सुदृढ़ समाज निर्माण हेतु सक्रिय समाज सेवी संत बीरेन्द्र कुमार देशमुख

बालोद जिला मुख्यालय से राजनॉंदगॉंव रोड पर ग्राम मालीघोरी से सुरेगॉंव मार्ग में करीब बीस किलोमीटर दूर ग्राम भेड़ी आज धर्म एवं आध्यात्म का केंद्र बिंदु बन चुका है । यहाँ माँ काली एवं कामधेनु मंदिर समिति के माध्यम से संत बीरेन्द्र कुमार देशमुख द्वारा आध्यात्मिक जागृति के क्षेत्र में बड़ा कार्य किया जा रहा है। संत बीरेन्द्र कुमार देशमुख आध्यात्मिक उत्थान के साथ जन सेवा करते हुए गरीब एवं असहाय रोगी के उद्धार कर्ता के रूप में चर्चित संत है। बालोद जिला के गुण्डरदेही विधानसभा अंतर्गत ग्राम भेड़ी इनका निवास स्थान है। यहाँ सन 2011 में उनके द्वारा कामधेनु मंदिर की स्थापना की गई। इस मंदिर में कामधेनु की साक्षात प्रतिमा है जिसके रग-रग में देवों का वास दिखाया गया है । इस प्रतिमा के निर्माण में सीमेंट का कहीं भी प्रयोग नहीं किया गया, पूर्णतः पंचगव्य से निर्मित कामधेनु का यह मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र बिंदु है। यह मंदिर माँ काली और हनुमान जी महाराज के फुरमानुक मंदिर के लिए भी विख्यात है। इस मंदिर में चैत्र एवं क्वॉंर नवरात्रि पर सैकड़ों लोगों द्वारा मनोकामना पूर्ति हेतु आस्था की एक ही ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है, जिसमें सैकड़ों लोगों की आस्था और अंचल की खुशहाली की कामना समाहित होती है।

       ठेठ छत्तीसगढ़िया अंदाज में लोगों को सामाजिक एकता एवं सौहाद्रता का संदेश देता यह संत ग्रामीण अंचल में बहुत लोकप्रिय है। इनके द्वारा गुंडरदेही विधानसभा के ग्राम लिमोरा में निर्मित की जा रही 64 योगिनी मंदिर जन-जन में चर्चित है। यह मंदिर भारतवर्ष का ऐसा प्रथम मंदिर होगा जहाँ किसी प्रकार की कोई दान पेटी नहीं होगी। 64 योगिनी मंदिर ज्ञान ध्यान एवं आध्यात्मिक आस्था का केंद्र बिंदु होगा।  सनातन धर्म उत्थान एवं आध्यात्मिक जागरण के लिये समर्पित संत जी समाज में व्याप्त विद्रुपता, कुरीति एवं सामाजिक असमानता पर भी कार्य कर रहे हैं। संत बीरेन्द्र कुमार देशमुख मानसिक रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के लिये बड़ा कार्य करने कृत संकल्पित है इसके लिये वे मेंटल हॉस्पिटल का निर्माण भी कर रहे हैं, दानदाता द्वारा दो एंबुलेंस की व्यवस्था अभी से हो चुकी है। इस हास्पिटल में घर समाज से तिरस्कृत भूखे प्यासे दर-दर भटक रहे मानसिक रोगियों की नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था की जाएगी। भोजन दवाई एवं आवास की नि:शुल्क व्यवस्था के साथ इस अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की विशिष्ट सेवा की व्यवस्था की जाएगी। यहाँ असहाय एवं आर्थिक रूप से कमजोर जनों के निशुल्क चिकित्सा के साथ सुखमय प्रफुल्लित जीवन का मंत्र भी दिया जाएगा। आने वाले समय में इस प्रांगण में मुख बधिर आश्रम का निर्माण किया जाएगा जहाँ इनके लिए सुविधायुक्त आश्रम के साथ निःशुल्क सेवकों की व्यवस्था की जायेगी। इसके साथ ही अमृत आश्रय स्थल निर्माण की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है, जहाँ वृद्धि गरीब एवं असहाय लोगों को नि:शुल्क आवासीय व्यवस्था दी जाएगी । इस कार्य योजना के क्रियान्वयन के लिए जन सेवा के माध्यम से बड़ा कार्य मोक्ष धाम सेवा संस्थान द्वारा किया गया है । इस संस्थान के माध्यम से जन सहयोग का संदेश आश्रम द्वारा दिया जा रहा है। 64 योगिनी मंदिर निर्माण के संकल्प के साथ 64 छोटे गांव को चिन्हांकित कर भिक्षा मांग कर मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है इसी 64 योगिनी मंदिर में 64 योगिनियों की मंदिर 64 ग्रामों से भिक्षा मांग कर लाये गये धन से की जाएगी। इससे लोगों को मंदिर निर्माण में स्वयं की भूमिका का भी एहसास होगा। इसके अतिरिक्त संत जी इंटरनेशनल गुरुकुल के निर्माण की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं जहाँ उर्दू भाषा को छोड़कर अन्य सभी भाषाओं में नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए विश्व स्तरीय शिक्षकों की भी व्यवस्था की जायेगी। 

