छत्तीसगढ़ी कहानी:
ब्रेकिंग न्यूज
-चन्द्रहास साहू
‘काकी आज झटकुन घर जाहू
‘हहो‘‘
काकी हुंकारू दिस ।
जम्मो बरतन ला मांजथे काकी हा। ओहा मंजाये बरतन ला धोये लागथे बड़का टब के सॅफा पानी मा। पिलेट गिलास थारी मग करछूल चम्मच अऊ आने बरतन। जम्मो बरतन के खटर पटर के आरो आथे। टकराहा अतका होगे कि बुता नइ करे तभो ले सुनावत रहिथे।
“काकी ! ये दुनिया मा गरीब काबर रहिथे ? कोनो गरीब नइ रहितिस तब दुख पीरा नइ रहितिस। पेट अगियातिस नही । काखरो पेट जुच्छा नइ रहितिस… लांघन नइ रहितिस। “
सांवर बरनवाली काकी कलेचुप रिहिस।
“सिरतोन मा तो मइनखे ले जादा कुकुर के भाग जब्बर हावय। आनी बानी के खाये ला मिलथे ….टोंटा के आवत ले। लांघन मइनखे ला कुकुर के जूठा रोटी घला नइ मिले छी .. छी.. । … भलुक मइनखे के जूठा ला कुकुर खा लिही फेर मइनखे के जूठा ला मइनखे नइ खा सके ? “
ओहा जम्मो ला किहिस अऊ जूठा थारी के साबूत रोटी भात सब्जी,राइस,जीरा राइस, फ्राई राइस ला डस्टबीन मा फेके लागिस। ओखर सिकल मा जोगनी चमकिस अऊ फेर बुतागे। मुहू मा पानी आइस… गुटक लिस । सुरता आये लागिस पाछु दरी रोटी चावल ला डस्टबीन मा नइ डालके खावत रिहिस तब सेठ हा दइया मईया तक ला उपटे रिहिस।
बुता अतार के दुनो हाथ ला कुरता मा पोछिस। अऊ पेट ला रमजे लागिस।
“का होगे नन्दू पेट पिरावत हे का ?”
काकी हा पुछिस ।
‘‘नन्दू “इही नाव तो आवय ये बारा तेरा बच्छर के लइका के ।
“न .. ही…. पेट नइ पिरावत हे।”
नन्दू सोज ठाड़े होगे। कनिहा के पीरा ओखर सिकल मा दिखत घला रिहिस। फेर जादा पीरा तो गरीब के पेट के पीरा होथे …..।
कनिहा मा खोचाए अछरा मा बंधाए पांच रूपिया के सिक्का ला देवत किहिस काकी हा ।
‘‘जा बेटा बिस्कुट बिसा लेबे। पिछोत रस्दा ले जा लुकावत मोटल्ला झन देखे अइसे। बइहा ला सुरता करबे अऊ आगू मा आ जाथें । मोटल्ला खखारे लागिस। भंसियाहा नरी ले आरो आइस।
‘‘फलर – फलर गोठियाते रहोगे कि बुता घलो करोगे ।‘‘
गुटखा चफलत आइस अऊ पच्च ले थुकत किहिस।
“कमात तो हन, तभे तो जम्मो बरतन मन चमकत हावय तोर थोथना कस।”
काकी अगियावात किहिस अऊ कठल कठल के हासे लागिस।
मोटल्ला एक कुण्टल ले आगर बड़का मिस्त्री आवय। रसोई इंचार्ज घला कहिथे। निरवा छत्तीसगढिया तो आवय फेर ओखर बोली भाखा … पांव परत हावव।
‘‘गोठ बात कमती अऊ बुता काम जादा करोगे तभी सेठ को सिकायत नही पठोउगा। नही तो कतको झन का नोकरी खा गया हू।”
बोड्डी ले उप्पर उघरा पेट ला रमजत किहिस मोटल्ला हा।
“कस रे बेन्दरा बने कमाया कर नन्दू ला घला चेताइस ।”
