छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत Chhatisgarhi Bhajan Geet

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत Chhatisgarhi Bhajan Geet

-रमेश चौहान

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत की इस संग्रह में 8 भजन गीत संग्रहित हैं । इस संग्रह में सरस्‍वती वंदना, गणेश भजन, जस गीत, कृष्‍ण भजन आदि सम्मिलित है । इन गीतों की तीन विशेषताएं हैं- पहला ऐ सभी गीत छत्‍तीसगढ़ के पृष्‍ठ भूमि में लिखी गई । दूसरा इन गीताें केे बोल शास्‍त्रीय छंद में लिखी गई है । तीसरा इन गीतों को शास्‍त्रीय ताल में निबद्ध कर गाया गया है । यहां इन भजन गीतों के बोल (Lyrics) और audio video दिए गए हैं ।

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत Chhatisgarhi Bhajan Geet
छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत Chhatisgarhi Bhajan Geet

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत chhatisgarhi-bhajan-geet- सरस्‍वती वंदना – ‘हे मइया शारदे’

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत -हे मइया शारदे

दोहा गीत Doha geet-

जय हो मइया शारदे, पांव पखारन तोर ।
तोरे दर मा आंय हन, बिनती सुन ले मोर ।

बइठे सादा हँस मा, करे सेत सिंगार ।
सादा लुगरा तोर हे, सादा गहना झार ।।
सादा के ये सादगी, ममता के हे डोर ।
तोरे दर मा आंय हन,
बिनती सुन ले मोर ।

एक हाथ वीणा हवय, दूसर वेद पुराण ।
वीणा के झंकार हा, डारे जग मा जान ।।
वेद ज्ञान परकाश हा, करत हवे अंजोर।
तोरे दर मा आंय हन,
बिनती सुन ले मोर ।

ज्ञान समुंदर तैं हवस, अविरल अगम अथाह ।
कोनो ज्ञानी हे कहां, पावय जेने थाह ।।
तोर दया ला पाय बर, बिनय करन कर जोर ।
तोरे दर मा आंय हन,
बिनती सुन ले मोर ।

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत chhatisgarhi-bhajan-geet- गणेश भजन-‘मोर गजानन स्‍वामी बिराजे हे गाँव शहर’

पारम्‍परिक लोकधुन Lokdhun-

मोर गजानन स्‍वामी बिराजे गांव शहर
मोर गजानन स्‍वामी बिराजे गांव शहर
गांव-गांव हर शहर, जेती देखव हर डहर
मेटय-मेटय ओ हा पीरा के कहर

अइसन हवय संगी गजानन के महिमा हा
सबो भगत के ओता बढ़ावत गरिमा ला
मोर गजानन स्‍वामी बिराजे गांव शहर
मोर गजानन स्‍वामी बिराजे गांव शहर
गांव-गांव हर शहर, जेती देखव हर डहर
मेटय-मेटय ओ हा पीरा के कहर

बिध्‍न विनाशक संगी नाम हे जेखर
ओही नाम ला जपय संगी भगत मन ओखर
मोर गजानन स्‍वामी बिराजे गांव शहर
मोर गजानन स्‍वामी बिराजे गांव शहर
गांव-गांव हर शहर, जेती देखव हर डहर
मेटय-मेटय ओ हा पीरा के कहर

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत chhatisgarhi-bhajan-geet- जसगीत ‘दाईनवगढि़न हवय’

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत- जसगीत ‘दाईनवगढि़न हवय’

दोहा गीत Doha geet-

दाई नवगढ़हिन हवय, माना तरिया पार ।
नाव महामाया हवय, महिमा हवय अपार ।।

लाल बरन दाई हवय, जिभिया लाल लमाय ।
लाली चुनरी ओढ़ के, अपन दया बगराय ।।
नाष करे बर पाप के, धरे हवे तलवार । दाई नवगढ़हिन हवय ..

