बाल नाटक: कितनी दुनिया कितने तारे
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
पात्र
बुन्नू : छह सात साल की एक छोटी लड़की
लूलू : बुन्नू का कुत्ता
स्थान
घर का एक बड़ा सा कमरा
(कमरे के बीच में एक कुर्सी और मेज राखी हुयी है। मेज पर हाथ से नचाने वाले कुछ लट्टू रखे हुए हैं। छह सात साल की एक लड़की लट्टुओं को नचा रही है। पीछे एक गीत बज रहा है। )
धरती हरी भरी हरियाली
सभी ग्रहों में हरी निराली
वृक्ष लगे हैं हरे भरे
जीवन का फैला उजियारा
धरती हरी भरी हरियाली
सभी ग्रहों में है ये न्यारी।
(अचानक बुन्नू का ध्यान गीत की तरफ जाता है।)
बुन्नू : (बहुत खुश होकर , लगभग चिल्लाते हुए): मम्मा , मम्मा देखिये देखिये , टीवी पर भी प्लेनेट का गाना चल गया। हम भी यहाँ पर प्लेनेट खेल रहे हैं। धरती का संग आ रहा है ,
“धरती हरी भरी हरियाली ….. माँ -माँ,कहाँ हैं ! (खीझते हुए ) कहाँ चली गयी , मम्मा !
(मेज के नीचे से उसका कुत्ता लूलू होना सिर निकालता है। नीचे से ही बोलता है। )
लुलू : बुन्नू चीखो नहीं। मम्मा सुबह ही सुबह कहीं गयी हैं। कह रहीं थीं धूप बहुत तेज़ हो जाती है।
बुन्नू : अरे लू -लू -लू , लूलू , यहीं बैठा है ! निकल बाहर !
लूलू : सोने दो दीदी , सोने दो ! बाहर बहुत गरमी है। यहाँ आपकी टेबल के नीचे ठीक है।
बुन्नू : चल आलसी कहीं का , सो जा ! मेरे प्लेनेट को डिस्टर्ब न कर ! चुपचाप सो जा !
(लूलू शांत है , थोड़ी देर तक। बुन्नू उसे पुकारती है। लू लू -लूलू ! वह बोलता नहीं। टेबल के नीचे ही मुस्कराता है। दिखाई देता है। बुन्नू मुस्कराती है। )
सो गया , मेरा आलसी लूलू !
(बुन्नू अपने काम में लग जाती है। लट्टुओं को सौरमंडल की आकृति में व्यवस्थित करती है। ),
बुन्नू (अकेले बोलती है। ) :ये रहा सौरमंडल , हमारे ग्रह , हमारे प्लैनेट्स -ये मरकरी -सूरज से पहला ग्रह , सबसे नजदीक , सबसे छोटा …छोटा चट्टानी ग्रह … छोटा , हाँ दरारों वाला !
(पीछे से बड़ा फ़्लैश कार्ड दिखाया जाता है। जिसमे प्लैनेट्स बने हैं और उसके बारे में पाँच बिंदुओं का डाटा। बुन्नू अपना एक लट्टू नचा देती है। )
लूलू : दीदी , दीदी हम भी खेलें साथ आपके , कुछ प्लैनेट्स हैं हमने देखे।
बुन्नू : आ निकल। आ के बैठ !
(लूलू सामने की कुर्सी पर आकर बैठ जाता है। )
लूलू : तो ये प्लेनेट गेम ! ये है प्लेनेट गेम !
बुन्नू : और क्या ! बस आप लट्टुओं को मत छूना। सिर्फ देखो और बताओ !
(लूलू मुस्कराता है। )
लूलू : ये दूसरा तो वीनस है , यानी शुक्र ग्रह। सूरज से दूसरा ग्रह और सौर मंडल का छठा सबसे बड़ा ग्रह।
(पीछे से फ़्लैश कार्ड प्रदर्शन )
बुन्नू : हाँ , हाँ , मालूम है।
लूलू : इसकी सतह बहुत ऊबड़ -खाबड़ है। बड़ी बड़ी दरारें , और बहुत बड़े बड़े ज्वालामुखी …
कुछ सक्रिय ज्वालामुखी भी। कुछ भाग तो वीनस के लावा से ढके हुए हैं। जानते हो दीदी।
बुन्नू : हाँ -हाँ , पहले तो लोग कहते थे की यहाँ जीवन संभव है लेकिन बाद में लगा कि तापमान इतना ज्यादा है सतह का कि जीवन संभव नहीं है।
(बुन्नू एक लट्टू नचा देती है। )
और यह रही हमारी पृथ्वी !
लूलू : इसका लट्टू हम नचायेंगे।
बुन्नू : अभी रिसर्च फोकस कर… प्लैनेट्स पर !
लूलू : हाँ जानते हैं। हम तो उसी पर बैठे हैं। (हा -हा -हा )
बुन्नू : तीसरा ग्रह , सूर्य से पांचवा सबसे बड़ा ग्रह सौरमंडल का।
लूलू : हाँ दीदी , जीवन हरा भरा हरियाला …
(फ्लैशकार्ड प्रदर्शन ,बुन्नू लट्टू नचा देती है। )
बुन्नू : थोड़ा जल्दी में हैं। इस गेम को ख़त्म करें। अभी मेरा सीरियल आने वाला है , टीवी पर।
लूलू : तो ये रहा मार्स , अपना मंगल ग्रह।
(फ्लैशकार्ड प्रदर्शन )
लूलू : इस पर कोई कविता लिखूं ?
