बाल साहित्य ( कविता ) बाल कविता संकलन 2021 भाग-4-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल साहित्य ( कविता ): बाल कविता संकलन 2021

भाग-4

प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल साहित्य ( कविता ) बाल कविता संकलन 2021 भाग-4-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
बाल साहित्य ( कविता ) बाल कविता संकलन 2021 भाग-4-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल कविता संकलन निल्लू, छोटी मछली और अन्य कवितायेँ(2021) को हम धारावाहिक रूप से प्रकाशित कर रहे हैं। इसमें पचास कवितायेँ हैं। प्रथम कड़ी में 20 कवितायेँ प्रस्तुत किया था ,और दूसरी और तीसरी कड़ी में दस -दस कवितायेँ । चौथी और अंतिम कड़ी की 10 कवितायेँ प्रस्तुत हैं।
पाठकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलती रही है । इसके लिए आभार !


41.चिड़ियों का मासिक आयोजन

चिड़ियों का मसिक आयोजन
नाम है उसका मिट्टी लोचन।
मिट्टी में चिड़ियों का खेल
फिर उनका आपस में मेल।

यह केपो चिड़िया का आयोजन
केपो सब चिड़ियों कि दादी ,
दुनिया भर का उसको ज्ञान
रोज़ सुनाती गीत कहानी।

42.लाल रंग की छोटी चिड़िया

लाल रंग की छोटी चिड़िया
उसे बुलाओ , उड़ कर आती ,
बिना डरे वह बैठी रहती ,
अपना नाम बताती लिस्ट।
कहती आयी दूर देश से
बर्फीले पर्वत मौसम से ,
छोटे छोटे पंखे उसके ,
लेकिन शक्ति भरे अनंत।
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पिप्पी चिड़िया का अभियान
पिप्पी चिड़िया का अभियान
पर्यावरण का रखिये ध्यान।
दिन भर उड़ती इधर -उधर
गाती रहती अपना गान।

कितने उसके बनते दोस्त
वह पर्यावरण का रखती ज्ञान।
पिप्पी चिड़िया का अभियान
स्वच्छ हवा है बहुत जरूरी
जल है जीवन का आधार।

44.बुनिया

बुनिया चिड़िया उड़ते उड़ते
जाकर बैठ गयी डाली पर
धूप तेज़ थी आज सुबह से
सभी पत्तियां सिकुड़ी थीं।

ठंडी आह भरा बुनिया ने,
बोली ऐसा मौसम क्यों !
हाँफ रहा गिरगिट बोला,
प्रदूषण ही कारण सब।

45.अनिया

अनिया गिरगिट हाँफ रहा है
आज सुबह से ही बैठा।
बहुत गरम थी रात न सोया
गरम सुबह में वह बेबस।

अनिया सोच रहा कैसे वह
जागरूकता फैलाये ,
जल, जीवन ,वायु रक्षा का
कैसे वह सन्देश बताये।

सोचा रंग बदलकर वह
बच्चों को पास बुलायेगा,
जल, जीवन, वायु रक्षा का
उन्हें बात बतलायेगा।

46.लिप्पी चिड़िया

लिप्पी चिड़िया ड्राइंग की
वर्कशॉप कर के आयी।
वह पंखों से, डैनो से
कैसे सुन्दर दृश्य बनाती।

उसकी ड्राइंग में बच्चे
आस-पास को स्वच्छ कर रहे ,
जीव जंतुओं से कर मैत्री
पर्यावरण का ध्यान रख रहे।

47.मीटू- याकू चूहे के घर पर

ठंडे -ठंडे कुहरे में
मीटू निकला घर से बाहर ,
भूल गया वह किधर है जाना
भटका इधर उधर चिल्लाया,
फिर उसने कम्पास निकाला
देखा उत्तर दक्षिण उसमे ,
दक्षिण में जाना था उसको
याकू चूहे के घर पर।
खुश हुआ बड़ा मीटू खरगोश
कितना अच्छा यह है यंत्र।

48.छोटा पौधा उग आया है

छोटा पौधा उग आया है
दूर वहां घर के ऊपर ।
कैसे ऊगा हुआ होगा ,
यह प्यारा पौधा छत पर।

न मिट्टी है, न पानी है
न ही किसी ने डाला बीज,
सोच रहा था साकू मेढक
कैसे पैदा है यह चीज!

मेक गिलहरी समझ गयी
याकू की बातें जान गयी।
बोली याकू भैया ,
चिड़िया बीज वहाँ ले जाती ,
इसी तरह हर वर्ष हज़ारों
पौधे नये वहाँ उग जाते।

49.छोटे छोटे फूल


छोटे छोटे फूल कह रहे
हम तो मुस्कायेंगे ।
कैसा भी हो कुहरा बाहर,
हम कभी नहीं घबरायेंगे।

ठंड हटेगी , चमकेगा सूरज फिर से
और बसंती हवा चलेगी फिर से।

सीखो तुम भी मुस्काना
सीखो बच्चो चलते जाना ,
अपने पथ पर बढ़ते जाना
कैसा भी हो कुहरा बाहर
हमें नहीं घबराना।

50.दौड़ रहा है खुश हो गिरगिट

दौड़ रहा है खुश हो गिरगिट
आज मकर संक्रांति है ।
तोता बोला जगो सभी
प्यारे -प्यारे बच्चो जागो !
खुशियां बाहर निकल पड़ीं।
आज मकर संक्रांति है।
ठंड हटेगी , धुंध हटेगी ,
मौसम होगा अच्छा तेज़।
आज उत्तरायण सूरज
धरती चमक उठेगी तेज़।

प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह के विषय में
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, डॉ राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान 2020 ,एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सत्रह पुरस्कार प्राप्त हैं ।

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