गतांक भाग-3
बाल कविता श्रृंखला भाग-4:
राष्ट्र प्रेम
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

1.मातृभूमि सम्मान हमारा
मातृभूमि के कितना किस्से ,
हमें सुनती अपनी संस्कृति।
मातृभूमि से गौरव गाथा ,
मातृभूमि से अपनी शक्ति।
माँ जैसा है देश हमारा ,
मातृभूमि से मिलती शक्ति।
मातृभूमि सम्मान हमारा,
मातृभूमि है अपनी शक्ति।
2. हम भारत में रहने वाले
हम भारत में रहने वाले
इसकी जलवायु में पनपे।
इसकी धरती माता जैसी
इसका सम्बल नभ के जैसा।
भारत प्रेरणा स्रोत हमारा ,
भारत प्यारा राष्ट्र हमारा।
इसका गौरव , मेरा गौरव ,
इसका यश ही गान हमारा।
हम भारत में रहने वाले
इसकी जलवायु में पनपे।
3. देश हमारा हमको प्यारा
देश हमारा हमको प्यारा ,
यह ही तो पहचान हमारा।
हवा और पानी से लेकर ,
जीवन का हर पहलू इसक।
देश हमारा हमको प्यारा ,
यह ही तो पहचान हमारा।
-डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह
(डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी एवं आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग में प्रोफेसर हैं। उन्होंने नाट्य , काव्य एवं समीक्षा विधाओं में ख्याति प्राप्त रचनाओं का सृजन किया है। लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें सोलह पुरस्कार प्राप्त हैं। )