बाल साहित्य ( कविता ): बाल कविता संकलन 2021
भाग-2
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल कविता संकलन निल्लू, छोटी मछली और अन्य कवितायेँ(2021) को हम धारावाहिक रूप से प्रकाशित कर रहे हैं। इसमें पचास कवितायेँ हैं। प्रथम कड़ी में 20 कवितायेँ प्रस्तुत किया था। दूसरी कड़ी की 10 कवितायेँ प्रस्तुत हैं। पाठकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। बहुत बहुत धन्यवाद ।
21.पवन तरल खुशियां लेकर
नये सवेरे में बहता है
पवन तरल खुशियां लेकर
और कुहासा चाँदी सा
कहता है हँस हँस कर ,
हमें देखना है बच्चों
कैसे तुम चलते हो ,
ठण्ड बड़ी है बाधाओं जैसी
कैसे आगे बढ़ते हो।
22.बच्चों के द्वारा
नये वर्ष में हर मन में
नयी सोच आयी है ,
पर्यावरण की रक्षा कर
धरती पर ख़ुशी बचानी है।
बच्चों के द्वारा ही देखो
संभव है हर तरफ उजाला ,
इन्हे समझ है ,खुशिया क्या हैं
कैसे दूर हटे अँधियारा।
23.दो मुस्काती चिड़िया
बर्फीली ठंडक में चलती हवा सनसनी
इतने में खिड़की के बाहर ,
आती दो मुस्काती चिड़िया।
दोनों हंसती मुस्काती
उड़ती आ बैठी, गाना गाती।
बोली उठकर बैठो बच्चो
बहार निकलो सुबह गुनगुनी ,
नरम धूप ने ठंड गरम कर
मौसम कोमल बड़ा बनाया ,
देखो कैसा ठंडा सूरज ,
खुश होकर आया।
4.नदी बह रही
अपनी धुन में गीत गा रही
अपने र व में नदी बह रही ,
ठंडा बालू सिकुड़ा लेटा
बहती धारा पर धूप पड़ रही।
चाँदी में सोना घुलता हैं
सूरज की सोने सी किरणें
खेल रहीं धारा के संग संग
सुबह ठंड की प्यारी प्यारी
नदी बह रही धीरे धीरे।
25.सोया मेढक और नन्हा कीड़ा
सोया मेढक पड़ा हुआ धरती के भीतर
उसे जगाने नन्हा कीड़ा पहुंचा जाकर
बोला , “मेढक उछलो , निकलो बाहर !”
मेढक बोला , “नन्हे कीड़े , जाओ बाहर,
सोने दो मुझको ठंडक भर !
गर्मी में बाहर आऊँगा ,
तुम चाहो तो तुम भी ठहरो ,
सो जाओ यहीं कहीं पर। “
कीड़ा बोला , ” हमें नहीं बिलकुल सोना हैं।
सोना ही तो यहाँ -वहाँ क्या ,
मुझको तो बस खेल खेलना ! “
26.कड़कती आयी ठंडक
शरद ऋतु के बाद कड़कती आयी ठंडक
गयी गुनगुनी धूप कहीं जा बैठी छिपकर।
अरे अँधेरा दिन में भी छा जाता है अक्सर ,
पक्षी बोला , सुन लो बच्चो नहीं हारना है हिम्मत।
कैसी , कितनी भी ठंडक हो ,
हमको तो उड़ते रहना है ,
नयी नयी जगहों पर जाकर ,
अच्छी बातें करते रहना है।
बच्चों से मिलते जुलते रहना
और कहानी कहते रहना।
27.हरे खेत में काला सारस
हरे खेत में काला सारस
गीत गा रहा परसों से ,
सर- सर करती वहां हवायें
संगीत बजाती खुश होकर।
काले सारस की इच्छा है
पौधे जल्दी बढ़ जायें ,
सरसों के पीले फूल खुशी से
इन पर झूमें इतरायें।
इन्हे देखकर उसको लिखना
सात -आठ अच्छी कवितायेँ ।
हरे खेत में काला सारस ,
गीत गा रहा परसों से।
28.बूँद पंखुड़ी पर आ टपकी
बूँद पंखुड़ी पर आ टपकी
फिसली मोती सी लगती।
थोड़ा आगे बढ़कर फिर ,
वह पत्ती पर जा लटकी।
डरा देख यह नन्हा कीड़ा ,
भागा फिर चिल्लाया ।
जाकर फिर उसने चिड़िया को
यह सब बात बताया।
चिड़िया बोली यह बूँद कुहासा ,
इससे क्या डरना है ,
कितनी सुन्दर चमक रही है ,
इससे बातें करना है।
29.भालू के छोटे बच्चे
नये साल में छोटे बच्चे ,
सीखेंगे कुछ गाना गाना।
भालू के छोटे बच्चे
चार , सोचते बैठे कब से।
एक कह रहा ढोल बजाये
किन्तु इसे वह कहाँ से लाये ,
उस दिन उसके विद्यालय में
कितना मोहक था उत्सव गाना।
30.तीन नयी चिड़ियाँ रंगीन
तीन नयी चिड़ियाँ रंगीन
देख रहीं अमरूदों को।
गौरैया ने उनसे बोला
कैसी हो चिड़िया बहनों ?
तुम लोगों को इससे पहले
मैंने कभी नहीं देखा।
मैं ग्रेसी गौरैया हूँ ,
नाम तुम्हारा क्या बहनों ?
“रॉली , लॉली , पॉली कहते ,
लोग हमें , हम हैं बाहर से।
उड़ते -उड़ते आएं हैं ,
हम दूर देश से। “
“देश तुम्हारा कैसा है ,
बहन बताओ !”
बोली ग्रेसी गौरैया।
“वहां बर्फ की परतों ने
ढक डाले हैं जंगल सारे ,
इसीलिये हम इस ठंडक में
भारत में उड़कर आये। “
बोला चिड़ियों ने।
स्वागत है बहनों तुम सबका ,
हम मिलकर खूब खेल खेलेंगे।
खुश होकर बोली फिर ग्रेसी गौरैया।
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह के विषय में
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, डॉ राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान 2020 ,एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सत्रह पुरस्कार प्राप्त हैं ।
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