बाल साहित्य: बच्चों के लिए चार कवितायेँ-रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल साहित्य:

बाल साहित्‍य

बच्चों के लिए चार कवितायेँ

-रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल साहित्य: बच्चों के लिए चार कवितायेँ-रवीन्द्र प्रताप सिंह
बाल साहित्य: बच्चों के लिए चार कवितायेँ-रवीन्द्र प्रताप सिंह

1.नन्हा कीड़ा-

कीड़ा एक बड़ा है नटखट 
 जा जा बैठ रहा फूलों पर
  फूल बेचारे डर जाते हैं ,
 सोच रहा क्या नन्हा कीड़ा !

 है वैसे वह नन्हा बच्चा 
 इसीलिए तो फूल क्या करे 
 देख रहे हैं ,सोच रहे हैं , 
 वह जा बैठ रहा फूलों पर 

2.काला कौआ ढूंढ रहा है-

कई दिनों से शायद कम्बल 
 ठण्ड में सिकुड़ा बेचारा 
 देख रहा है दायें बायें ।

 दिखे कोई तो उसे पुकारे 
 पास बुला कुछ कहे सुनाये 
 परेशान सा दिखता है कुछ 
 नहीं कहीं कोई सुनवाई ।

3.जलमुर्गी-

जलमुर्गी बच्चों को लेकर 
 पानी में डुबकी लेती है 
 बच्चों में कौतूहल जागा
 कहाँ गए बच्चे बेचारे।

 थोड़ी देर बाद फिर  निकली 
  जल से बाहर जलमुर्गी ,
 पंख सूखा कर वैसे ही है 
 जैसे  जल में कितनी गर्मी।

4.गिलहरी-

आती है वह सुबह सुबह ही 
 एक गिलहरी झबरीली 
 तेज़ दांत चमका कर कहती 
 झालर ले आयी बड़ी रंगीली ।
 बेढंगी चीज़ों को काट काट कर 
 कैसे सुन्दर रख पाये, 
 मैंने देखा उसे नीम पर 
 कैसे सुन्दर नीड बनाये।

कवि परिचय-

प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्किट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें(2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी(2019) , चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018) उनके प्रसिद्ध नाटक हीं , बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017) ,पथिक और प्रवाह(2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑफ़ फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे चौदह पुरस्कार प्राप्त हैं ।

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