बाल कविता संकलन (2021): सूसा, नीली चिड़िया और गिरगिट भाग-2
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
बाल कविता संकलन सूसा,नीली चिड़िया और गिरगिट (2021) को हम धारावाहिक रूप से प्रकाशित कर रहे हैं। इसमें पचास कवितायेँ हैं। प्रथम कड़ी में 11 कवितायेँ प्रस्तुत किया था। दूसरी कड़ी की 15 कवितायेँ प्रस्तुत हैं।
पाठकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। उन्हें बहुत- बहुत धन्यवाद ।
1 .उछल कूद करता आ बछड़ा
उछल कूद करता आ बछड़ा ,
खड़ा हुआ जा बीच पार्क में ,
बच्चे खेल रहे थे क्रिकेट ,
उसी पार्क में।
खेल रुका बच्चों ने सोचा ,
कहीं न इसको आये चोट !
बछड़ा बोला, ” नहीं दोस्त
हमको भी मौका दो , हम खेलें
अगर कैप्टन की मंजूरी
हम भी मेम्बरशिप ले लें।
2.मेढक दल का आयोजन
मेढक दल का आयोजन ,
आज सवेरे मेढक दौड़।
पीला मेढक , भूरा मेढक
नीला मेढक , छोटा मेढक ,
मोटा मेढक , पतला मेढक
सब पहन कर आये
जम्पिंग कोट।
सूसा चिड़िया बन कर रेफरी
बैठ गयी थी डाली पर
बोलेगी सब दौड़ेंगे अब
हम देखेंगे उड़ -उड़ कर।
3.नीला नेवला
नीला नेवला बाहर निकला
पार्क में अपने घर से
उसे देखकर बच्चे भागे
ठिठक रुका वह चिंतित होकर।
चूहा बोला , नीला भाई
बच्चे शायद डरे देखकर
रुको इन्हे हम यहाँ बुलाते
और तुम्हारा परिचय देते।
जल्दी वे दोस्त तुम्हे समझेंगे
और खेलने लग जायेंगे।
4.गीत गा रहे विहग
धुली हुयी सड़क ,
धूप हुयी चटख।
बीत गयी रात
चमक उठा प्रात।
गीत गा रहे विहग
हुआ चमकदार गगन
प्रसन्न है हरेक मन ,
प्रसन्न है धरा गगन।
5.धुली हुई हैं सभी पत्तियां
धुली हुई हैं सभी पत्तियां
रात हुई बरसात ,
सूरज की किरणे फैलीं
हुआ चमकता प्रात ।
सभी काम पर निकल रहे हैं,
बच्चे निकले विद्यालय को
अच्छा मौसम बड़ा सुहाना
सबको करना अपने काम।
6.सूसा और पॉम
सूसा आयी आया पॉम
सूसा चिड़िया , पप्पी पॉम।
दोनों ने एक बनाया खेल ,
सूसा छिपती पॉम ढूँढता,
पॉम छिपे तब उसको सूसा।
जब तब एक नहीं छिप जाता ,
दूसरा आंख बंद किये रहता।
देर हो गयी खेल खेलते ,
आये नन्हे नन्हे दोस्त ,
दोनों ने फिर उन्हें बताया
कैसे खेलेंगे यह खेल।
7.लम्बी पूँछ वाली चिड़िया
लम्बी पूँछ वाली चिड़िया ,
लॉन्ग टेल्ड विंडो बर्ड
दोनों रहती साथ -साथ।
इधर घूमती , उधर घूमती ,
जो मिलता उससे करती बात।
सोच रहीं हैं कहाँ बनाऊँ
एक घोसला सुन्दर सा ,
जिसमे बच्चे रहें सुरक्षित ,
माहौल मिले कुछ अच्छा सा।
8.धुरंधर मेढक और उसके दोस्त
निकला आज धुरंधर मेढक ,
बोला , ” चलते ,चलो बाजार । “
दोस्त कई थे ,बोले, “भाई
अभी करो थोड़ा इंतजार।
ठण्ड अभी है , गयी नहीं ,
