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बाल कविता – नन्ही सी दुनिया बसाये (भाग-4)- सुधा वर्मा

बाल कविता – नन्ही सी दुनिया बसाये (भाग-4)- सुधा वर्मा

भोलेपल  और मासूमियत से भरा होता है। वह बोलना सीखता है। वाक्य बनाना सीखता है। कुछ कल्पनायें करता है । फिर उस कल्पना को साकार करना चाहता है। कभी कभी यह कल्पना अनोखी होती है।

       वह सोचता है पेड़ पौधे बातें कर रहे हैं। उनके चेहरे को देखकर बोलता है –“माँ आज चिड़िया भूखी है, उसे खाने को दो”।

“माँ देखो, बंदर की तबीयत खराब है -तभी वह उदास बैठा है।”

सजीव के साथ साथ बचपन निर्जीव  के बारे में भी सोचता है। यह बाल गीत बच्चों को कल्पना लोक मे ले ही जायेगी और उसे उनके यथार्थ को भी बतायेगी। इन गीतों मे बच्चे के आसपास के परिवेश के ही बारे में बताया गया है। पानी की बूंदे ,जो बच्चों के लिये अनोखी होती है, पानी में बुलबुले बनते हैं और फिर कुछ दूरी तक बहने के बाद, फूट जाते है। मन उसके साथ दौड़ता है और बच्चा भी कूदने लगता है।

           हर मौसम का आनन्द वह अपने अनोखे तरीके से लेता है।  हाथी ,बंदर ,फिरकी, चींटी -सब उसके आसपास के हैं, जिससे वह कुछ सीखता है।  उनकी भावनायें उनकी हरकतें, खाने की चीजें, और रोज की दिनचर्या, बच्चे के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होती है।गीतों में गेयता आवश्यक नहीं, अभिनयात्मक ढंग  से पढ़ते हुए,बच्चों को सिखाया जा सकता है। अभिनय का प्रभाव बच्चों।पर बहुत अधिक पड़ता है। इससे बच्चे कुछ सीखते हैं अभिनयात्मक शब्दों का प्रभाव बच्चों पर जल्दी पड़ता है,–क्योंकि बच्चे नकल जल्दी करते हैं। उनमें ग्रहणशक्ति तीव्र होती है।

        नबाल मनोविज्ञान कहता है कि बच्चे अपने परिवेश से सीखते हैं। हम उस परिवेश से सीखते बच्चों को एक दिशा दे दें तो खेल से सीखी हुई सीख को, वह जीवन भर नहीं भूलता है। वही बातें उनके व्यक्तित्व में दिखाई देती है। तीन से पाँच साल तक की उम्र में बच्चे के मस्तिष्क का पूर्ण विकास हो जाता है। हमें उस बाल रुप में ही बच्चों को नैतिकता  सिखानी चाहिये ।

 आपके हाथ में “अलबेले बुलबुले” गीत संग्रह  हैं। अब आप इसे चित्रों के माध्यम से बच्चों को पढ़ायें।

          मेरा बचपन  गीतों और कहानियों  के बीच ही बीता है। मैं प्रकृति के बीच में बहुत कुछ सीखी थी।माँ बहुत लोक कथायें सुनाती थी। मेरे  पिताजी जब भी मुझे साइकिल पर बैठाकर घुमाने ले जाते ,तो हर दृश्य को गुनगुना कर बताते। साथ में मैं भी वैसे ही बोलती।

          मेरी लाडली पोती “आद्या” कोविद के दूसरे चरण में पैदा हुई थी। घर पर सब लोग थे। मैं उसे हवा, पंखा, पर्दे पर कविता सुनाते रहती थी। बोलने लायक हुई, तो वह दोहराने लगी। उसी समय इन गीतों ने जन्म लिया। आज “आद्या ” हिंदी अँग्रेजी में बहुत से गीतों को सुनाते रहती है। मैनें “आद्या” के साथ एक दुनिया बसा ली। बाल मन की उत्सुकता को गीतों के माध्यम से बताना बहुत ही सुखद होता है। वह नहाते समय, खेलते समय बस गाते रहती है। मैं बहुत से गीतों को उसे सुना चुकी हूँ। आज मैं अपने इस बाल गीत संग्रह को अपनी लाडली पोती “आद्या” को समर्पित करती हूँ।

सुधा वर्मा                  
प्लाट न. 69,”सुमन”
सेक्टर1,गीतांजली नगर रायपुर ,
छत्तीसगढ़
पिन -492001
मो. 94063 51566

 

