बाल कविता संकलन (2021): सूसा, नीली चिड़िया और गिरगिट भाग-3-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल कविता संकलन (2021): सूसा, नीली चिड़िया और गिरगिट भाग-3

-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल कविता संकलन (2021): सूसा, नीली चिड़िया और गिरगिट भाग-3
बाल कविता संकलन (2021): सूसा, नीली चिड़िया और गिरगिट भाग-3

बाल कविता संकलन सूसा,नीली चिड़िया और गिरगिट (2021) को हम धारावाहिक रूप से प्रकाशित कर रहे हैं। इसमें पचास कवितायेँ हैं। प्रथम कड़ी में 11 कवितायेँ प्रस्तुत किया था, दूसरी कड़ी की 15 कवितायेँ। तीसरी कड़ी में 12 कवितायेँ प्रस्तुत हैं। पाठकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। उन्हें बहुत- बहुत धन्यवाद ।

1.बेतू

बेतू छोटा नन्हा फूल
हरी घास पर चमक रहा
तारों जैसा नन्हा फूल।
बेतू की हैं दोस्त चींटियां,
उससे मिलने आती रोज
सुन्दर सुन्दर फूल उगाती ,
घास पर कितने नन्हे फूल ,
बेतू छोटा नन्हा फूल।

2.लप्पू

लप्पू मेढक ने सपना देखा
ली उसने इतनी बड़ी छलांग
पहुंच गया उत्तर अमेरिका
कितने देशों को कर पार।

वह कूदा पार हिमालय के ,
कितने सागर मिले बीच में
कितने बड़े बड़े जंगल
पार किया उसने मरुस्थल
निकला बर्फीले देशों से होकर।

3.खप्पू

गाना ही गाता रहता है ,
खप्पू मेढक सारे दिन ,
उसे पढ़ाई की न चिंता
गाना गाता पूरे दिन।

उसके गाने में भूगोल
उसके गानों में विज्ञान ,
इतिहासों पर भी गाने हैं
उसके गानों में कितना ज्ञान।

4.चुप्पू

चुप्पू है खप्पू का दोस्त
उसको ड्राइंग पेंटिंग प्यारी ,
पेंटिंग लाखों रखी बनाई।
खप्पू के गानों से मिलता
उसको तरह तरह का ज्ञान
कैनवास लेकर बैठा रहता ,
रंग सोचता , फिर भरता है ,
कलाकार चुप्पू महान।

5.एक गिलहरी लेकर आयी

एक गिलहरी लेकर आयी
कहीं दूर से टूटा मंझा ,
टूट गयी थी डोर पतंग की
पड़ा हुआ था उलझा -उलझा।
कौआ आया ,हंसकर बोला ,
“बहन कहाँ से लेकर आयी ?
यह तो कितना खतरनाक है ,
कितनों का डैना इसमें उलझा !”

“सत्य कह रहे कौआ भाई
इसमें कितने उलझे लोग ,
फिर भी इसको इधर -उधर
आये दिन गिराते लोग। “
जहाँ मिलेगा गिरा पड़ा यह
सुलझाउंगी इसे उठाकर
लोग रहें इससे बचकर
मेरा यही चला अभियान।

6.ओज और मारको

छोटा बन्दर सुबह सुबह ही
जग कर आता ,करता खेल
उसका दोस्त मारको कुत्ता
उसकी करता रहता खोज।
छुपता कभी पेड़ पर बन्दर
छुपता कभी किसी झाड़ी में ,
ढूंढ न पाता उसे मारको ,
फिर चिल्लाता,
” कहाँ हो ओज ! “
कुत्ता जब हो परेशान ,
बेहाल घूमता इधर उधर
बन्दर आता उसे डराता ,
कहता आया ये लो ओज !

7.नाटक: मेढक और लोमड़ी के

नीली चिड़िया , भूरी चिड़िया
दोनों को जाना है उड़कर
पार झील के मेला है ,
जिसमे होने हैं नाटक ,
मेढक और लोमड़ी के ।
चार -चार थिएटर आये हैं ,
और कलाकारों ने अपने
नाटक रटे -रटाये हैं।
कैसे दूऱ करें प्रदूषण ,
कैसे सुन्दर धरा बनायें
सब अपनी बारी आने पर
मिलकर यही बतायेंगे।

8.लीबू और व्हेल

मिली व्हेल से छोटी मछली
पूछा , “हमसे रेस करोगी ?”
व्हेल देख उसको मुस्काई ,
प्यार से उसको पास बुलाकर पूछा ,
मन में ये बात कहाँ से आयी ?
मछली के प्यारे बच्चे
कैसे हमसे रेस करोगे ?
छोटी ग्रन्ट मछलियों के संग
जाओ खेलो लीबू बच्चे।
लीबू बोला , व्हेल आंटी
शायद मुझसे डरती हैं ,
इसीलिए तो रेस कहा जब ,
आप टालने लगती हैं !

9.मेनका मैना

उडी मेनका मैना दिन भर
और बताया सबको जाकर
डरा रहे हैं कई दिनों से
बाज और उल्लू आ आ कर।
छुपकर यहाँ पार्क में दोनों
अक्सर बैठे रहते हैं
छोटे चूहों,चिड़ियों को
देख पकड़ ले जाते हैं।
इससे हम सबकी शांति पर
खतरा है मंडराया ,
कैसे हम इससे बच पायें ,
यह मेरी समझ न आया।
बोले कौए और कबूतर
डरो नहीं तुम बिलकुल भी,
सावधान हम सभी रहेंगे ,
मिलकर उन्हें भगायेंगे।
पहले चलो उन्हें समझायें ,
नहीं शांति पर करें आक्रमण ,
यदि वे इसपर न मानेगें ,
हम मिलकर उन्हें हरायेंगे।

10.नन्हे हमिंग बर्ड के बच्चे

खेल रहा है बगुलों के संग
छोटा नन्हा पक्षी आकर ,
समझ न पाये छोटे बच्चे ,
इसको क्या कहते हैं हम सब।
बुलबुल बोली प्यारे बच्चों
ये नन्हे हमिंग बर्ड के बच्चे ,
देखो कैसे ये उड़ते हैं ,
कितने प्यारे दिखते हैं।

11.छोटी गौरैया और बच्चे

कई दिनों के बाद दिखी छोटी गौरैया ,
बच्चे चहके खुश होकर
उन्हें दिखी छोटी गौरैया।
बोली कहाँ गयी थी तुम
नहीं पड़ रही यहाँ दिखाई !
अब तो आया करो इधर
शीत बीत कर गरमी आयी।
बोली गौरैया , ” छोटे बच्चों ,
गरमी सर्दी की बात नहीं।
इधर बहुत था प्रदूषण ,
हम उधर गये थे पार नदी।

12.नीली नीली चिड़िया

नीली नीली दोनों चिड़िया
चमकीली चमकीली सी,
कूद रहीं हैं ,फुदक रही हैं ,
डाली पर पत्तों के ऊपर।
बोली उनमे छोटी वाली ,
है बात बसंत की प्यारी ,
सूखी धरती हरी भरी है
सजी सजाई धरती न्यारी।

प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह के विषय में
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, डॉ राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान 2020 ,एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सत्रह पुरस्कार प्राप्त हैं ।
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