छत्तीसगढ़ के जय
छत्तीसगढ़ के जय
ए मया के फुलवारी ल, सुनतां ले सजाबो, के जस जग म बगरय। जय छत्तीसगढ़ के जय, जय छत्तीसगढ़ के जय............ राज चलईया ले कर जोर बिनय हे, अइसे हित के कानहुन बनावय। के हमर छत्तीसगढ़िया के छाती म, देखव जी ए जांता झन दरावय।। सरेख करलव गरीब जनता के, ओहर बोट देके झन ठगावय............. चलव संगी जुरमिल के जम्मो, सुग्घर चात्तर डगर बनाबोन। धान के कटोरा ए राज हमर, बिकास के नदियां बोहाबोन।। सत रसता म सुख हे अड़बड़, मेहनत म नईहे डर अऊ भय.... जऊन दिन ए जनता सेवक मन, करतब्य ल ईमानदारी ले निभाही। सिरतोन गोठ ए ग संगवारी होआ, ए भुईयां ह सरग कस बन जाही।। एखरे बर कहिथे सुजान मन, पईसा -दारु म झन बेचावय...... ए करही वो करही कहिके, ए बहाना ल छोड़े ल परही। लाना हे देस म चैन अमन त, खुद जोखिम उठाए ल परही।। जबतक हितवा आघु नई आही, देस राज ह सुग्घर नई बनय......
-महेतरु मधुकर पचपेड़ी, मस्तूरी, बिलासपुर