गतांक भाग-1
बाल कविता श्रृंखला भाग-2:
वायु जीवन
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
1. बरसा पानी
हवा स्वच्छ है
धरती खुश है
खुश है अपनी प्रकृति सुहानी
जीवन को हरषाने आयी
वर्षा ऋतु है , बरसा पानी।
वर्षा लाती जीवन -जल
जल ही तो है जीवन सम्बल।
2. पेड़ हमारे
हरे हरे हैं पेड़ हमारे
बन जीवन रक्षक खड़े हुये हैं ,
ताज़ी हवा हमें देते हैं
प्राणवायु उसको कहते हैं।
सोख विषैले तत्व न जाने
कितने पदार्थ जहरीले,
हरे- भरे ये खड़े हुये हैं
जीवन रक्षक पेड़ हमारे।
3. जंगल से ही जीवन है
जंगल से ही जीवन है
जंगल से ही जीवन है ,
जंगल धरती का श्रृंगार
फल फूल हमें देते हैं जंगल
पशुओं को देते ये आश्रय,
जंगल है तो जीवन है ,
जंगल धरती का श्रृंगार।
-डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह
(डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी एवं आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग में प्रोफेसर हैं। उन्होंने नाट्य , काव्य एवं समीक्षा विधाओं में ख्याति प्राप्त रचनाओं का सृजन किया है। लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें सोलह पुरस्कार प्राप्त हैं। )