बाल कविता श्रृंखला भाग-7:
बुन्नू और पशु-पक्षी
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
1. बुन्नू की छोटी चिड़िया
बुन्नू की छोटी चिड़िया,
रोज़ सवेरे आती मिलने ,
उसकी खिड़की पर आती ,
धीरे धीरे गाना जाती।
बुन्नू इतने में उठ जाती ,
चिड़िया से मिलने बढ़ती ,
चिड़िया उसे देख मुस्काती
बुन्नू उससे बातें करती।
2. उल्लू और चिड़िया
उल्लू रोज़ शाम को आता ,
उसे देख कर डरती चिड़िया।
बुन्नू को गुस्सा आ जाता,
कहती कैसा उल्लू मूर्ख।
उल्लू कैसा पक्षी क्रूर ,
चिड़ियों को आ रोज़ डराता।
रोज़ शाम उल्लू आ जाता ,
उसे देख डर जाती चिड़िया।
3. बुन्नू का तोता
तोता है बुन्नू का दोस्त ,
दूर दूर वह उड़ता रहता।
सात आठ दिन बाहर रहता ,
और अचानक आ जाता।
कहता बुन्नू सुनो ध्यान से ,
बातें बहुत अधिक लाया हूँ ,
होमवर्क पूरा कर डालो ,
फिर मैं अपनी बात बताता।
4. बुन्नू और गिलहरी
बुन्नू बड़े पार्क में निकली
उसे मिली कुछ पांच गिलहरी।
पांचो उसे देख कर बोली ,
क्यों तुम इतने दिन पर आयी ?
बुन्नू बोली हम क्या करते ,
हर तरफ कोरोना का डर है
नहीं जानती कितने दिन से ,
बंद रास्ते भय के मारे !
बच्चे घर में बैठे हैं ,
तुम भी घूमो सोच समझ कर ,
मास्क बाँध कर तुम भी निकलो
बड़ी महामारी है आयी।
5. बगुला ऊँघ रहा पानी में
बगुला ऊँघ रहा पानी में ,
मछली हँसते- हँसते बोली ,
“बगुले भाई जाकर सो लो
फिर आना तुम पानी में। “
बगुला चौंका फिर बोला,
“तुम छोटी सी दोस्त हमारी
हम थे अब तक ध्यान लगाये,
चलो कहो तुम कोई कहानी। “
-डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह
(डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे हिंदी और अंग्रेजी में समान अधिकार से लिखने वाले जाने माने नाटककार , कवि एवं समीक्षक हैं। )