    संत बीरेंद्र कुमार देशमुख बालोद जिले के चर्चित संत हैं । इनके पिताजी मूलत: रिसाली भिलाई निवासी थे और इनका दूसरा ग्राम पोटिया नगपुरा भी था, पिताजी के भाइयों में बंटवारे के बाद पोटिया की पैतृक जमीन में इन्हें बटवारा मिला। इनके नाना रामाधार देशमुख ग्राम आलबरस के निवासी थे। जहाँ उनकी करीब आठ दस एकड़ कृषि योग्य पैत्रिक जमीन थी। उनके तेरह संतानों की मृत्यु के बाद इनकी मॉं का जन्म हुआ। जब इनकी माता-पिता शादी हुई तब तक इनके नाना नानी बुजूर्ग हो गये, तब इनके देखरेख के लिये इनके माता पिता को आलबरस में रहना पड़ा। संत बीरेन्द्र कुमार देशमुख का जन्म 8 मार्च 1987 को नाना जी के ग्राम आलबरस (निकुम)जिला दुर्ग में हुआ। 

  ध्यान योग साधना एवं आध्यात्म के साथ-साथ जन सेवा एवं नाड़ी वैद्य के रूप में विख्यात संत जी के पूरे सप्ताह व्यस्त रहते हैं,  इनके पास देश के विभिन्न प्रान्त के अतिरिक्त अमेरिका,कनाडा, हांगकांग आदि देशों से भी मरीज आते हैं, जिनको मिला स्वास्थ्य लाभ इनकी प्रसिद्धि का कारण है। ये अपने गुरु भगवान शिव जी को मानते हैं लेकिन इनके मार्गदर्शन उनके नाना श्री रामाधार देशमुख रहे जो ग्राम आलबरस में आज भी सेवुक नाम से जाते हैं। 
    नानाजी आयुर्वेद के जानकार थे वे नाड़ी विद्या के माध्यम से लोगों की निःशुल्क चिकित्सा करते थे । आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ धर्म के क्षेत्र में इनका बड़ा योगदान रहता था इस कारण इन्हें सेवुक के नाम से जाना जाता था। नानाजी से मिले संस्कारों के कारण संत जी ने जन सेवा का संकल्प लिया। नाना के जीते जी आलबरस की जमीन बेचकर  पोटिया नागपुरा में जमीन खरीद कर खेती करने लगे लेकिन वहॉं पहुँच मार्ग के अभाव में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था इसलिये वहॉं की जमीन बेचने विवश होना पड़ा और गैर अपासी गॉंव भेड़ी में जमीन खरीद कर यहीं बस गए । इनके परिवार में पाँच भाई हैं ये सभी आज भी संयुक्त परिवार में रहकर पच्चीस एकड़ में खेती किसानी के माध्यम से जीवकोपार्जन कर रहे हैं । कृषि के अतिरिक्त इनके दो भाइयों का भिलाई में एवं दुर्ग में कोचिंग सेंटर है और एक भाई कपड़े की दुकान का संचालन कर रहे हैं ।  संत जी कृषि कार्य के साथ समाज सेवा करते आध्यात्मिक चेतना जागृत करते समाज एवं राष्ट्र हित में कार्य करते हुए सफल दांपत्य जीवन का निर्वहन कर रहे हैं ।  