पुस्तक चर्चा: चंदैनी गोंदा-छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा
-अजय अमृतांशु
“अंचल के लोकमंचीय कला इतिहास में चंदैनी गोंदा से बड़ी क्रांति न कभी हुई थी न होगी।”- प्रेम साइमन के ये कथन अक्षरसहः सत्य लगथे। छत्तीसगढ़ी लोक कला के पुरोधा अउ चंदैनी गोंदा के सर्जक दाऊ रामचंद्र देशमुख जइसन विराट व्यक्तित्व के बारे म जानना अपन आप म एक अलग अनुभूति आय। उँकर व्यक्तित्व अउ कृतित्व ले परिचय करात शोध ग्रंथ “चंदैनी गोंदा- छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा” डॉ सुरेश देशमुख के संपादन म पाठक मन के बीच उपलब्ध हवय। दो खण्ड अउ 16 अध्याय म प्रकाशित ये ग्रन्थ के संपादन म डॉ सुरेश देशमुख जी ल कतका पसीना बहाय ल परे होही ये ग्रन्थ के अध्ययन के बाद मालूम चल जाथे। रामचंद्र देशमुख जी के व्यक्तित्व अउ कृतित्व ल सहेजना कोनो चुनौती ले कम नइ हे अउ ये चुनौती म संपादक ह पूरा खरा उतरे हवँय।
07 नवम्बर 1971 के रात ग्राम बघेरा म “चंदैनी गोंदा” के प्रथम मंचन से ले के “चंदैनी गोंदा” के विसर्जन तक के सम्पूर्ण यात्रा के अद्भुत वर्णन ये ग्रन्थ म हवय। छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक लोक जागरण के प्रतीक चंदैनी गोंदा के एक-एक पात्र (नेपथ्य से ले के मंच तक ) के सबो कलाकार के परिचय के साथ संपादक हा पूरा न्याय करे हवय।
अध्याय- 1 ” छत्तीसगढ़ी नाचा का क्रमिक विकास” दाऊ रामचन्द्र देशमुख जी के ये आलेख म नाचा के क्रमिक विकास, नाचा ल परिमार्जित करे खातिर छत्तीसगढ़ी देहाती कला विकास मंडल के गठन तेखर उपरांत चंदैनी गोंदा के उद्भव के पूरा विवरण मिलथे। रामचन्द्र देशमुख जी के शब्द में-
” छत्तीसगढ़ी संस्कृति में कला,रीति रिवाज,धर्म,किसान जीवन आदि से अंत तक जो कुछ श्रेष्ठ,गौरव पूर्ण और सार्थक था, जो कुछ शुभ और हृदयस्पर्शी था उसे मंच पर प्रस्तुत करने की आकांक्षा थी। एक नया मंच बना “चंदैनी गोंदा”।
चंदैनी गोंदा के गौरवशाली इतिहास के एक-एक पन्ना ल परत दर परत दस्तावेजीकरण करके नवा पीढ़ी के समक्ष लाय म संपादक के मेहनत अउ लगन साफ दिखाई देथे। यदि आप ये ग्रंथ ल पढ़े के शुरू करहू तब आखिरी पन्ना तक आप उठ नइ सकव ठीक वइसने जइसन कि चंदैनी गोंदा के मंचन शुरू होय अउ कब बिहनिया हो जाय पता नइ लगय। ये पुस्तक के प्रत्येक पन्ना कीमती हवय जेला संपादक ह अथक परिश्रम करके सहेजे हवय।
उद्घोषक के कमेंट्री के साथ पात्र के परिचय संवाद अउ गीत के प्रस्तुति बस देखते ही बनथे। चंदैनी गोंदा के मंचन के अद्भुत दृश्यांकन देशमुख जी करे हवँय जेला पढ़त हुए पाठक ला साक्षात चंदैनी गोंदा देखे के एहसास होही। कतका भव्य मंच रहय, 50 हजार ले आगर दर्शक बिहनिया के होवत ले देखत मंत्रमुग्ध बिना कोनो ध्यान भटकाये बस अपलक….।
प्रथम खण्ड दाऊजी के कृतित्व के ऊपर केंद्रित हवय अउ दूसर खण्ड उँकर व्यक्तित्व ऊपर। छत्तीसगढ़ के तात्कालीन बड़का विद्वान जेमन चंदैनी गोंदा के मंचन देखिन अपन अपन शब्द म भूरि-भूरि प्रशंसा करिन। उन सबके आलेख ये शोध ग्रन्थ म समाहित हवय। चंदैनी गोंदा से जुड़े कई रोचक प्रसंग के उल्लेख देशमुख जी करे हवय जेला पढ़ के अलगेच अनुभूति होथे ।
अइसन ग्रन्थ के संपादन उही व्यक्ति कर सकत हे जेन चंदैनी गोंदा ला करीब से देखे हे, फेर डॉ सुरेश देशमुख जी तो चंदैनी गोंदा ल जीये हवय येकर कारण बहुत ही सूक्ष्मता से हर बात ल पाठक के समक्ष लाय हवँय। उन चंदैनी गोंदा के प्रथम उदघोषक रहे हवँय।