31.गेड़ी

रामू ने एक जुगत लगाई
बाँस से गेड़ी बनाई।

गेड़ी को चौपाल में लाया
रामू ने उसे बहुत चलाया।

चरमर की आवाज़ आई
ऐसा लगा उसने हमें बुलया।

गन्नू मन्नू ने दौड़ लगाई
सबने अपनी पारी बँधाई।

पारी-पारी से सबने गेड़ी चलाई
रामू की जुगत सबके काम आई।

32.पिकनिक

जंगल-जंगल हवा चली है,
पिकनिक मनाने की बात चली है।

हाथी ने
बहुत से फल तोड़े,

भालू ने शहद लाया
बंदर ने केला

आज शेर ने उपवास रखा
चीते ने हिरण को बुलाया

सबने उसे बहन बनाया
सबने मिलकर फल खाया

शहद से अपनी प्यास बुझाई

सबने मिलकर
ता ता थइया किया।

जंगल ने प्यार का संदेश दिया।
चीते शेर ने बच्चों को

न खाने का प्रण लिया।
पिकनिक आई खुशियाँ लाई।

33.आग

देखो-देखो दीपावली आई
मीना ने फुलझड़ी जलाई

चुन्नु ने चकरी लाई
मुन्नु ने उसे चलाई

मीना ने फिर लकड़ी लाई
सीता माचिस लेकर आई

चुन्नु ने उसे जलाई
सबने की हाथों की सिकाई

देखो कितने काम की है आग

34.घड़ी

टिक-टिक करती घड़ी
ट्रिन-ट्रिन करके हमें उठाती।

दोनों हाथ फैलाकर
दिनभर समय हमें बताती ।

दोनों काँटे चलते रहते
दोनों काँटे गले मिलते

जब होती दोपहर।
जब होती सुबह ।

दोनों काँटे आमने-सामने होते
होती जब शाम।

सूरज अपने घर जाता
अलविदा कहकर मुस्कुराता ।

टिक-टिक करती घड़ी
ट्रिन-ट्रिन करके हमें उठाती।

दोनों हाथ फैलाकर
दिनभर समय हमें बताती

35.खोज करने की इच्छा

मम्मी मुझे खोज करने दो
अपनी इच्छा पूरी करने दो।

डिस्कवरी देख-देखकर
खोज ऐसी करूँगा
आराम तुम्हें दे दूँगा।
खाना न बनाने की इच्छा

हवा खाकर पूरी कर दूँगा।
मटर पनीर की होगी गोलियाँ

चावल का होगा सूप।
चाय होगी सूँघने के लिये

रोटी होगी देखने के लिये।
मम्मी तुम दिनभर आराम करना

मेरे साथ बैठ डिस्कवरी देखना।

मम्मी मुझे खोज करने दो
इच्छा पूरी करने दो।

डिस्कवरी देखने दो।
डिस्कवरी देखने दो

36.चिड़िया चूँ-चूँ बोल रही

चिड़िया चूँ-चं बोल रही है
पात-पात में डोल रही है।

रामू से वह बोल रही है
गुमसुम तुम क्यों बैठे हो?

नीले गगन को देख
क्या सोच रहे हो?

छाँव पेड़ की तुम्हें बुला रही
चिड़िया चूँ-चूँ बोल रही।

डाल-डाल में कूदो तुम
पात-पात को छूओ तुम।

प्यार के दो बोल बोलो तुम
चिड़िया चूँ-चूँ बोल रही।

37.हमेशा रहोगे तुम स्वस्थ

देखो आज है स्कूल खुला
तुमने अपना बस्ता देखा।

एक बॉटल सेनेटाइजर की रखो
कुछ पेपर नेप्कीन भी रखो।

हाथ में लगा सेनेटाइजर
बस से चढ़ना और उतरकर।

एक मीटर की दूरी बनाकर
चलना तुम बच्चों के संग।

कक्षा में जाकर पोंछना
अपनी कुर्सी और टेबल।

पेपर नेप्कीन का करना
उपयोग खुलकर।

फेकना सब तुम
बंद डस्टबिन पर।

बैठना तुम कर्सी पर
एक छोड़ एक पर।

पीना अपना पानी

खाना हाथ धोकर।
टिफिन न खाना किसी का।

देना न तुम सब्जी किसी को
हाथ धोकर वापस आना।

शौचालय जाने से पहले
अच्छे से पानी डालना।

वहाँ से निकलने के पहले
अच्छे से पानी डालना।

पढ़ना है तुम्हें अब
किसी से पीछे न रह जाना।

स्वच्छता ही रखेगी जीवन स्वस्थ
हमेशा रहोगे तुम स्वस्थ।

38.सर्दी आई

सर्दी आई सर्दी आई
धूप गुनगुनी बहुत भाई।

घर घर निकली रजाई
मफलर स्वेटर सबको भाई।

कुल्फी लगी रोने
कूलर चली सोने।

शरबत को आई सुस्ती
धूप करने लगी मस्ती।

अलाव सबने जलाई
हाथों में कुछ गर्मी आई।

पैरों की ठिठुरन मुस्काई
सर्दी आई सर्दी आई।

39.चिड़िया रानी

बड़े सवेरे मुर्गा बोला
चिड़ियों ने अपना मुँह खोला।

आसमान पर लगा चमकने
लाल लाल सोने का गोला।

ठंडी हवा बही सुखदाई
सब बोले दिन निकला भाई।

आजा आजा चिड़िया रानी
कह दो अपनी नई कहानी।

मीठे-मीठे गीत सुनाओ
दाना खा पानी पीकर जाओ।

एक चिड़िया के बच्चे चार
घर से निकले पंख पसार।

पूरब से पश्चिम को जाएँ
उत्तर से दक्षिण को जाएँ।

घूम-घामकर घर को आएँ
आकर माँ को बात बताएँ।

देख लिया जग सारा
अपना घर है सबसे प्यारा।

40.शेर आया पिंजरे में

मिट्ठू ने आवाज लगाई
शेर आया पिंजरे में भाई।

शेर है जंगल का राजा
कैसे पिंजरे में आया,

रामू ने एक जुगत लगाई
गड्ढा खोदा बड़ा-सा भाई।

एक बड़ा पिंजरा उसमें डाला
पिंजरे को पत्तों से ढक डाला।

शेर ने एक छलाँग लगाई
शेर कूदा पिंजरे में भाई।

शेर हुआ पिंजरे में बंद
देख रहे जिसको हम।

हाँव-हाँव चिल्ला रहा
क्यों कूदा था सोच रहा।

मिट्ठू ने एक बात बताई
सूखे पत्तों पर देखकर चलना भाई

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