गर हे सूर्रा सोनहा, करन फूल हे कान ।
माथा चांदी के मुकुट, आंखी घटा समान ।।
जीयत जागत दिव्य हे, दरस करव संसार । दाई नवगढ़हिन हवय ..

दाई मयारू घात हे, पुरखा हमर बताय ।
सबो भगत के दुख दरद, सुनते जेन मिटाय ।।
राज पहर ले हे बसे, किल्ला पुछा कछार । दाई नवगढ़हिन हवय…

मंदिर तरिया घाट हा, बनते बनते जाय ।
फेर बिराजे दाई इहां, आसन एक जमाय ।।
ददा बबा ले आज तक, करत हमर उद्धार । दाई नवगढ़हिन हवय….

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत chhatisgarhi-bhajan-geet- जसगीत ‘जगमग जगमग जोत करत हे’

आल्‍हा छंद Aalha Chhand-

जगमग जगमग जोत करत हे, मंदिर मंदिर देवी ठांव ।
जंगल भीतर पर्वत ऊपर, शहर शहर अउ जम्मो गांव ।।

माता के जयकारा गूंजे, जब छाये जग मा नवरात ।
धरती नाचे बादर झूमे, रूख राई घाते इतरात ।।

लहर लहर जब करे जवारा, सबो देवता माथ नवात ।
परम श्‍ांति अउ सुख ला पावय, जेने ऐखर दरशन पात ।

अइसन बेरा भगत जान के, मइया के ते द्वारे जात ।
अपने मन के सबो मनौती, मइया ले सबो गोहरात।।

नाना भगतन मइया के हे, नाना रूप अपन देखाय ।
धरे ढोल मादर कतको मन, दिव्य कथा तोरे तो गाय ।

बरन बरन के बाजा बाजे, बरन बरन के राग सुनाय ।।
कोनो जिभिया बाना छेदे, कोनो छाती जोत मढ़ाय ।।

कोनो सुन जस तोरे झूमे, सांटे मांगे हाथ लमाय ।
झूपत झूपत भगतन नाचे, सुध बुध ला अपने बिसराय ।।

श्रद्धा अउ विश्‍वास धरे सब, मइया मइया करे पुकार ।
सबो मनौती सबके मइया, पूरा कर करदव उपकार ।।

कोरा के हम तोरे लइका, तैं हमरे जग जननी माय ।
मानवता पथ छोड़ी झन हम, हमला माता लेहु बचाय ।।

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत chhatisgarhi-bhajan-geet- जसगीत ‘हे जग कल्‍याणी’

त्रिभंगी छंद Tribhangi Chhand-

हे जग कल्याणी, आदि भवानी, माता रानी, दाई ओ ।
दुष्‍टन ला मारे, संतन तारे, भगत उबारे, दाई ओ।
जुग जुग ले छाहित, हवस समाहित, श्रद्धा भगती -मा दाई ।।

मां तोरे ममता, सब बर समता, जीव जंतु मा, हे छाई ।।
आये नवराते, भगतन माते, दिन राते तो, सेवत हे ।
नौ दिन नौ रूपे, भगतन झूपे, साट हाथ मा, लेवत हे ।
जय जय मां काली, श्‍ोरावाली, खप्पर धारी, दाई ओ ।

तहीं दंतेश्‍वरी, बम्मलेश्‍वरी, चंद्रहासनी, अउ तहीं महा-माईओ ।
पहिली दच्छसुता, के शैैलसुता, ब्रह्मचारणी, दूसर मा ।
तीसर चंद्रघण्टा, हे कुश्माण्डा, चउथा नामे, तो उर मा ।।
पंचम स्कन्धमाता, भाग्य विधाता, कात्यानी तो, छठ दाई ।

