बाल कविता श्रृंखला भाग-7: बुन्नू और पशु-पक्षी -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

गतांक भाग6

बाल कविता श्रृंखला भाग-7:

बुन्नू और पशु-पक्षी

-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल कविता श्रृंखला भाग-7: बुन्नू और पशु-पक्षी  -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
बाल कविता श्रृंखला भाग-7: बुन्नू और पशु-पक्षी -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

1. बुन्नू की छोटी चिड़िया

बुन्नू की छोटी चिड़िया,
रोज़ सवेरे आती मिलने ,
उसकी खिड़की पर आती ,
धीरे धीरे गाना जाती।

बुन्नू इतने में उठ जाती ,
चिड़िया से मिलने बढ़ती ,
चिड़िया उसे देख मुस्काती
बुन्नू उससे बातें करती।

2. उल्लू और चिड़िया

उल्लू रोज़ शाम को आता ,
उसे देख कर डरती चिड़िया।
बुन्नू को गुस्सा आ जाता,
कहती कैसा उल्लू मूर्ख।

उल्लू कैसा पक्षी क्रूर ,
चिड़ियों को आ रोज़ डराता।
रोज़ शाम उल्लू आ जाता ,
उसे देख डर जाती चिड़िया।

3. बुन्नू का तोता

तोता है बुन्नू का दोस्त ,
दूर दूर वह उड़ता रहता।
सात आठ दिन बाहर रहता ,
और अचानक आ जाता।

कहता बुन्नू सुनो ध्यान से ,
बातें बहुत अधिक लाया हूँ ,
होमवर्क पूरा कर डालो ,
फिर मैं अपनी बात बताता।

4. बुन्नू और गिलहरी


बुन्नू बड़े पार्क में निकली
उसे मिली कुछ पांच गिलहरी।
पांचो उसे देख कर बोली ,
क्यों तुम इतने दिन पर आयी ?

बुन्नू बोली हम क्या करते ,
हर तरफ कोरोना का डर है
नहीं जानती कितने दिन से ,
बंद रास्ते भय के मारे !

बच्चे घर में बैठे हैं ,
तुम भी घूमो सोच समझ कर ,
मास्क बाँध कर तुम भी निकलो
बड़ी महामारी है आयी।

5. बगुला ऊँघ रहा पानी में

बगुला ऊँघ रहा पानी में ,
मछली हँसते- हँसते बोली ,
“बगुले भाई जाकर सो लो
फिर आना तुम पानी में। “

बगुला चौंका फिर बोला,
“तुम छोटी सी दोस्त हमारी
हम थे अब तक ध्यान लगाये,
चलो कहो तुम कोई कहानी। “

-डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह

(डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे हिंदी और अंग्रेजी में समान अधिकार से लिखने वाले जाने माने नाटककार , कवि एवं समीक्षक हैं। )

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