छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर कविता
छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी
-मनोज श्रीवास्तव
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस के आज के अवसर मा प्रस्तुत हे मनोज श्रीवास्तव के हास्य व्यंग छत्तीसगढ़ी कविता छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी । येमा दू कविता है एक छत्तीसगढ़ी रचना-हैप्पी बर्थडे छत्तीसगढ़ अउ दूसर तोला छत्तीसगढ़ी आथे । ये रचना मनोज श्रीवास्तक के प्रकाशित पुस्तक ‘गम्मत’ ले ले गे हे । गम्मत श्रीवास्तवजी के एक चर्चित किताब आय । जेमा कवि मनोज श्रीवास्तव ह अपन हास्य अउ व्यंग के चुटिले अंदाज म समाज के विसंगति ल चोट पहुॅचावत अपन समाज सुधार के संदेश ल रोचक ढंग लें प्रस्तुत करें हें ।
छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी : छत्तीसगढ़ –
हैप्पी बर्थडे छत्तीसगढ़
श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव रचित ‘गम्मत’ के पन्नों से- हैप्पी बर्थ डे छत्तीसगढ़-
हेप्पी बर्थडे छत्तीसगढ़,
ले हमन आवत हन, तैं आघू बढ़,
जउन हो सकही तउन करबो,
एक-दूसर संग लड़ मरबो,
आन राज्य के हिजगा बखानबो,
अपन गलती भले नई मानबो,
फेर तैं विकास के पलानीस चढ़ । हेप्पी……
आवत हे नवा-नवा पीढ़ी,
तेला पियाबो चिलम अउ बीड़ी,
अउ मिलके तोर थोथना ल सुधारबों,
नवा पीढ़ी संग रोज एक पउवा मारबो,
अइसने नवा पीढ़ी के सपना तहूं गढ़ । हेप्पी…..
हर चौक म चारी चुगली सेंटर खोलबो,
जेमा घेरी-बेरी चिल्लाके आय-बांय बोलबो,
अपने-अपन जूझ परबो,
बठवा विचार मा जिंनगी भर मरबो,
ए सब विकास ल अपने माथा म मढ़ । हेप्पी…
गरीब मन ल शिक्षित बनाबो,
गाँव-गाँव साक्षरता के टिमकी बजाबो,
लइका मन ल घलो भात-साग खवाबो,
बारा खड़ी अनार आम अगले जनम सिखाबो,
इतिहास छोड़, हमर वर्तमान तैं जरूर पढ़ । हेप्पी….
छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी :छत्तीसगढ़ी-
तोला छत्तीसगढ़ी आथे
तोला छत्तीसगढ़ी आथे!
तोला छत्तीसगढ़ी आथे!
मुरई-भाटा के साग हर ,
तोला तो अड़बड़ मिठाथे,
फेर तोला छत्तीसगढ़ी आथे!
अंग्रेजी के मोट्ठा पोथी ल,
धरे हवस कुरिया म,
अउ अपन राज के भाखा बर,
तोर जी तरमराथे ?
तोला छत्तीसगढ़ी आथे !
खाये-खेले बनाए संगवारी,
पहली किंदरेस बारिच-बारी,
अब बाढ़ गे हवस डंग-डंग ले,
त ओही बारी के सुरता भाथे ?
तोला छत्तीसगढ़ी आथे !
हमर भुंइयां होगे पोठ,
त होवत हे कइठन गोठ,
फेर ए भुंइयां बर कोनो,
आंय-बांय गोठियाथे,
त मंता तोरो भोगाथे ?
तोला छत्तीसगढ़ी आथे !
ददा के घलो बाढे़ हे टेस,
लइका दउड़त हे,
कुसंस्कृति के रेस,
अपन पढ़े सरकारी स्कूल म,
अउ लइका ल अंग्रेजी म पढ़ाथे,
फेर कभू लइका ल पूछे हवस ?
तोला छत्तीसगढ़ी आथे !
कमाये-खाये गे हवस दिल्ली-पूना,
उहां के रंग म बुड़ गेस कई गुना,
आखिर म आये अपनेच माटी,
काम आइस खूरा,
अउ काम अइस पाटी,
खूरा-पाटी म तोर,
नींद बने झमझमाथे,
फेर गुनके देख,
तोला छत्तीसगढ़ी आथे !
तोला छत्तीसगढ़ी आथे!
तोला छत्तीसगढ़ी आथे!
-मनोज श्रीवास्तव
हमर मयारुक भाई मनोज श्रीवास्तव जी के अंतस के पीरा हर हास्य व्यंग्य म झलकथे। सोला आना सच बात ल उन कथें। जतका तारीफ करे जाय कमे परही…नंगत अकन बधाई भाई ल…
ए राज म रहइया हमर जम्मो झन के जिम्मेदारी होथे के एकर सोसन झन करन, एकर बिकास बर तन मन धन ले लगन…।फेर ए अजाद भारत बर काकर कतका परेम हे, गद्दारी अपन सीमा ल लांघत हे ए दिखत हे …ए त नानकुन राज के गोठ ए….बहुते सुंदर रचना भाई के
स्थापना दिवस के नंगत अकन बधाई देवत….
सादर अभिवादन बड़े भईया। आप मन के मया अउ दुलार के सेती मैं अतका पन कर लेथवं भईया, अईसने मया सदा बनाय रइहव।
बने हे