“रोग्गहा… कोन जन कब नहाथे ते जइसने काया हा बस्साथे वइसना मुहु हा घला बस्साथे। खुदे बने कमाए धमाए नही माखूर रमजत किंजरत रहिथे ।”
काकी कुरबुराये लागिस।
होटल मा बारा पंदरा झन कमइया हावय जम्मो के अलग अलग बुता। सुघ्घर बरनवाली पड़री मोटियारी अऊ जवनहा मन परोसे के बुता करथे। अधेरहा माइलोगिन मन रांधे के बुता करथे मिस्त्री मन संग। सियनहिन अऊ लइका मन बरतन धोवई मंजई मा रहिथे । काकी जादा सियनहिन नइ होये हावय तभो ले … काखरो लाटा फांदा मा नइ रहना चाहे। ओती के मन अपने अपन अब्बड. हिजगा पारी अऊ झगरा होथे।
‘‘ले काकी बिस्कुट खा।‘‘
बिस्कुट के झिल्ली ला चीर के देवत किहिस नन्दू हा । काकी जानथे बिना खवाये अपन नइ खावय । भले जोजन हो जावय। दुनो कोइ खाइस बिस्कुट ला। गिलास भर पानी पियिस अऊ ढकारिस। छत मा किरिर किरिर आरो करत मद्धम मद्धम चलत पंखा ला देखिस। बड़का पागा वाला मेछर्रा डोकरा के फोटू ला देखिस जिहा सेठ हा रोज आगरबत्ती खोचथे। पोस्टर मा आंखी गढ़ जाथे लाल रंग मा लिखाये बड़का -बड़का आखर। हिजगा जोड़ के पढे़ लागथे ‘‘यहां बाल श्रमिक नियोजित नही है‘‘। लिखाये के अरथ ला समझे के उदिम घला करथे। कभू धोवाये बरतन के हुण्डी ला देखथे तब जूठा भात साग के भण्डार ला डस्टबीन ला। जम्मो जूठा ला पहिली होटल के बाहिर म्यूनिस्पल के गार्डन के गड्डा मा फेक देवय। कुकुर माकर आने जिनावर अऊ मइनखे तक हा एक संघरा जेवन करे । कुकुर अऊ मइनखे सब बरोबर … । अब म्यूनिसपल के गाड़ी हा आथे सिसरी बजाथे अऊ जम्मो कोई कचरा ला फेके बर आ जाथे। मोटल्ला घला अगवा रहिथे ताकत देखाये बर। तनिया के बड़का डस्टबीन ला उठाइस अऊ फेक के आगे कचरा ला।
‘‘अब जूठा और कचरा को बाहिर कोती नही ले जाना पडे़गा। होटल के पिछोत कोती गड्डा खनकर टंकी बनायेंगे जिसका पाइप कनेक्सन सीधा रसोइ से होगा। जूठा को टंकी मे डालेंगे अऊ सड़कर गैस बनेगा। इसी गैस से चुल्हा जलेगा भरभर-भरभर। जादा सिलेण्डर नही बिसाना पडे़गा। वाह हमारे देस के बैग्यानिक कितना तरक्की कर लिये है जूटठा तक को फेकाने नही देते फोक्कट।”
मोटल्ला गरब मा किहिस। ओखर करिया सिकल चमकत रिहिस जइसे म्यूनिसिपल गाड़ी मा लिखाये स्लोगन चमकत रिहिस ‘‘स्वच्छ भारत स्वस्थ्य छत्तीसगढ ।.‘‘
इही पढ़हइया लिखइया मन हा तो जादा जूठा छोड़थे। अप्पड़ के पेट तो कोटना आवय जतका देबे ओतका हमा जाथे। देश हा का तरक्की करही तोर पेट तरक्की करत हावय अब्बड. … हा हा । जम्मो कोई कठल कठल के हासे लागिस। मोटल्ला सुटुर सुटुर रेंग दिस। नन्दू अऊ काकी फेर मिंझरा बुता करे लागिस।