बस ऐसे ही आज गरम है मौसम
मैंने कल अखबार पढ़ा था ,
आयेगी ठंडक अभी लौटकर।
मौसम ज्यों खुशनुमा बनेगा ,
हम बाहर जाये आयेंगे
ठण्ड घटेगी ऋतु बसंत में
बाहर आनंद मनायेंगे।
9.प्यारा पॉम
प्यारा कुत्ता पॉम
उसकी है दुकान ,
हर ग्राहक से बातें करता
मिलता सब सामान।
पॉम की दुकान।
हर बाजार से सस्ता कहता ,
अपना माल बताता अच्छा
सभी ग्राहकों को खुश रखता
बातें करता , बातें करता ,
पॉम की दुकान।
10.खापी
खापी मेढक उछल उछल कर
गीत गा रहा वर्षा ऋतु के,
बता रहा वर्षा की महिमा
महिमा जल की , वर्षा ऋतु की।
खाकी चिड़िया भी उड़ आयी ,
सुनकर उसके प्यारे गीत ,
लगी बोलने खापी भाई ,
वर्षा ऋतु है अपनी मीत।
वर्षा देती है जीवन ,
खुशियों से भर जाता मन।
11.खाकी
खाकी चिड़िया ने उड़- उड़ कर ,
पर्यावरण के गाने गाये।
कैसे हो पर्यावरण की रक्षा
इस पर उसने गीत बनाये।
पर्यावरण है जीवन अपना ,
इसकी रक्षा स्वयं सुरक्षा।
खाकी बोली सभी समझ लो ,
जल ,वायु ध्वनि के प्रदूषण
रखो धरा को स्वच्छ हमेशा ,
इससे सबकी जीवन रक्षा।
12.जुगनू
मैं चलता फिरता प्रकाश हूँ ,
मैं जुगनू नील गगन का
मैं चमकता हूँ तारों सा ,
शान हूँ मैं अपने उपवन का।
वर्षा ऋतु की रातों में
संध्या होते ही आता मैं ,
फिर अपना प्रकाश फैलाकर
हरी पत्तियां चमकाता मैं।
बच्चे देख हमें खुश होते
हमको खुशियाँ अच्छी लगतीं।
मैं नन्हा जुगनू उपवन का
मैं जुगनू नील गगन का।
13.भौंरा
मैं उड़ आया हर उपवन में
मैं उड़ आया दूर बाग में।
फूल हर तरफ दोस्त हमारे ,
वृक्ष हमें लगते हैं प्यारे।
मैं नन्हा भौंरा उपवन का।
मैं बसंत में आ जाता हूँ ,
ले अपने सुन्दर गाने प्यारे।
फूल प्रेम से हमें बुलाते ,
फिर अपना मकरंद खिलाते।
हमसे कहते गाना गाओ ,
हर तरफ घूम खुशियाँ फैलाओ।
14.गाने वाली चिड़िया
हुआ सवेरा चिड़िया आयी ,
गीत नये लेकर है आयी।
घूम -घूम कर इधर उधर ,
बच्चों को वह जगा रही है
अपने गाने सुना रही है।
थोड़ी देर सुनेंगे गाने ,
बच्चे सभी जगेंगे।
फिर घर से बाहर आकर
मिलकर सब खेलेंगे।
15.ज्यों बसंत की फैली खुशबू
ज्यों बसंत की फैली खुशबू ,
पक्षी खुश हो लगे चहकने ,
उनके सुन्दर गीत नये ,
बच्चों ने संगीत नयी दी।
बच्चे थोड़ा व्यस्त हो रहे ,
अभी परीक्षा होने वाली।
फिर भी वो सब खुशी मनाते ,
पक्षी , फूलों , भौंरों के संग।
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह के विषय में
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, डॉ राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान 2020 ,एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सत्रह पुरस्कार प्राप्त हैं ।