बालोद परिचय गाथा
-कन्हैया लाल बारले
बालोद जिला एक परिचय-
बालोद जिला छत्तीसगढ़ प्रांत के एक समृद्ध जिला आय । 1 जनवरी 2012 के ए जिला ह अस्तित्व म आय रहिस । ए जिला के मुख्यालय बालोद शहर ह हे । बालोद शहर ह तान्दुला नदी के तट म बसे हे। बालोद शहर ह धमतरी ले 44 किलोमिटर अउ दूर्ग ले 58 किलोमिटर दूरिहा हे। जिला मुख्यालय बालोद तानदुला (आदमाबाद) डैम के तीर म हे, जउन सूखा अउ तानदूला नदी म 1912 म बने रहिस । बालोद शहर 20.73 डिग्री उत्तर अउ 80.2 डिग्री पूर्व म स्थित हे। बालोद शहर समूद्र तल ले औसतन 324 मीटर (1063 फीट) ऊँचाई म हे । जिला बालोद के कुल रकबा 352700 हेकटर हे । जिला बालोद वन, जल अउ खनिज संसाधन जइसे प्राकृतिक सम्पदा ले भरे पड़े हे। इहां धान, चना, गन्ना अउ गेहूं जइसे उपज होथे। जिला म तानदुला, खरखरा अउ गोँदली डैम सिंचाई के साधन हे ।
बालोद परिचय गाथा-
‘बालोद परिचय गाथा’ मधुर साहित्य परिषद इकाई डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) के अध्यक्ष भाई कन्हैया लाल बारले के लिखे एक कविता आय । ए कविता म बारलेजी ह बालोद जिला के सांस्कृतिक अउ भौतिक विरासत ल सजोय के भरपूर कोशिश करे हे । ए कविता पूरा बालोद जिला के खास-खास बात जेला सबो जानथे के संगे-संग कुछ ऐसे बात ल घला रेखांकित करे हे जेला कोनो नई जानय या फेर बहुत कम मनखे जानथे । कुल मिलाकर इंखर ए कविता संरक्षणवादी कविता हरे जेन ह बालोद जिला के सांस्कृतिक विरासत के सुरता ल पोठ करत हे ।
-रमेश चौहान
संपादक, सुरता: साहित्य की धरोहर
कविता-बालोद परिचय गाथा
बालोद परिचय गाथा
गुरु चरण में माथ नवाके ,
कहिथौ जी मैं सुघ्घर बात ।
धियान लगा के सुनव संतो,
बालोद जिला के ए बात ।
गजब सुघ्घर जिला हे भइया,
बालोद हवे जेकर नाव ।
तीन ब्लॉक पाँच तहसील हे,
सात सौ चार सुघ्घर गांव ।
भंडार म जेकर दुरुग हे,
रकसेल में कांकेर जान ।
उत्ती मे धमतरी हे भइया ,
बुड़ती म नांदगांव पहिचान ।
कला संस्कृति अउ शिक्षा जबर,
करम धरम में हवे महान ।
दया मया राखे हिरदे मा ,
मनखे मन बड़ हवे सुजान।
झलमला म हे गंगा मइया ,
सबके करथे पूरन काज ।
कमल सरीख मंदिर बिराजे,
प्रगटे जल ले इही राज ।
जम्मो कहिथे फुरमानुक हे,
सिया देवी जेकर नाम ।
बोहावत हे चरण म झरना,
सीता माई के ए धाम ।
अउ देवी हे रानी माई ,
जुंगेरा म बंजारी धाम ।
दुखिया के पीरा हर जाथे ,
जेमन करथे उकर प्रणाम ।
लोहारा जंगल म बिराजे ,
कहिथे गा पाटेश्वर धाम ।
पहाड़ी म पाटेश्वर बाबा ,
बगरे जग मे जेकर नाम ।
ओकर पुजारी हवे भइया ,
महा तियागी बालक दास ।
गउ सेवक अउ महा संत हे।
नीक उपदेश देवय खास ।
गांव-गांव के ठांव-ठांव मा ,
बगरे हावे कतको पाट ।
घीना म हरदे लाल जी ,
मोहंदी मे मोहंदी-पाट ।
राजझरा म शिकारी बाबा ,
रेंगाडबरी म हाकड़ी-पाट ।
कमकापार म मंगतु बाबा ,
निस दिन होथे पूजा-पाठ ।
गजब पुरातन हावे भइया ,
मालिघोरी के कुकुर देव ।
वफादारी के करनी करके,
बनिस कुकुर ले कुकुर देव ।
त्रेता युग के बात आय जी ,
सती करिस सीता सिंगार ।
रामा के परछो लेवत ले ,
रुकिस शिव जी भोला पठार।
चिरचारी के कलारिन माची ,
एक नारी के कथा सुनाय ।
नारी मन के रकछा खातिर ,
बहादुर कलारिन कहाय।
बघमार के जंगल म भइया ,
हवे कंगला मांझी धाम ।
आदिवासी भला बर भइया ,
करथे मांझी जइसे काम ।
वीरा सपूत हीरा कांगे ,
सिरजाइस मांझी सरकार ।
जनजाति मन ल वरदी देके ,
लेय बर सिखाइस अधिकार ।
बिकट पुरातन चितवा डोंगरी ,
गोंदली नदी हवे करार ।
बारा बइला फेर गुफा हे ,
शैल चित्र के हवे चिनहार ।
ओटेबंद में विष्णु मंदिर ,
चौरेल म गोरइया घाट ।
परब-परब म मेला भराथे ,
लोगन करथे पूजा-पाठ ।
दल्ली-राजझरा लोह नगरी ,
दुनिया में हावे पहिचान ।
कच्चा लोहा भिलई ल देथे ,
लोहा मानय सकल जहान ।
जबर नेता श्रमिक संघ के ,
शंकर गुहा नियोगी जान ।
इकर लहू ले माटी लाल हे ,
जानत हावय सकल जहान ।
कला जगत में लोकरंग के ,
अरजुंदा के हे पहिचान ।
छत्तीसगढ़ी गीत गम्मत ले ,
छत्तीसगढ़ के बड़हे मान ।
जुगुल दास महंत किरदार म ,
गंमत बनिस चरणदास चोर ।
चोरी करय झूठ नइ बोलय ,
होइस जग में ओकर सोर ।
तांदुला गोंदली व खरखरा ,
शिवनाथ खारुन ह बोहाय ।
अन धन के भंडार भरे हे ,
लछनी दाई हवे सहाय ।
नाम हवे साहित्य जगत में ,
अकाश लतीफ पुष्कर राज ।
गुलाब दिनकर नगरिहा बुटू ,
श्याम शिरोमणि हे सरताज ।
माहासिंग गजपति बुलंदी,
जगदीश गंधर्व हे सजोर ।
इहां हे गा कतको गियानी ,
बगरावय गियान अंजोर ।
जतका मोला सुरता आइस,
ओतिक ल में करेंव बखान ।
गलती म मोर छिमा करिहव ,
कहे कन्हैया सुनव सुजान ।
-कन्हैया लाल बारले
(अध्यक्ष )
मधुर साहित्य परिषद ईकाई डौन्डी लोहारा
जिला- बालोद (छत्तीसगढ़ )
बहुत बढ़िया जानकारी देहव गुरुदेव