बाल नाटक : चलता रहे निरंतर-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल साहित्य-बालनाटक (पर्यावरण एवं इसकी महत्ता पर)

चलता रहे निरंतर

प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल नाटक : चलता रहे निरंतर-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
बाल नाटक : चलता रहे निरंतर-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

पात्र

ग्रेसी : मछली
ट्रेसी : मछली
पागी : मेढक
लागी : मेढक
चमनलाल : मेढक ,कार्यक्रम का मुख्य अतिथि तथा निर्णायक
जागी : मेढक , कार्यक्रम का आयोजक मेढक
संयोजक : मेढक

स्थान

तालाब का किनारा

समय

दिन का पहला भाग

(तालाब के किनारे जागी , पागी और लागी मेढक बैठे हुए हैं। तालाब के अंदर से दो मछलियां ग्रेसी और ट्रेसी देख रही हैं । पांचो बहुत सावधानी से पंक्तिबद्ध होकर जैसे कुछ कहने के लिए तैयार हैं। अचानक पीछे से आवाज आती है। आयोजक की आवाज है , कोई आयोजन है।)

संयोजक की आवाज़ : जल नभ और धरती पर रहने वाले प्यारे प्यारे जीव जंतुओं , मनुष्यों , भाई बहनों , मैं आज के कार्यक्रम का आयोजक मेढक चमनलाल आप सब को बधाई देता हूँ। बधाई का कारण है की काम से काम आपने वर्ष का एक दिन विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मानाने का निश्चय किया है। हमारी सोच ही हमें सफलता के मार्ग पर ले जाती है। जब एक दिन ही सही , हम सभी एकत्रित होकर अपने पर्यावरण -जल , नभ , वायु , पृथ्वी पर सोंचेंगे तो इसमें कोई संदेह नहीं कि हम साल के अन्य दिनों अपनी दिनचर्या में , अपने कामों में पर्यावरण संरक्षण को महत्व देंगे। )


जागी :धन्यवाद संयोजक जी ! हम सभी प्रतिभागियों की तरफ से आपको धन्यवाद देते हैं। हम मुख्य अतिथि महोदय और प्रतिभागियों का स्वागत करते हैं। यह विशेष प्रतियोगिता है। इसमें चार प्रतिभागी हैं। चारों को विषय बता दिये गये हैं । सभी को अपने विषय पर एक कविता सुनानी है। हाँ वह कविता स्वरचित होगी।
(ग्रेसी , ट्रेसी पागी और लागी सहमति में अपना सिर हिलाते हैं। )


चमनलाल : धन्यवाद श्रीमान निर्णायक जी , जागी जी ! कृपया आगे को कार्यवाही प्रारम्भ करने को कृपा करें।


जागी : प्रतिभागी नंबर 1 ग्रेसी को जल पर बोलना है। प्रतिभागी नंबर 2 सुश्री ट्रेसी को जल प्रदूषण पर , प्रतिभागी नंबर 3 श्री पागी को वायु पर और प्रतिभागी नंबर 4 श्री लागी को धरती पर बोलना है। हम कार्यक्रम का प्रारम्भ करते हैं प्रतिभागी नंबर 1 सुश्री ग्रेसी से ! सुश्री ग्रेसी !


ग्रेसी : आयोजक जी , निर्णायक जी एवं प्यारे दोस्तों , नमस्कार ! जल मेरा विषय है। लीजिये मेरी स्वरचित कविता सुनिये !

जल से ही निकला है जीवन
जल है हर प्राणी का बल।
जल से है जीवन ,
जल धरती का श्रोत तरल
इसे बचायें, स्वच्छ रखें
करें करायें जीवन निर्मल।
जल जीवन का रूप सफल।
(तालियों को गड़गड़ाहट )

जागी : धन्यवाद ग्रेसी जी। जल को बहुत सुन्दर व्याख्या। बहुत सुन्दर व्याख्या। अब हम निवेदन करते हैं अपने प्रतिभागी नंबर 2 ट्रेसी ट्रेसी जी से। वह आयें और जल प्रदूषण पर अपने विचारों को अभिव्यक्ति करें।

ट्रेसी : धन्यवाद महोदय । आयोजक जी , निर्णायक जी एवं प्यारे दोस्तों , नमस्कार ! जल प्रदूषण मेरा विषय है। लीजिये मेरी स्वरचित कविता सुनिये !