फट फट फटफटी बाजिस। खार के मइनखे घला जान डारथे ओहा आगे अइसे। जइसे नान्हे बैपारी मन चिचियाथे सागभाजी ले लो चुरी चाकी लेलो. दुध मही ले लो वइसना वहू हा चिचियातिस। सूजी लगवा ले दवई बिसा ले माथ पीरा पेट पीरा सरदी खासी अऊ आनी बानी फेर इज्जत नइ सीरा जाही डाक्टर साहब के ? ओखरे सेती अइसना सालेन्सर लगवाये हावय अपन फटफटी मा ते ओखर आरो दु कोस ले सुनाथे।
‘‘पइसा हावय कि नही‘‘ ? पहिली पुछिस तब नन्दू के डेरउठी मा ठाडे़ होइस। नन्दू के ददा ला चार पांच दिन ले जर आवत हावय। कपकपी जर । आगू के माडे़ द़वई ला खाइस कोनो असर नइ होइस। आंखी मुहु नाड़ी जम्मो के जांच करिस अऊ पुड़ीया बनाके दवई ला सूजी मा भर डारिस। ददा हा कनिहा ला उघरा करके अगोरा करिस। मोबाइल मा गोठियाइस तभे पोनी मा कनिहा ला मलिस। ददा के जी कांपगे। मुठा भर कथरी चद्दर ला धर डारिस सूजी के डर मा।
एक सौ चालिस रूपिया लागही सबो के। हावय ना ओतका पइसा ? नन्दू अऊ ओखर ददा एक दुसर ला देखे लागिस। नन्दू खीसा ले निकालिस अऊ फरियावत किहिस ।
‘‘सौ रूपिया बस हावय‘‘ डाक्टर ला करेंट लागे सही लागिस। अपन हाथ थीरा दिस अऊ अंगना मा लहुट गे । सूजी के दवई ला चर चर .. पिचक दिस बजरंग बली अऊ तुलसी चौरा के आगू मा।
‘‘गुण हगरा हो ! न कभू उधारी ला पटाहू अऊ न गुण के न जस के‘‘ फुसफुसाइस डाक्टर हा । सौ रूपिया मा अतकी पुडि़या आही सूजी नइ आवय। संझा बिहनिया खाबे बने होही तब ठीक … नही ते सरकारी अस्पताल मे फेक देबे। .. अऊ हा गहू रोटी घला खवाबे। जर हा जल्दी कटही। डाक्टर किहिस अऊ आने दुवारी चल दिस।
अभी सूजी लगा दे साहेब सांझकुन जम्मो पइसा ला दे दिहू नन्दू अब्बड. बेरा किहिस फेर डाक्टर नइ सुनिस।
पहिली नन्दू हा जाके ले आने गहू चाउर ला बिसाके फेर अब ओखर ददा हा जाही तभे बनही। अंगठा चपकही आधार कार्ड नम्बर बताही तब मिलही चाउर गहू हा। घर मा जम्मो सिरागे हावय। ददा हा खटिया ले उठ नइ सकत हावय ते दु कोस दुरिहा सोसाइटी कइसे जाही ? नन्दू लेगही अपन ददा ला बोहो के। अइसन बेरा मा दाई के अब्बड. सुरता आथे नन्दू ला। ओहा तो चण्डालिन होगे। परदेस के ईटा ठेकादार के मोहनी मंतर मा अइसे अरझिस कि एकलौता बेटा नन्दू के सुध बिसरा दिस। घर के जम्मो बुता ला नन्दू करथे। आज ददा ला भात रांध के खवाइस। अतकी तो चाउर रिहिस घर मा। कभू बीड़ी माखुर मंद महुआ नइ पीयिस तभो ले तबियत बिगड़ाहा रहिथे। झटकुन सुघ्घर कर दे अरजी बिनती करिस हनुमान जी ला अऊ होटल चल दिस लांघन बुता करे बर। ददा बने रहिथे तब रिक्सा चलाथे अऊ नन्दू सरकारी स्कूल मा पढे़ ला जाथे अऊ कोनो गिनहा होगे तब नन्दू कमाए ला आथे इही होटल मा काकी संग।
