बाल साहित्य ( कविता ) बाल कविता संकलन 2021 भाग-3-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल साहित्य ( कविता ): बाल कविता संकलन 2021

भाग-3

प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल साहित्य ( कविता ) बाल कविता संकलन 2021 भाग-3-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
बाल साहित्य ( कविता ) बाल कविता संकलन 2021 भाग-3-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल कविता संकलन निल्लू, छोटी मछली और अन्य कवितायेँ (2021) को हम धारावाहिक रूप से प्रकाशित कर रहे हैं। इसमें पचास कवितायेँ हैं। प्रथम कड़ी में 20 कवितायेँ प्रस्तुत किया था ,और दूसरी कड़ी में 10 । तीसरी कड़ी की 10 कवितायेँ प्रस्तुत हैं।
पाठकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। बहुत बहुत धन्यवाद।

31.नन्हे – नन्हे बया के बच्चे

नये घोंसलों में लटके हैं
नन्हे – नन्हे बया के बच्चे
हर आती जाती चिड़िया को
देख – देख कर खुश होते।

वे कहते हैं कि उड़ आयें
नीले नभ में काफी ऊपर
उनको मम्मा बया बतातीं
थोड़ा धैर्य धरो चुप रहकर ।

जल्दी मजबूत बनेंगे पंखे ,
सारे नभ में उड़ आना ,
आ -आ कर तुम सभी हमें
अपनी अपनी बात बताना।

32.आया हिलता डुलता ऊँट

आया हिलता डुलता ऊँट ,
भारी भरकम बदन ऊँट का ,
लेकिन कितनी छोटी पूंछ,
आया हिलता डुलता ऊँट।

कई दिनों जल पिये बिना,
बच्चों , मैं रह सकता हूँ ,
रेगिस्तान की गर्मी में
दूर- दूर हो आता हूँ!

बच्चे खुश हो देख रहे हैं ,
बातें बता रहा है ऊँट।
कोई उसको फल देता है,
और मिठाई भर भर मूठ।

33.धूप आ गयी

कुहरा बीता धूप आ गयी ,
चिड़िया बाहर निकल आ गयी ,
अभी अभी छिपकर बैठी थी ,
बच्चे भी घर से निकल आ गये।

खिली धूप में सबने अपने,
मन के कितने खेले खेल,
कुछ बच्चों ने बातों में ही
दोपहर पूरी वहाँ बितायी।

34.झांक रहे मिट्टी के बाहर

नन्हे पौधे उग आये हैं
अभी अभी निकले हैं ,
पौधे मिट्टी के बाहर।

देख रहे दुनिया रंगीली
पक्षी ,कीड़े और मकोड़े ,
तितली के सुन्दर पंखे।

नन्हे पौधे सोच रहे हैं ,
वह भी बच्चों के संग खेलें।

बच्चा खुश हो देख रहा है ,
सोच रहा है बड़ा बनेगा
यह पौधा भी उसके जैसा ।
दोनों खुश हो सोच रहे हैं ,
चलो दोस्त हम बन जाते।

35.चिड़िया ने देखा खतरा

छोटी चिड़िया ने जब देखा ,
खतरा वहाँ दूर जंगल में।
उडी हर तरफ झुरमुट -झुरमुट ,
और बताया सबको जाकर।

आये हैं कुछ उधर शिकारी
अपने दाने डाल रहे हैं ,
जाल बाँध कर धीरे- धीरे
वे शिकार की सोच रहे हैं।

पशु पक्षी यह सुन कर चौंके ,
और शेर ने सभा बुलाई
बोला चलो बताते हैं ,
जो आये यहाँ शिकारी।

ये अच्छे लोग नहीं हैं ,
चिड़िया ,ये तुमको भी मालूम ,
इन लोगों ने बीते वर्ष अभी
जंगल रक्षा की कसमें खायीं ,
और देख लो आज दुबारा
इनकी नजरें ललचायीं।

अब हम सब मिलकर
इनको सबक सिखायेंगे ,
जंगल को यदि नष्ट करेंगे ,
तब हम इन्हे बतायेंगे।

36.रोचक चिड़िया उड़ती आयी

रोचक चिड़िया उड़ती आयी
बर्फीली चोटी से ,
बोली , “बच्चों ठंड बड़ी है ,
हम तुमसे मिलने उड़ आये।

बच्चे दौड़े , लाये दाने ,
कहा ,” करो चिड़िया आराम ,
सुस्ता लो थोड़ा सब तुम अब ,
कल सुबह मिलेंगे करने बात।

37.नन्ही मछली ऊँघ रही थी

खेल बुलबुलों से थक बैठी
नन्ही मछली ऊँघ रही थी ,
बोली देखो शाम हो रही
नहीं दिखी बच्चों की टोली।

उसकी दोस्त उछल कर बैठी ,
आज बहुत ठंडा है मौसम ,
छोटे बच्चे छिपे घरों में
सो जाओ , यह ही है बेहतर।

तब तक देखा नन्हा बच्चा ,
दौड़ा , दौड़ा आया ,
बोला ,ओ सुनो मछलियों
होमवर्क था मिला बहुत ,
मैं मिलने नहीं पहुँच पाया।

38.दो कौए थे एक गिलहरी

दो कौए थे एक गिलहरी ,
तीनों की थी बड़ी दोस्ती
तीनो तीन दिशा में जाते ,
वहाँ घूम कर वापस आते।

एक सुबह बुलबुल आ बोली
मैं भी तो हूँ दोस्त तुम्हारी ,
हमें मिलाओ टीम में अपनी ,
मेरी बोली बहुत सुरीली।

39.चिड़िया का बच्चा और गिरगिट

अभी अभी नन्हा सा बच्चा
चिड़िया के अंडे से निकला ,
गिरगिट ने देखा उसको
उसके मन में कुछ आया।

पहले अपने भूरे रंग में
गया वहां बच्चे से मिलने ,
फिर दो पल में ही उसने
रंग बदलकर लाल बनाया ।

सोचा बच्चा देख डरेगा
गिरगिट मजे करेगा।
लेकिन ये क्या उल्टा -पल्टा
बच्चे ने तालियाँ बजाया।

40.मिलसी का विद्यालय

मिलसी मछली रोज़ सवेरे
जल कीड़ों को पास बुलाती
और उन्हें अच्छी बातें ,
पढ़ने लिखने की बात बताती।

सब के सब ,समय समय पर
पिकनिक पर भी जाते।
मिलसी के विद्यालय में
अब जल जीव सभी आते।

प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह के विषय में
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, डॉ राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान 2020 ,एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सत्रह पुरस्कार प्राप्त हैं ।

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