कालरात्रि साते, गौरी आठे, नवम सिद्धदात्री, नौ दाई ।।
तोरे दरवाजा, भगत समाजा, अपने माथा, फोरत हे ।
सब औती-जौती, धरे मनौती, अपने हाथे, जोरत हे ।।
मन मा विष्वासा, होही आसा, अब तो पूरा, दाई ओ ।
ये ममता तोरे, जिनगी मोरे, कूंद-कूंद सुघ-राई ओ ।।

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत chhatisgarhi-bhajan-geet- जसगीत ‘हे महामाई दया कर’

गीतिका छंद Geetika Chhand-

हे महामाई दया कर, हम नवावन माथ ला ।
तोर दर मा हम पड़े हन, छोड़ बे झन साथ ला ।।
तोर जश सब भक्त गावन, ढोल मादर थाप मा ।
जीभ बाणा ले रखे हन सांट लेवन हाथ मा ।।

हे जवांरा जोत दाई, तोर रूप विश्‍वास मा ।
जाप श्रद्धा ले करे हन, नाम तोरे साँस मा ।।
भाग मा जतका भरे हे, मेट दे संताप ला ।
शक्ति अतका दे न दाई, छोड़ दी हम पाप ला ।।

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत chhatisgarhi-bhajan-geet- जसगीत ‘गढ़ बिराजे हो मइया छत्‍तीसगढ़ मा’

पारम्‍परीक जसगीत Jasgeet-

गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय
गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय

रायपुर रतनपुर नवागढ़, महामाई बन बिराजे
बम्लेश्‍वरी डोंगरगढ मइया, पहड़िया ऊपर राजे
बेमेतरा दुरूग मा, काली चण्डी बाना साजे
नाथल दाई नदिया भीतर,
चंद्रहासनी संग बिराजे हो माय ।

गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय
गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय

तिफरा मा तैं काली माई, डिंडेश्‍वरी मल्लहारे
बस्‍तर के दंतेवाड़ा, दंतेश्‍वरी संवारे
संगारपुर म मौला माता भगतन के रखवारे
अंबिकापुर मा समलेश्‍वरी तैं बिराजे हो माय

गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय
गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय

गांव गांव पारा पारा, तोर मंदिर देवालय भाथे
भगतन जाके तोर दुवरिया, अपन माथ नवाथे
आनी बानी मन के मनौती, रो रो तोला सुनाथे
सबके पीरा के ते हेरईया, सबके मन बिराजे हो माय

गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय
गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय

छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत chhatisgarhi-bhajan-geet-कृष्‍णजन्‍म की कथा ‘भादो के महिना, घटा छाये अंधियारी’

पारम्‍परिक भजन Bhajan-

भादो के महीना, घटा छाये अंधियारी,
बडा़ डरावना हे, रात कारी कारी ।

कंस के कारागार, बड़ रहिन पहरेदार,
चारो कोती चमुन्दा, खुल्ला नई ए एकोद्वार ।

देवकी वसुदेव करे, पुकारे हे दीनानाथ,
अब दुख सहावत नइये, करलव सनाथ ।

एक एक करके छैय, शिशु ल मारे,
सातवइया घला होगे, कइसे अपभ्रंस ।

मन खिलखिवत हे, फेर थोकिन डर्रावत हे,
कंस के काल हे के, पहिली कस एखरो हाल

ओही समय चमके, बिजली घटाटोप,
निचट अंधियारी के, होगे ऊंहा लोप ।

बिजली अतका के जम्मो के, आंखी कान मुंदागे,
दमकत बदन चमकत मुकुट, चार हाथ वाले आगे ।

गीतकार-रमेश चौहान

इसे भी देख सकते हैं- रमेश चौहान के 7 छत्‍तीसगढ़ी लोकगीत

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5 thoughts on “छत्‍तीसगढ़ी भजन गीत Chhatisgarhi Bhajan Geet

    1. बहुत सुन्दर गीत। इसे सुन कर मन भक्ति भावना से भर गया।

  1. स्वर और नृत्य के साथ ग़जब की प्रस्तुति हुई।

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