गतांक भाग-2
बाल कविता श्रृंखला भाग-3:
कीट पतंग
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
1. उड़ता एक पतिंगा आया
उड़ता एक पतिंगा आया
दूर टंगा था बल्ब पुराना
चक्कर काट सुनाया गाना
उड़ता एक पतिंगा आया,
बोला , अब हम यहीं रहेंगे,
बल्ब हमारा हमको प्यारा।
बड़ी देर से टिड्डा भूरा
ले प्रकाश के मजे निराले
चमक रहा था पास बल्ब के
उछाल रहा था , कूद रहा था।
टिड्डा बोला , सुनो पतिंगे
अच्छा होगा पास न जाना
इधर रोशनी के तुम उड़ लो
उधर गये तो जल जाओगे
पास बल्ब के तुम मत जाना।
2. छोटा कीड़ा उड़ा शान से
छोटा कीड़ा उड़ा शान से ,
जाली के अंदर घुस आया ।
बच्चे की कॉपी में घुस कर,
लगा सुनाने उसको गाना।
बच्चा बोला , कीड़े भैया,
थोड़ी देर खेल लो बस तुम।
अभी हमें पढ़ना है बाकी ,
कल फिर आना गीत सुनाने।
-डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह
(डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी एवं आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग में प्रोफेसर हैं। उन्होंने नाट्य , काव्य एवं समीक्षा विधाओं में ख्याति प्राप्त रचनाओं का सृजन किया है। लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें सोलह पुरस्कार प्राप्त हैं। )