बाल कविता श्रृंखला भाग-8:
मैना
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
1. मैना की प्यारी सी चोंच
मैना की प्यारी सी चोंच
पीली पीली हल्की पीली।
नींबू पर मैना आ बैठी ,
छोटी हरी एक चिड़िया
उड़ती उड़ती आयी बोली ,
” क्यों आकर बैठी हो मैना ? “
मैना उसे देख मुस्काई
मैना की प्यारी सी चोंच।
2. मैना आज सुबह अलसायी
मैना आज सुबह अलसायी,
हवा चल रही पुरवाई।
मैना ने सोचा चल सो लें ,
नहीं करेंगे आज पढ़ाई।
तब तक बोली छोटी चिड़िया
कहाँ छुपी हो मैना आज ,
हवा चल रही बड़ी सुहानी !
मैना बोली रुको वहीँ पर
जरा देर में मैं आयी।
3. कौवा बोला मैना से
कौवा बोला मैना से
चलो गीत हम दोनों गाते
सोच रखो तुम क्या गाओगे ,
इतने में हम उड़ कर आते।
मैना बोली क्या मैं सोचूँ
अभी चलो कुछ गा देते हैं ,
कौवा बोला रुको आज ,
कल हम गीत श्रृंखला रखते।
4. छोटी मैना के मेहमान
छोटी मैना के घर पर ,
पर्वत से आये मेहमान।
चमकीले उनके पंखे
उनकी चोंच अलग रंगो की।
छोटी मैना हर्षायी
बोली छोटी मैना , ” देखो
मेरा वन है बहुत सुहाना
यहाँ बहुत से पक्षी रहते
गाते कितना सुन्दर गाना। “
5. मैना और कीट
मैना से बोला कीड़ा ,
हम भी उड़ते रहते हैं
पर्वत घाटी से होकर
हम भी तो आते जाते हैं।
मैना बोली हमें ज्ञात है
बहुत बड़े योद्धा हो आप !
बड़ी यात्रायें की हैं ,
जीती तुमने बहुत लड़ाई।
- डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह
(डॉ रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे हिंदी और अंग्रेजी में समान अधिकार से लिखने वाले जाने माने नाटककार , कवि एवं समीक्षक हैं। )