अध्याय 2 में दाऊ रामचन्द्र देशमुख जी के रेडियो वार्ता- चंदैनी गोंदा क्या है? अउ राजकुमार शर्मा जी के आलेख हवय। अध्याय 3 मा चंदैनी गोंदा के ऊपर त्रिभुवन पांडेय,प्यारेलाल गुप्त, जगन्नाथ शाही, लाला जगदलपुरी, विश्वेन्द्र ठाकुर, डॉ गणेश खरे के संस्मरण अउ कथाभूमि हवय । अध्याय 4 – चंदैनी गोंदा के मंचन ल देखे के उपरांत लिखे -नारायणलाल परमार, डॉ हनुमत नायडू, शेषनारायण चंदेले,सतीश जायसवाल, पवन दीवान, घनश्याम प्रसाद तिवारी, सुरजीत नवदीप जइसन प्रख्यात साहित्यकार के आलेख संग्रहित हवय। अध्याय- 5 कलाकार मन के चित्र सहित परिचय अउ अध्याय 6 में चंदैनी गोंदा के पूरा गीत संग्रहित हवय।
अध्याय 7 म चंदैनी गोंदा के मूल कथानक के कमेंट्री सहित प्रदर्शन के भव्यता के बेहतरीन वर्णन संपादक ह करे हवय। ये अध्याय ल पढ़त हुये पाठक ल चंदैनी गोंदा ल साक्षात देखे के एहसास होही। कार्यक्रम के शुरू ले समाप्ति तक के चित्रण चित्र सहित करना मामूली काम नोहय। चंदैनी नाच(खड़ा साज), राऊत नाच, नाचा- मोर नाँव दामाद मोर गाँव के नाम ससुराल सहित बिहनिया तक के मंचन के पूरा दृश्य ये अध्याय म समाहित हवय। हर कमेंट्री के बाद विषयानुकूल गीत संगीत के प्रस्तुति, कलाकार मन के बारी-बारी से मंच म प्रवेश अउ बेहतरीन अभिनय, बिहनिया होवत चिरई मन के चहचहाहट के संग मंच के समापन… ग़जब के दृश्यांकन संपादक के हवय।
अध्याय-8 चंदैनी गोंदा के कथानक एक रात का स्त्री राज, देवार डेरा अउ कारी के मंचन के सम्पूर्ण दृश्य कमेंट्री के साथ समाहित हवय जेला पढ़ना भी सुखद अनुभूति कराथे। 1983 में दाऊजी चंदैनी गोंदा के विर्सजन कर दे रहिन तेकर उपरान्त खुमान साव चंदैनी गोंदा के बैनर तले 2019 तक लगातार येकर प्रदर्शन करिन। द्वितीय खण्ड के अध्याय 10 में संपादक द्वारा दाऊजी के पारिवारिक पृष्ठभूमि अउ संक्षिप्त जीवन परिचय,अध्याय 11 में रामचन्द्र देशमुख जी के विस्तृत आलेख, अध्याय 12 में डॉ खूबचंद बघेल, डॉ नरेंद्र देव वर्मा, चंदूलाल चंद्राकर, स्वामी आत्मानंद, पवन दीवान, नारायण लाल परमार, लक्ष्मण मस्तुरिया, हरि ठाकुर आदि के द्वारा रामचंद्र देशमुख जी ल लिखे पत्र ये शोध ग्रंथ म समाहित हवय। ग्रन्थ के हर आलेख पठनीय हवय।
अध्याय 13 (जैसा हमने उन्हें जाना) दाऊजी के व्यक्तित्व उपर केन्द्रित आलेख- हरि ठाकुर, जमुना प्रसाद कसार, रामहृदय तिवारी, परदेशीराम वर्मा अउ विनोद साव के मिलथे। अध्याय 14-अलग अलग साहित्यकार द्वारा ले गए साक्षात्कार अउ अध्याय 15 में दाऊ रामचन्द्र देशमुख से परितोष चक्रवर्ती, रचना परमार, डॉ. मनराखन लाल साहू, विनोद साव अउ डॉ. महावीर अग्रवाल द्वारा लिए रोचक भेंटवार्ता हवय। अध्याय-16 उपसंहार-डॉ सुरेश देशमुख के वीरेंद्र बहादुर सिंह से बातचीत हे।
चंदैनी गोंदा के प्रचार के पाम्पलेट, दृश्यानुकुल मंच के परदा, मंचन के दौरान कलाकार मन के फोटो,दुखित के रोल में दाऊजी के फोटो ये सब ल एकत्रित करके 488 पृष्ठ के ग्रन्थ के रूप म लाना सचमुच में भगीरथ कारज आय। छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक विरासत ले नवा पीढ़ी ल परिचय कराय खातिर संपादक के अथक मेहनत अउ लगन ल नमन करत हुए हार्दिक बधाई देत हँव। ये ग्रंथ न केवल शोधार्थी मन बर काम आही बल्कि वो हर छत्तीसगढ़िया मनखे के काम आही जेन अपन लोक कला अउ संस्कृति ऊपर गर्व करथे। शासन ल चाही कि ये ग्रन्थ ल एम.ए. छत्तीसगढ़ी के पाठ्यक्रम म खचित शामिल करँय ।
अजय अमृतांशु
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
9926160451