आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित बारह बाल कवितायें
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित बारह बाल कवितायें
1.भारत देव लोक की छाया
मलय सुवासित भारत भूमि
दिखती देव लोक की छाया ।
भारत रहे सर्वदा उर्जित ,
चमके भारत की कीर्ति पताका।
भारत के स्वर गुंजित धरती पर
भारत की विजयी रहे पताका।
हम भारत के हैं बच्चे ,
इसके भावों से अपना नाता ।
मलय सुवासित भारत भूमि
भारत देव लोक की छाया।
2.भ्रमर यहाँ मकरंद ले उड़े
भ्रमर यहाँ मकरंद ले उड़े
सो जा शिशु , है रात्रि पहर आया।
छवि चंचल मृग की लेकर तू
विश्व भ्रमण कर आना।
देखो सारे भ्रमर सो गये,
सोई चिड़िया, पक्षी सारे ,
सोये देखो दोस्त तुम्हारे।
सो जा शिशु ,अब तू भी सो जा ,
रात्रि पटल छाया,
सुबह सवेरे ही देखो
प्रकृति हमारी मुस्कायेगी
हम जागेंगे , हम घूमेंगे
देखेंगे दुनिया के कौतूहल ,
सो जा तू , सपने में जाकर
विश्व भ्रमण कर आना।
3.भारत देश हमारा
धरती पर उपवन बना सुवासित
भारत खिला हुआ है ,
हर भारत वासी खुश है
रंग बिरंगा बन कर फूल।
कितनी यहाँ सुगन्धित धूप ,
है प्रकाश का देश हमारा ,
भारत देश हमारा।
ऋतुयें कितनी सजल सुगन्धित
फल फूलों से लदी हुयी हैं ,
भारत भूमि अपनी प्यारी ,
भारत देश हमारा।
4.बादल में इंद्रधनुष छाया
बादल में इंद्रधनुष छाया
कितने रंगों को भरे हुये ,
कैसी भी बारिश हो सोचो ,
मौसम खराब हो ,
मन से कभी हार न मानो
रंग बिरंगा मौसम आता।
हो खराब कैसा भी मौसम
इंद्रधनुष खुश होकर छाये
रंगो को भर ले आये।
5.देश प्रेम का रंग
सरिताओं , धाराओं में घुलता
देश प्रेम का देखो रंग ,
मछली भी आज तिरंगे जैसी
देखो कितने प्यारे ढंग।
सभी दिशाओं में फैला है
भारत के झंडे का रंग ,
प्रकृति आज कितनी खुश है ,
चमक रहे चटकीले रंग।
6.दूर क्षितिज पर बादल
दूर क्षितिज पर बादल देखो
भारत का राष्ट्रध्वज बन छाये
ऊपर केसरिया लगते हैं
नीले हरे रंग बन आये।
बीच में देखो धवल सतह
बादल छाया है ,
और बीच में उसके देखो
चौबीस तीली का चक्र।
कितनी खुश है प्रकृति आज
नभ में छाया झंडा अपना ,
दूर क्षितिज पर बादल देखो
भारत का झंडा बनकर छाये।
7. बाग आज मुस्काया है
बाग आज मुस्काया है ,
फूलों में उसकी मुस्कान।
चिड़िया चह -चह करती है
उसमे है सुन्दर प्रकृति गान।
बाग आज मुस्काया है
उस पर बसंत छाया है।
हर प्राणी है आज प्रसन्न
आसमान में छाया रंग।
8.प्यारी झील
प्यारी झील हरी हलकी सी ,
नीला पानी फैला सुन्दर ,
लहरें तैर रहीं मतवाली।
प्यारी झील हरी हल्की सी।
नन्ही नन्ही लाख मछलियां ,
लाख कहानी लेकर बैठीं ,
कहतीं आओ पास हमारे ,
तुम भी अपनी कहो कहानी।
9.नदी किनारे हरे पेड़ पर
नदी किनारे हरे पेड़ पर
आये कितने पक्षी उड़कर।
इधर हमारा मौसम बेहतर ,
बर्फ जमी उनके जंगल में।
ठंडी बर्फ जमी पर्वत बन ,
कैसे हम रहते उन पर अब ,
इसीलिए हम उड़ आये हैं ,
इधर इस तरफ मौसम बेहतर।
भारत में ऋतुयें हैं कितनी ,
जलवायु है कितनी बेहतर।
10.रंग बदलने वाली मछली
रंग बदलने वाली मछली
धारा में बहती आयी ,
उसे देखकर कुछ डर भागे
आश्चर्य चकित थे सब के सब।
मछली बोली डरो नहीं ,
दोस्त हमें मानो सब के सब ,
हम सभी सुनेगें कथा कहानी ,
भारत की बातें नयी पुरानी।
11.पशु पक्षी तक सारे खुश
मकरंद सुवासित फैला है ,
कीट पतंगों से लेकर
पशु पक्षी तक सारे खुश ,
यहाँ सभी प्राणी मानव
भर भावों में अमृत कोष
हैं भारत भावों से हर्षित ।
देखा था दिन में फूलों पर
भ्रमर किस तरह गुंजाते ,
कितना प्यारा राग छेड़
कैसा संगीत सुनाते।
मृदुल गंध से पूर्ण सुवासित
अपनी धरती ,
मनमोहक रोचक खेलों से
अपनी धरती।
12.मैंने भारत की कही कहानी
सो जा शिशु अब रात आ घिरी
कल फिर पुष्प हँसेगें ।
हम सब सूरज के प्रकाश में
बहार निकल पड़ेंगे।
निशा घिरी है सो जा शिशु अब
मैंने भारत की कही कहानी ,
भारत माता के वैभव की ,
इस धरती की अमर कहानी।
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह के विषय में
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, डॉ राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान 2020 ,एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सत्रह पुरस्कार प्राप्त हैं ।