इनका कहना है कि लोग माया मोह तो छोड़ देते हैं लेकिन जिसे छोड़ना चाहिए उसे नहीं छोड़ पाए । माया मोह छोड़ देना कोई संत होने का मार्ग प्रशस्त नहीं करता, माया मोह के साथ में नशा भी अगर कोई छोड़ पाए तभी वह सच्चा संत हो सकता है। आने वाले समय में हम समाज को क्या दे पाएंगे अगर हम नशे की जकड़ से मुक्त नहीं हो पाए। हमारा देश धर्म प्रधान देश है इस देश में युवाओं को बौद्धिक विकास एवं आध्यात्मिक चेतना की जरूरत है। जो सामर्थ्यवान है वो कमजोर परिस्थिति के लोगों का सहयोग करते हुए भाईचारा की भावना से समय व्यतीत करे तो जीवन आनन्दमय हो जायेगा। संत जी ने इसी मनोभाव के तहत भण्डेरा के पटेल परिवार को एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान कर चर्चा में आये। उक्त परिवार में अचानक दुख का पहाड़ गिर पड़ा। परिवार के मुखिया की दोनो किडनी खराब हो गई थी। जीते जी बेटी की शादी का सपना संजोये बीमार पिता ने योग्य वर देखकर बेटी की शादी का फैसला किया था। इसके लिये उन्होने अपनी जमीन बेचकर फ्रीज कूलर आलमारी दीवान टीवी आदि उपहार के सामान के साथ दो लाख इनकावन हजार रुपये नगद पच्चीस कट्टा धान एवं चौदह कट्टा चाँवल के साथ शादी की तैयारी जोरशोर से कर रहे थे। तभी एक दिन अचानक आग लगने से सारी चीजें जलकर राख हो गई। पूरे परिवार के सामने जीवन अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया। ऐसे समय में संत जी ने सहयोग का हाथ बढ़ाकर पटेल परिवार को बड़ा सहारा दिया। यह वाकया आज भी चर्चा में है। इसी तरह मौरीकला जिला धमतरी के एक किसान परिवार में एक के बाद एक दुर्घटना में लगातार तीन लड़कों की मौत हो जाने पर उस परिवार को इनकावन हजार रुपये का सहयोग मानवता की बड़ी मिशाल है। गरीब बच्चियों की शादी में दीवान आलमारी आदि सामान देकर उन्हें सहयोग देकर उन्हें सुखमय जीवन का आशीर्वाद देने के साथ गरीब लोगों को नि:शुल्क दवाई भी दी जाती है। 

     मुस्लिम समाज के कोई भी त्यौहार में मदिरा सेवन वर्जित है, इसका कठोरता से पालन किया जाता है लेकिन हिंदू धर्म में इस पर लगाम लगाने की कोई कोशिश नहीं की गई । दीपावली, होली, हरेली, जन्म का जश्न, यहाँ तक की मृत्यु के कार्यक्रम में भी मदिरा सेवन कर समाज को विकृति की दिशा में धकेलना का कार्य किया जा रहा है। व्यक्तिगत नशा को भोलेनाथ का प्रसाद कहकर आध्यात्मिक विकृति फैलाने का जो कार्य किया जा रहा है संत बीरेंद्र कुमार देशमुख जी इसके सख्त खिलाफ है। पूरा आध्यात्मिक जगत संत वीरेंद्र देशमुख के इस आध्यात्मिक संदेश को आत्मसात कर सामाजिक विकृतियों को दूर करने का प्रयास करें तभी आध्यात्मिक क्षेत्र में सामाजिक समरसता के प्रादुर्भाव का सुखद संयोग पैदा हो सकता है। नशा मुक्त समाज निर्माण के साथ आध्यात्मिक चेतना जागृति के क्षेत्र में संत वीरेंद्र देशमुख का कार्य सराहनीय है।

लेखक
डॉ.अशोक आकाश
ग्राम कोहंगाटोला
तह. जिला बालोद
छ. ग. 491226
मो.नं.9755889199

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