मनोभाव ,
जागृत हर प्रकार
जयतु मनुज हित सदा
जयतु विश्व भ्रातृ भाव।
जयतु विश्व भ्रातृ भाव।

2.सपनों की नयी उड़ान है यह

है अंत कहाँ शुरुआात है यह
रहने दें बीती रीती यादें ,
सपनों की सजी बरात है यह।

जो हमने ग्रीष्म शरद देखे
जो हमने ऋतु बसंत देखा
जो हमने प्रेम प्रणय देखे
हम जिस पाठ पर चले बढे।

शक्ति वही पहचान है यह ,
देखो अब नयी उड़ान है यह।
है अंत कहाँ शुरुआात है यह
सपनों की नयी उड़ान है यह।

3.नीड़ कहाँ , लक्ष्य कहाँ

वैसे तो मुसाफिर ही कहें
नीड़ कहाँ , लक्ष्य कहाँ
कहाँ थी उड़ान
महज एक बसेरा
और पहचान।
नींद भी जगी जगी जगी
स्वप्न में उड़ान !
मिले तुम सफर में
बन गए वास्ता
चले घाम , शीत में ,
रहा सफल रास्ता।
लिए चमक , कौल शब्द
आकाश भरे नयन
मिले आ दिग दिगंत
शांत रूप , भरे भाव।
आकाश भरे नयन
मिले आ दिग दिगंत
शांत रूप , भरे भाव।

बने विश्व दूत हम
संस्कृति में ढले
चले कदम जिधर- जिधर
उठे बस स्वर प्रबल –
मनुष्य हित हर प्रयत्न
करें हम समस्त यत्न !
बने विश्व दूत हम
संस्कृति में ढले
चले कदम जिधर-जिधर
उठे बस स्वर प्रबल –
मनुष्य हित हर प्रयत्न
करें हम समस्त यत्न !

प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), तीन पहर (2018 )चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018) उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),माटी (2018 )द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021),कोरोना और आम आदमी की कविता (2021), एक अनंत फैला आकाश (2022) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, डॉ राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान 2020 ,एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे बीस पुरस्कार प्राप्त हैं ।
संपर्क : अंग्रेजी एवं आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ 226007
ईमेल : rpsingh.lu@gmail.com
फ़ोन : 9415159137

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