बाल साहित्य बाल कविताएं
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल साहित्य बाल कविताएं
1. जन्म दिवस पर बाल कविता-
आर्या के जन्म दिवस पर
आर्या के जन्म दिवस पर
सब आर्या से मिलने आये,
आयी चिड़िया , तोते आये ।
दूर देश की चिड़ियों ने
संगीत बजा कर गाना गाये।
दूर नदी से चली पिराना
जंगल से शेरों के बच्चे
बन्दर भालू प्यारे प्यारे ,
सबने बच्चों के संग मिलकर,
आर्या का जन्म दिन मनाया।
2. कई गिलहरी मिलने आयीं
इगनू आयी सुबह सवेरे
छोटे -छोटे लेकर फूल
धूप नरम थी भीगी- भीगी
अलसायी घासों पर ओस ।
इगनू बोली , कई गिलहरी
मिलने आयीं हैं बच्चे ,
मैं तो उनकी सखी सहेली,
सन्देश बताने आयी हूँ।
जागो बच्चो, चलो घूमने
बाहर कितनी प्यारी धूप ।
नरम नरम सी , खिली खिली
कितनी हरियाली सी धूप।
3. आन
आन चला गाते गाना
छोटा भंवरा प्यारा -प्यारा।
उसके गीतों में परियां
आकर उससे कहें कहानी ,
मोर बहुत से आ जाते हैं ,
और नृत्य करने लगते।
इतने में सोनू कौआ भी ,
आकर गाने लगता गाना
आन चला गाते गाना।
4. छोटे छोटे पोनी
छोटे छोटे पोनी ने
प्रतियोगिता में भाग लिया।
विषय रखा था –
कैसे जंगल
हरा भरा खुशहाल बने?
छोटी पोनी आकर बोली ,
चलकर हम मिलते हैं ,
हम बच्चो को बात बतायें ,
नन्हे बच्चे , हम लोगों की
शायद खुश हो बात सुनें।
5. वान और विप
वान और विप छोटे शावक
भाग रहे पूरे जंगल में ,
उन्हें खिलाने शेर पुराने ,
भाग रहे पीछे पीछे।
बोला वान अभी तो हम ,
बस दो घंटे ही खेले ,
विप बोला इसमें क्या है ,
छुट्टी है , खेल कूद ,
चाहे पूरा दिन ले ले।
6. पिंकी पाग
पिंकी पाग छोटी मछली
जाकर व्हेल से बोली ,
आज धूप से चम-चम सागर
मौसम बड़ा सुहाना।
चलो खेलते हैं हम दोनों
कोई खेल सुहाना।
उसे देख कर व्हेल हुयी खुश ,
बोली पिंकी पाग , ठीक है ,
हम बोलेंगे कोई पहेली ,
तुम उसका अर्थ बताना ,
फिर तुम कहना अपनी वाली
हम उसका अर्थ बतायेंगे।
किसने सबसे अच्छा बोला ,
निर्णायक भी तो कोई हो ,
व्हेल बताओ , क्या कहती हो ,
क्या हम निर्णायक चुने पिराना !
7. यशी और गाश
यशी और गाश दोनों ने
खूब बजाये बाजे।
छोटी छोटी मछली दोनों ,
गाये अपने खुद के गाने।
दोनों लिखतीं गीत रोज ही ,
गाती मिलकर रोज सुबह।
दोनों की है दोस्त पिराना
आर्या के जन्मदिवस सब आये।
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
(प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं।। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सत्रह पुरस्कार प्राप्त हैं ।)
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