बुन्नू : बस भाई , लिखता रह। बाद में सुनाना। लिख लिख कर तू रखता जा , मेरे साथ तू बढ़ता जा।
(फ्लैशकार्ड प्रदर्शन। बुन्नू लट्टू नचा देती है। )
लूलू : अगला प्लानेट जुपिटर आया , इसका नाम वृहस्पति है।
बुन्नू : इतना बड़ा , इतना बड़ा ! सूरज से पांचवा ग्रह और सौरमंडल का सबसे बड़ा !
लूलू : इतना बड़ा , इतना बड़ा कि इसके अंदर एक हज़ार पृथ्वी समा जाएँ।
बुन्नू : पृथ्वी से दस गुनी बड़ी परिधि , डायमीटर । इतना ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल लिये हुये है यह कि अन्य ग्रहों को भी थोड़ा , थोड़ा प्रभावित करता रहता है।
लूलू : हाँ -हाँ क्यों नहीं ! देवताओं के गुरु वृहस्पति का प्लेनेट , उनका ग्रह !
(बुन्नू लट्टू नचा देती है। फ्लैशकार्ड प्रदर्शन )
लूलू : तो ये अगला आया। अगला ग्रह कौन सा दीदी ?
बुन्नू : शनि , सैटर्न , सौर मंडल का छठा ग्रह , और दूसरा सबसे बड़ा आकार में।
लूलू : एक बात बतायें , अगर आप शनि ग्रह को किसी बड़ी बाल्टी में रखो तो जानते हो क्या होगा ?
लूलू : तैरेगा यह ! लेकिन … (सोचने की मुद्रा में )
बुन्नू : क्या ? क्या लेकिन ?
लूलू : इतनी बड़ी बाथ टब लाएगा कौन ?
(दोनों हंसने लगते हैं। )
बुन्नू : इसके चरों तरफ रिंग सी दिखती है। लेकिन तुम इसे यदि पृथ्वी से देखोगे तो सबसे छोटा दिखेगा।
लूलू : क्यों ?
बुन्नू : क्योंकि जुपिटर से दो गुना दूरी पर है यह !
(फ़्लैश कार्ड प्रदर्शन। बुन्नू लट्टू नचा देती है। )
लूलू : अरे ये रहा युरेनस , अरुण ग्रह।।।
बुन्नू : सौरमंडल का क्रम में आठवां और तीसरा सबसे बड़ा ग्रह !
लूलू : आपको मालूम है , 24 जनवरी 1986 को एयरक्राफ्ट वायेजर 2 गया था यहाँ !
बुन्नू : प्रचीनकाल में लोग इसको नहीं जानते थे। टेलिस्कोप से देखा गया यह। यह तो यूँ ही आँखों से देखा जा सकता है।
लूलू : आप जानती हैं , इसके चार चन्द्रमा हैं !
बुन्नू : हाँ -हाँ , जानती हूँ , क्या तू ही जानता है ! आज थोड़ा जल्दी में हूँ , फिर बताएँगे तुझे !
(फ्लैशकार्ड प्रदर्शन। बुन्नू लट्टू नचा देती है। )
लूलू : ये आया नेप्चून , अपना वरुण !
बुन्नू : 165 साल लगते हैं , इसे सूर्य कि परिक्रमा करने में !
लूलू : नीला , नीला , गैस गुबार वाला प्लेनेट !
बुन्नू : आप इसे शक्तिशाली दूरबीन से देख सकते हैं। यहाँ वातावरण बहुत सक्रिय रहता है।
लूलू : दीदी , यह सूर्य से सबसे ज्यादा दूर है।
बुन्नू : हाँ ,इसीलिए यह सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह है।
लूलू : जानती हो दीदी , सबसे बड़ा बादल जिसका नाम स्कूटर है , हर सोलह घंटे पर यहाँ उड़ता है।
बुन्नू : हाँ -हाँ !
(फ्लैशकार्ड प्रदर्शन। बुन्नू लट्टू नचा देती है। )
लूलू : एक छोड़ दिया आपने !
बुन्नू : छोड़ा नहीं ! (मुस्कराती है ) शांत रह आलसी !
(लूलू मुस्कराता है। )
बुन्नू : ये रहा प्लूटो। प्लूटो इंग्लिश में , हिन्दी में यम ग्रह ! बर्फीला , छोटा प्लेनेट। छोटा सा ग्रह !
लूलू : हम जानते हैं दीदी। आपने ही तो बताया था। … इसकी सतह मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड कि जमी बर्फ जैसी बनी हुयी है … ।
बुन्नू : लेकिन इसके भी तीन चन्द्रमा हैं !
बुन्नू : हाँ , हैं तो !
(बुन्नू लट्टू नचा देती है। फ्लैशकार्ड प्रदर्शन। )
अच्छा लूलू , क्या बचा अब ?
लूलू : (मुस्कराते हुये ) नाश्ता दीदी ! देर हो गयी अब बहुत !
बुन्नू : हाँ , मम्मा आ गयी होंगी। चल चलते हैं।
(दोनों धीरे धीरे दबे पांव दूसरे कमरे की ओर चले जाते हैं। पीछे से गीत की ध्वनि सुनाई देती है। )
फिर आयेंगे ग्रह की दुनिया ,
चमकीले हैं , बड़े रंगीले।
हैं रहस्य फैले ही हज़ारों.
हम जो जाने , कितना काम वह .
कितने -कितने ग्रह मंडल हैं.
कितनी दुनिया , कितने तारे।
गिनने बैठो गिन न पाओ ,
हैं रहस्य ब्रह्माण्ड के सारे।
–—-समाप्त —–
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
(प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्किट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें(2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी(2019) , चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं । बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017) ,पथिक और प्रवाह(2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑफ़ फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सोलह पुरस्कार प्राप्त हैं ।)