बाल साहित्य (नाटक )-‘बच्चा और गिलहरी दोस्त’-डॉ अलका सिंह

बाल साहित्य (नाटक )-‘बच्चा और गिलहरी दोस्त’-डॉ अलका सिंह

पात्र

भोलू : बच्चा
गोलू : गिलहरी
मोलू : गिलहरी

bachacha aur gilhari

दृश्य -1 : पार्क

(दो गिलहरियां एक रूठे बच्चे को मना रही हैं। बच्चा एक पेड़ से चिपका रो रहा है। )

भोलू : गोलू , आप जाओ , हम मानने वाले नहीं। हम आपके साथ आज तो बिलकुल नहीं खेलेंगे।
गोलू : अरे भोलू ऐसा क्या ! शीतलहर चल रही है , न तुम्हारा आना हुआ , और न ही मेरा।
भोलू : अरे तो शीतलहर का क्या , हम तो आ ही जाते ,तुमने आकर हमें जगाया क्यों नहीं , सुबह सुबह !
गोलू : अरे चलो , ठीक है , अब आज से तुमको हम रोज़ ही जगायेंगे। रोज़ सुबह आकर , रोज़ ही।
मोलू : चलो कुछ बातें करते हैं।
गोलू : बातें क्या , चलो गीत गाते हैं ! चलो गायें
मोलू : ठण्ड के गीत ! ठण्ड में तो सिर्फ दाँत किटकिटाते हैं , गीत कहाँ गोलू भाई।
भोलू : अरे तुम्हे नहीं पता , मैं गाऊँगा और आप दोनों हमारे साथ उसे दोहराना।

दृश्य -2: पार्क का कोना

(भोलू गीत गा रहा है। गोलू और मोलू दोनों ओर खड़े गीत को दोहरा रहे हैं। तीनों गीत के साथ नृत्य भी कर रहे हैं।)

गीत
ठण्ड हमें अलसाने आयी
जाने क्यों हमें सताने आयी
घर में रहो , न बाहर जाओ
जाना पड़े अगर बाहर तो
कपड़ों में तुम ढक कर जाओ।
ठण्ड हमें अलसाने आयी
जाने क्यों हमें सताने आयी।
दोस्त नहीं आते हैं बाहर
पशु पक्षी भी छिपे हुए हैं
ठण्ड हमें अलसाने आयी
जाने क्यों हमें सताने आयी ।

गोलू : भोलू भैया , तुमने बहुत अच्छा गीत याद किया है।
भोलू : (खुश होकर ) अरे इसे तो मैंने ही लिखा है। खुद लिखा है इसे मैंने।
मोलू : अरे बहुत अच्छा , वाह ! वाह !
भोलू : धन्यवाद दोस्तों , बहुत अच्छा धन्यवाद ! अब कल फिर मिलेंगे और आप दोनों लोग भी अपने गीत लाना।

दृश्य -3

(भोलू का कमरा, भोलू सोया हुआ है। बाहर गोलू और भोलू उसे आवाज़ देकर जगाते हैं। भोलू की नींद टूटती है लेकिन वह फिर सो जाता है।)

गोलू : यार भोलू , यह लड़का जागने वाला नहीं !
मोलू : लग तो ऐसा ही रहा है !
गोलू : लेकिन कल तो कह रहा था की जगाया नहीं
मोलू : यही तो है ठण्ड की बात।
गोलू : चल गाना गाते हैं , शायद यह जग जाये।
मोलू : हाँ , हाँ ,धूप वाला गाना।
(गोलू और मोलू दोनों गाते हैं। )
धूप नरम है
चमक रही है ,
चारों ओर उमड़ती खुशियां
सूरज के संग गीत गा रहीं
धूप नरम है चमक रही है
चारों तरफ उमड़ती खुशियां
सूरज के संग गीत गा रहीं
धूप नरम है चमक रही है।
( भोलू अचानक कूद कर कम्बल के बाहर निकलता है। मोलू , गोलू चौंक पड़ते हैं। खुश हैं। )
भोलू : वाह – वाह दोस्तों , खूब रहा आप लोगों का गीत। बस थोड़ी देर रुको , मैं आता हूँ ,खेलने के लिए। आओ कुछ दाने खाओ। )
(गोलू और मोलू भोलू के घर में आ जाते हैं। )

समाप्त

डॉ अलका सिंह के विषय में
डॉ अलका सिंह डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी लखनऊ में शिक्षक हैं।शिक्षण एवं शोध के अतिरिक्त डॉ सिंह महिला सशक्तीकरण , विधि एवं साहित्य तथा सांस्कृतिक मुद्दों पर काव्य , निबंध एवं समीक्षा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त वे रजोधर्म सम्बन्धी संवेदनशील मुद्दों पर पिछले लगभग डेढ़ दशक से शोध ,प्रसार एवं जागरूकता का कार्य कर रही है। वे अंग्रेजी और हिंदी में समान रूप से लेखन कार्य करती है और उनकी रचनायें देश विदेश के पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती हैं। “पोस्टमॉडर्निज़्म”, “पोस्टमॉडर्निज़्म : टेक्स्ट्स एंड कॉन्टेक्ट्स”, “जेंडर रोल्स इन पोस्टमॉडर्न वर्ल्ड”, “वीमेन एम्पावरमेंट”, “वीमेन : इश्यूज ऑफ़ एक्सक्लूशन एंड इन्क्लूज़न”,”वीमेन , सोसाइटी एंड कल्चर” , “इश्यूज इन कैनेडियन लिटरेचर” तथा “कलर्स ऑव ब्लड” , “भाव संचार” जैसी उनकी नौ पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा शिक्षण एवं लेखन हेतु उन्नीस पुरस्कार/ सम्मान प्राप्त हैं। अभी हाल में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उच्च शिक्षा श्रेणी में राज्यस्तरीय मिशन शक्ति सम्मान 2021 प्रदान किया गया है। उन्हें राष्ट्रीय नयी शिक्षा नीति 2020 में विशिष्ट योगदान हेतु राज्य सरकार द्वारा सम्मान पत्र भी प्राप्त है। उनकी पुस्तक कोर्स ऑफ़ ब्लड को यूनाइटेड नेशंस मिलेनियम कैंपस नेटवर्क एवं ग्लोबल अकादमिक इम्पैक्ट के मंच पर 153 से भी ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष चर्चित विषय के रूप में शामिल किया गया है।
पता : असिस्टेंट प्रोफेसर अंग्रेजी, डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, आशियाना , कानपुर रोड, एल .डी.ए. स्कीम , लखनऊ-226012

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