बाल साहित्य:
बच्चों के लिए तीन कवितायें
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
बाल साहित्य:बच्चों के लिए तीन कवितायें -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
बाल साहित्य:बच्चों के लिए तीन कवितायें -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
1.उछल रही है हवा सुहानी-
तोता भी आया दोबारा चिपक रहा उड़ दीवारों से उछल कूद कर धूप अनमनी झांक रही खिड़की के अंदर चिड़िया चहचह करती आयी कानाफूसी करे गिलहरी। उछल रही है हवा सुहानी झोकों को ले सजे सजाये बच्चे अब तक तुम सोये हो देखो उठो सवेरा चहके।
2. फूलों की मुस्कान-
है बसंत , हर दिन हैं खुशियां छोटी छोटी कितनी चिड़ियाँ दूर देश से ले गीतों को हमको यहाँ सुनाने आयीं। फैली खुशियां ,चहकी चिड़ियाँ नयी लहर के गीत हज़ारों फूलों की मुस्कान फैलते हैं बसंत की छायीं खुशियां।
3.झूम रही है हवा सुबह की-
गले मिल रही नयी लतायें झूम रही है हवा सुबह की, हरियाली भी कितनी है खुश सुबह सुबह की धूप निराली। निकल पड़ें हैं मैदानों को बच्चे सुबह सुबह ही जगकर है बसंत की सुबह निराली दिखी सुनहरी डाली- डाली।
(डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी में समान रूप से सक्रिय नाटककार कवि एवं निबंधकार हैं । )