कवि भरत ‘बुलंदी’ के छत्‍तीसगढ़ी कविता

कवि भरत 'बुलंदी' पारम्‍परिक छत्‍तीसगढ़ी गीत गणेश वंदना गीत गनपति के ले शुरु करत नंदावत हमर…

छत्‍तीसगढ़ी देश भक्ति गीत: छत्तीसगढ़िया सभिमानी ला

भारत के आजादी के अमृत महोत्‍सव के बेरा समर्पित हे छत्तीसगढ़िया स्‍वतंत्रता सेनानी ल श्रद्धा सुमन…

मोर चार ठन छत्‍तीसगढ़ी कविता-खिबीराम साहू

सावन के हे ए महीना, उमड़े हे घटा घनघोर । सबके बिगड़े बनइया, बिनती ल सुनले…

सम्राट पृथ्‍वीराज चौहान गौरव गाथा (आल्‍हा छंद)

सबले पहिली माथ नवावय, हाथ जोर के तोर गणेश । अपन वंश के गौरव गाथा, फेर…

आल्हा चालीसा (आल्हा छंद)-कन्हैया साहू “अमित”

आल्‍हा चालीसा म आल्‍हा के जीवन चरित्र अउ पराक्रम के वर्णन ओखरे नाम म बने पराक्रम…

दोहा जनउला-अजय “अमृतांशु”

माटी के चोला हवय, आँच परे पक जाय। गरमी के मौसम रहय, सबके प्यास बुझाय।।

बालोद परिचय गाथा-कन्हैया लाल बारले

'बालोद परिचय गाथा' मधुर साहित्य परिषद ईकाई डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़ ) के अध्‍यक्ष भाई…

छत्‍तीसगढ़ी नवगीत: नवा जमाना के नवा समस्‍या-रमेश चौहान

चना होरा कस, लइकापन लेसागे पेट भीतर लइका के संचरे ओखर बर कोठा खोजत हे, पढ़ई-लिखई…

छत्‍तीसगढ़ी कथा-कविता:किसान के पीरा-रमेश चौहान

ये कविता म एक गाँव के किसान अउ किसानी के समस्‍या ल एक कहानी के रूप…

किसान अउ किसानी के कविता-रमेश चौहान

नांगर बइला फांद, अर्र-तता रगियाये जब-जब धनहा मा, किसनहा गाँव के । दुनिया के रचयिता, जग…