जल है धरती पर जीवन सम्बल
फिर क्यों करके लापरवाही
इसे प्रदूषित करते भाई।
इसको तुम गन्दा करते हो
स्वयं गन्दगी फिर पीते हो।
कितने जीव जंतु मर जाते
जल को जब प्रदूषित पाते।
प्रदूषण से मुक्त करो जल
करो सुरक्षित अपना तुम कल।

जागी : धन्यवाद ग्रेसी जी। जल को बहुत सुन्दर व्याख्या। बहुत सुन्दर व्याख्या। अब हम निवेदन करते हैं अपने प्रतिभागी नंबर 3 पागी जी से !

पागी : आयोजक जी , निर्णायक जी एवं प्यारे दोस्तों , नमस्कार ! वायु मेरा विषय है। लीजिये मेरी स्वरचित कविता सुनिये !

वायु हमारी जीवन दात्री
अगर एक पल भी रुक जाये ,
जीवन भी वैसे थम जाये ।
हमने धुयें प्रदूषण से भर
वायु को गन्दा कर डाला
और यही प्रदूषित वायु
अपने अंदर भर डाला।

कितना इसका कुप्रभाव है
थोड़ा सोचो समझो भाई
चले गये तो बच जाओगे
वरना आगे दिखती खाई।

जागी : वाह- वाह पागी जी। वायु को बहुत सुन्दर व्याख्या। बहुत सुन्दर व्याख्या। अब हम निवेदन करते हैं अपने प्रतिभागी नंबर 3 पागी जी से। लागी जी धरती विषय पर बोलेंगे !

लागी : आयोजक जी , निर्णायक जी एवं प्यारे दोस्तों , नमस्कार एवं धन्यवाद ! धरती मेरा विषय है। लीजिये मेरी स्वरचित कविता सुनिये !

हम बचपन से कहते आये
धरती है हम सब की माँ ।
किन्तु सोचते अगर सही में
प्रदूषण फैला -फैला कर
कितना मलिन कर रहे इसको
घटा रहे संबंधों को गरिमा।

हरी भरी हो धरती अपनी
स्वच्छ , साफ प्राकृतिक सब कुछ
बचा रहेगा जीवन सबका
हो धरती हरी भरी हरियाली।

जागी : बहुत सुन्दर ! बहुत – बहुत धन्यवाद सभी प्रतिभागियों को। आपने अपनी कविताओं के माध्यम से पर्यावरण के प्रति अपनी चिंतायें व्यक्त की। अब यही कवितायेँ वर्ष भर हमारी प्रेरणा बनकर हमें कार्य करने में सम्बल देती रहेंगी। ये पुरस्कार आपके। (वह मेज़ पर रखे पुरस्कारों के ऊपर से आवरण हटाते हैं।) हम चमनलाल जी से अनुरोध करते हैं की वे अपनी ओर से दो शब्द कहें।

चमनलाल : बहुत बहुत धन्यवाद , शुभाशीष और शुभकामनायें ! यह अत्यंत गर्व की बात है हमारे लिए की इतने अच्छे कवि हमारे बीच में हैं। मैं तो मंत्रमुग्ध हो गया इनकी कवितायेँ सुन कर। चारों प्रतिभागियों ने जीवन के चार पक्षों पर बहुत सुन्दर रचनायें पढ़ीं हैं। सभी का प्रयास सराहनीय रहा है। सभी को पुरस्कार मिलना चाहिए। मैं चाहता हूँ मैं भी कविता के माध्यम से अपनी बात कहूँ।
(तालियों की गड़गड़ाहट )

अब मैं तो यही कहूंगा
पर्यावरण बचा कर हम बच पायें ,
वरना जीवन का विष बन प्रदूषण
एक एक खुशियां हर लेगा
स्वच्छ धरा हो , प्रांजल अम्बर
चलता रहे निरंतर जीवन
चलता रहे निरंतर जीवन !

(धीरे धीरे सभी लोग इस गीत में शामिल हो जाते हैं। समवेत स्वर में गीत।)

—–समाप्त —–

-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
(प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्किट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें(2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी(2019) , चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं । बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017) ,पथिक और प्रवाह(2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑफ़ फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सोलह पुरस्कार प्राप्त हैं ।)

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