37.उड़ता उड़ता पक्षी आया
उड़ता उड़ता पक्षी आया
लिए चोंच में दाना।
उसके दो दो बच्चे बच्चे हैं ,
दोनों ने मुँह फैलाया।
प्यार से उसने चोंच हिलायी
दोनों को पुचकारा ,
फिर धीरे से दाने रक्खे ,
एक एक कर उन्हें खिलाया।
उड़ता उड़ता पक्षी आया
लिए चोंच में दाना।
38.तोता आया गाना गाते
तोता झूम रहा है आज
बादल छाये , मौसम ठंडा।
गर्मी में भी सुबह सुबह ,
कितना मनभावन मौसम।
तोता झूम रहा है आज
झूम झूम कर गाना गाता ,
चारों ओर ख़ुशी फैलाता।
तोता झूम रहा है आज
बादल छाये , मौसम ठंडा।
39.दिन भी कितने रूप दिखाता
ध्यान से देखोगे पाओगे
दिन भी कितने रूप दिखाता।
रंग बिरंगी उषा उतरती ,
फिर सूरज की किरणे आतीं ,
नारंगी प्यारी -प्यारी किरणें
धरती पर आकर इठलातीं।
धीरे धीरे सूरज चढ़ता
दिन बढ़ता है।
दोपहर से होकर धीरे से
शाम फैलती खुशियां लाती।
फिर धीरे से रात फैलती ,
हम सब थक कर सो जाते।
40.मिलो प्रकृति से सरल भाव से
सुनो ध्यान से तो पाओगे
प्रकृति कौन से गीत सुनाती।
कभी हवा में सीटी बजती
कभी गान कुछ और गूंजता।
पानी का कल- कल प्रवाह है ,
पके खेत में अलग गान हैं।
अलग रंग हैं ,अलग ढंग हैं
हर जगह प्रकृति का अलग गान है।
मिलो प्रकृति से सरल भाव से
कदम कदम पर यहाँ ज्ञान है।
लेखक के विषय में
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्किट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें(2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी(2019) , चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। , बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017) ,पथिक और प्रवाह(2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑफ़ फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी हिंदी अंग्रेजी कवितायेँ लगभग बीस साझा संकलनों में भी संग्रहीत हैं । उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में बाल साहित्य के अंतर्गत लगभग 50 नाटक भी लिखे हैं। बाल साहित्य लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे 21 पुरस्कार प्राप्त हैं ।