6.झील से उड़कर आये सारस
झील से उड़कर आये सारस
लेकर अपने गीत सरस।
बच्चे उन्हें देख हर्षाये ,
सोचा कैसे पास बुलायें।
इतनी बड़ी किसी चिड़िया को
देखा कभी नहीं बच्चों ने
सारस उनके जितना ऊंचा ,
इतनी सुन्दर बड़ी सी चिड़िया।
सारस नाचें झूम झूम कर
सोचा बच्चो का डर वो भगाये।
झील से उड़कर आये सारस
लेकर अपने गीत सरस।
7.बगुले
बगुले प्यारे श्वेत धवल
कितने बगुले उड़े धवल
खेतों में फैले जल के ऊपर।
अभी उतर कर आ बैठेंगे
अपना ध्यान लगायेंगे।
इतने सूंदर प्यारे हैं,
लगते कितने मनभावन।
बगुले प्यारे श्वेत धवल ,
उड़ते हैं खेतों के ऊपर।
अभी उतर कर आ बैठेंगे ,
अपना ध्यान लगायेंगे।
8.बगुले ने हामी तो भर दी
तोता बोला , बगुले भाई
हम दोनों की बड़ी दोस्ती
क्यों न कहीं घूमने जायें ,
बैठें किसी रेस्त्रां में
कुछ बातें , कुछ गीत सुनायें।
बगुले ने हामी तो भर दी ,
सोच रहा है कहाँ चलें।
मेरा भोजन अलग है इससे
इसका भोजन अलग है हमसे ,
क्या हो जो दोनों को भला लगे !
बगुले ने हामी तो भर दी ,
सोच रहा है कहाँ चलें।
9.गुणा गिलहरी
गुणा गिलहरी चलते चलते
पहुंच गयी नेपाल।
सोच रही थी देखेंगे चलकर
पर्वत वहां विशाल ।
क्षेत्र वहां मैदानी था बस ,
बहराइच होकर आयी थी ,
पर्वत नहीं दिखा उसको।
पुछा लोगो ,मुझे बताओ
कहाँ हिमालय यहाँ विशाल ?
चलते जाना होगा तुमको,
सुनो, गिलहरी गुणा बहन ,
यह मैदानी भाग देश का ,
आगे पर्वत श्रृंखला विशाल।
10.नन्हे चूहों का प्रयास
नन्हा चूहे सीख रहे हैं
नयी नयी तरकीबें ,
कैसे आसानी से काटे
बंध बड़े , या बिल खोदे।
चूहों के सरदार कराते
उन सबसे अभ्यास।
सभी गुणों को जल्दी सीखें
नन्हे चूहों का यही प्रयास।
11.सुबह सुबह
सुबह सुबह की फैली लाली
हरियाली भी ले अंगड़ाई
आज सवेरे मिलने आयी।
कितनी प्यारी प्यारी चिड़ियाँ
बातें करती आयीं चिड़ियाँ।
बच्चों को जब पड़ा सुनाई ,
खुश होकर सब मिलने आये।
खुशबू आयी गीत सुनाते ,
सुबह सुबह का मौसम प्यारा ,
जगना सुबह का कितना प्यारा।
सुबह सुबह की फैली लाली
हरियाली कितनी मुस्काई।
12.बोला सारस
बोला सारस , मेढक भाई
तुम भी थोड़ा घूम कर आओ।
देख रहा हूँ बरसों से तुम
इसी झील में रहते हो ।
सुना है मैंने , पढ़ा है मैंने ,
तुम जल ,स्थल में चलते हो।
सही सुना है तुमने सारस ,
मैं चाहूँ तो बाहर चल दूँ ,
बाहर निकलूं , सैर करूँ ,
धरती पर कितना उछलूँ।
लेकिन मुझको जल ही प्यारा ,
यही मुझे है ठीक किनारा।
13.चाँदी सी गेहूं की बालें
पके खेत गेहूं के सुंदर ,
चाँदी सी गेहूं की बालें।
कल तक फैली थी हरियाली
खेल रहे थे धूप से बादल ,
छोटे छोटे , भूरे बादल।
कोई उनमें हाथी जैसा ,
कोई बकरी का बच्चा।
ऊँट के जैसा कोई बादल ,
कोई बादल घोड़े जैसा।
पके खेत गेहूं के सुंदर ,
चाँदी सी गेहूं की बालें।
धूप कभी खिल जाती हैं ,
बादल ढूंढ के लाती है।
फिर देखो बादल के बच्चे
उनका छिपना दिखना जारी।
14.खेत गेहूं के सुंदर
फसल पकी अब बालें चमकीं,
पके खेत गेहूं के सुंदर ,
सरसों की भी फसल पकी है ,
उसकी फलियाँ झन -झन बजतीं।
हवा जब चलती , फालियाँ बजतीं ,
रुन- झुन सी संगीत तैरती
फसल पकी अब बालें चमकीं,
पके खेत गेहूं के सुंदर।
कृषकों की मेहनत रंग लायी ,
चेहरों पे मुस्कान है छायी।
15.धूल भरी आँधी आयी
धूल भरी आँधी आयी ,
तेज़ हवायें, उड़ते पत्ते ,
काँप रहीं पेड़ों की डाली,
धूल भरी आँधी आयी।
डर से छिपी हुईं चिड़ियाँ ,
और भागती कईगिलहरी।
धूल भरी आँधी आयी।
तेज़ हवायें उड़ते पत्ते ,
काँप रहीं पेड़ों की डाली