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बाल कविता संकलन (2021): सूसा, नीली चिड़िया और गिरगिट भाग-4-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल कविता संकलन (2021): सूसा, नीली चिड़िया और गिरगिट भाग-4-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल कविता संकलन (2021): सूसा, नीली चिड़िया और गिरगिट भाग-4

-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

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बाल कविता संकलन (2021): सूसा, नीली चिड़िया और गिरगिट भाग-4

बाल कविता संकलन सूसा,नीली चिड़िया और गिरगिट (2021) को हम धारावाहिक रूप से प्रकाशित कर रहे हैं। इसमें पचास कवितायेँ हैं। प्रथम कड़ी में 12 कवितायेँ प्रस्तुत किया था, दूसरी कड़ी की 15 कवितायेँ, तीसरी कड़ी में 12 कवितायेँ। चौथी कड़ी में 11 कवितायेँ प्रस्तुत हैं।
पाठकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। उन्हें बहुत- बहुत धन्यवाद एवं आभार ।

1.छोटा टिड्डा और मेढक

छोटा टिड्डा और मेढक
छोटा टिड्डा झूल रहा है
गीत गा रहा है मेढक।
बादल काले छाये हैं ,
दोनों के हैं मन चंचल।
सोच रहा है टिड्डा ,अब तो
सुन्दर नरम घास निकलेगी ,
उस पर कूदेंगे हम चढ़कर
खायेंगे उसे पेट भर कर।
मेढक सोच रहा बारिश में
दिन भर भीगेंगे , तैरेंगे ,
भर जायेंगे सभी सरोवर ,
दोनों खुश हैं घटा देखकर।
छोटा टिड्डा घूम रहा है ,
गीत गा रहा है मेढक।

2. आया नन्हा चींटा कहने

आया नन्हा चींटा कहने,
प्यारे प्यारे फूल आ गये।
घास जहाँ वह रहता है ,
उन घासों में भी फूल आ गये।
है बसंत का मौसम आया ,
फूलों से भर गया बाग़।
आओ बच्चों घर के बाहर ,
निकलो , गाओ प्रकृति राग।

3.कोयल प्यारे गीत सुनाती

कोयल प्यारे गीत सुनाती,
है बसंत की ऋतु आयी।
घूमेगी वह वन उपवन में
गायेगी वह गीत नये फिर
निकल रही हैं उधर नीम में
प्यारी प्यारी नयी पत्तियां ,
नयी कोपलें , नयी सुगंधें
हर तरफ धरा खुश है महकी है।

4. रात घिर गयी चमके तारे

रात घिर गयी चमके तारे ,
काम हो गये दिन के सारे।
अब सोयेंगे , स्वप्न दिखेंगे ,
कितने जंगल पक्षी कितने।
कितनी नदियां ,कितने सागर ,
कितने सुन्दर लगते सारे।
जल्दी सो जाओ तुम सूसा
उठना जल्दी सुबह सवेरे।
फिर देखोगे उगता सूरज
सुस्तायेंगे तब ये तारे।

5. खेल रहे हैं सभी कबूतर

खेल रहे हैं सभी कबूतर
आसमान में उड़ते उड़ते
होड़ लगा कर इनकी टीमें
दौड़ रहीं हैं आगे पीछे।
तरह तरह के खेल कर रहे
बच्चे देख उन्हें खुश होते
और कबूतर इससे खुश हो
नये -नये फिर खेल दिखाते।
बच्चे कितने खुश दिखते हैं
खुश हैं सारे वहां कबूतर।
खेल रहे हैं सभी कबूतर।

6. बाजो और नैनी

स बसंत में मधुमक्खी ,
सुना रही है नये तराने।
कितने सपने लेकर बैठी
देख प्रकृति कितनी खुश है।

कहती बाजो इस बसंत में
कई हज़ार फूल देखेगी
मँडरायेगी दूर दूर तक
कई कई देशों तक जाना।

नैनी मधुमक्खी सुनती थी
बोली बाजो यहीं रहो ,
हर जगह नहीं ऋतु एक तरह की ,
कहीं शीत है अभी बनी।

7.सूसा और मोनी

छोटी मैना सोच रही है
किसने पानी रक्खा छत पर ,
कितना प्यारा मिटटी का
चमचम करता है बर्तन।

सूसा बोली अंकल ने
पानी रक्खा है मोनी
और बिखेरा सुबह सुबह ही ,
ज्वार बाजरे के दाने।

सुबह सुबह हम रक्खेंगे
छत पर अब दाना पानी ,
जा कर कह दो सबसे
सुनो ध्यान से मोनी रानी।

8. मेनो और पिराना

चमकीली दोपहर थी चमचम ,
धारा चाँदी सी जगमग
फुली पिराना तैर रही ,
बिजली की तेजी से।
तभी अचानक छोटी मछली
आयी उसके पास तैरकर
बोली फुली बताओ हमसे
क्या तैरोगी रेस लगाकर।
इतनी भरी भरकम हो तुम
फिर भी हमसे रेस लगाओ
फुली देखकर मुस्काई
बोली मेनो अभी नहीं,
बच्चे हो , थोड़ा बड़े बनो
फिर तैरेंगे साथ तुम्हारे
आओ अभी किताब पढ़ो।

9. पहुंची भेड़ आज सैलून

पहुंची भेड़ आज सैलून ,
हेयर कटिंग उसको करवाना ,
बड़ी भीड़ थी आज वहाँ पर ,
भरा खचाखच था सैलून।
उसे देखकर बोला नाई ,
स्वागत है बहिन यहाँ पर आज ,
धन्य हुआ सैलून हमारा
तुम आयी कटिंग करने आज।
पहन तुम्हारे ऊन का स्वेटर,
हम सब ठण्ड मिटाते है।
खुश कितने हम सभी देखकर,
तुम आयी कटिंग कराने आज।

10.निकले कीड़े, मेढक बाहर

निकले कीड़े, मेढक बाहर
लेकर शीत की ठिठुरी बातें
बता रही कैसे कैसे
उन सबने काटीं रातें।
ठण्ड बड़ी थी ,अक्सर सोये
मिटटी में इधर उधर छिपकर।
देखे कितने कैसे सपने
सभी बताते घूम -घूम कर।
बीती शीत नया है मौसम ,
खुशियां ले छाया बसंत
हर तरफ ख़ुशी हर तरफ गीत
छाया है सुन्दर बसंत।

11. मेढक और चिड़िया

मेढक सोच रहा है कैसे
मैं सीखूं उड़ना ,
जल में रहना और कूदना
बाहर जल के मिटटी पर।
इतनी बातें सीख चुका हूँ ,
कितनी बातें जान चुका हूँ।
चिड़िया बोली मेढक भाई
रहने तो दो कुछ हम सबको।
जीव जंतु अक्सर होते हैं ,
कुछ जलचर कुछ थलचर।
तुम तो जल में थल में
दोनों में रहते बने उभयचर।
मेढक बोला सही बात है ,
पर मेरी बहन बताओ फिर भी ,
कैसे मैं सीखूँ उड़ना , कैसे मैं सीखूं उड़ना ।

प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह के विषय में
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, डॉ राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान 2020 ,एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सत्रह पुरस्कार प्राप्त हैं ।

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