ये बखत हप्ता दिन होगे बुता करत नन्दू ला । जम्मो ला गुनत बुता कर डारिस। जतका आगू फिले हावय पानी मा ओतका पीठ घला। सिकल के चुचवावत पसीना ला पोछिस अऊ ठाढ़े होइस। अब्बड. थक गे आज।
‘‘काकी अब जाहू घर‘‘
हहो काकी हुंकारू दिस। सेठ घला आगे अऊ बोरी मा रखाये जुच्छा डब्बा ला छत के छज्जी मा जमाये के आडर फरमाये लागिस।
‘‘सेठ जी अब घर जाहू ,ददा ला बने नइ लागत हावय‘‘।
हाव सुन डारेव।
चल देबे ।
“घड़ी देख के बुता झन करो बेटा ! थोकिन उच नीच घला कमाए करे करो। तोर ददा के बिमारी घला बने हो जाही संसों झन कर। तोर पइसा ला घला मड़हा देये हावव येदे पांच सौ रूपिया ला। जाबे तब लेग जाबे। नोट ला अलटा पल्टाके देखाइस सेठ हा। नन्दू के जी ललचावत रिहिस। नन्दू उदास होगे बुता करे लागिस ददा ला सुरता करत।
सेंठ हिसाब किताब करे लागिस। तिड़बिड-तिडबिड़ गोठियाये लागिस अपन भाखा मा। तीर के मंदिर ले भगवान झुले लाल के जयकारा सुनाइस। माथ नवा लिस सेठ हा। अऊ मुड़ी उठा के देखिस तब .. जइसे खुरसी मा सेठ ला बिच्छी मार दिस।
‘‘अऊ आगे कुकुर मन….. ‘‘फुसफुसावत दउडि़स।
‘‘आइये साब‘‘ आइये !
दुनो हाथ जोरके जम्मो कोई ला बलाइस। लेबर इस्पेक्टर पुलिस अऊ आने बड़का अफसर आवय बाल श्रमिक निरोधक दस्ता के टीम।
‘‘यहां तो काफी लोग हल्के उम्र के है जो आपके यहा काम कर रहे है‘‘।
“हीः हीः … सब मोटियारी है साहब कोई भी 14 बरस से कम के नही है। इन सबका मार्कसीट भी देख सकते हो … ” अऊ सादा पियर कागज ला देखाय लागिस हासत हासत।
मार्कसीट मे ज्यादा उम्र दराज लग रहे है किन्तु दिखने मे सब हल्के उम्र।
“साहब बनवासी भाई बहिनी मन अइसना होथे दुबर पातर छोटे कद काठी।”
“हाः हाः ये बासी खाने वाला और पेज पीने वालो का डी.एन.ए. है सर ऐसे ही होगा। हम सरबती गेहू का पराठा, मक्खन, मक्के दा रोटी,सरसो दा साग खाने वालो का डी.एन.ए. ऐसा होता है। “
पगड़ी वाला साहब अपन मोटा तगड़ा काया ला देखावत किहिस।
सब कोई अब कठल कठल के हासे लागिस।
“अरे सेठ जी ! सब लोग बड़े उम्र का है तब खाना पूर्तिकैसे होगा ? अफसर किहिस।
“हा…. सेठ गुने लागिस अऊ चिचियाइस नन्दू .. अरे नन्दू …!”
पसीना मा तरबतर नन्दू ठाढे़ होगें। अधिकारी मन के छप्पनभोग के सुवाद थोकिन कमती होगे नन्दू के पसीना के गंध ले।
“जा दुलरवा बेटा ! साहब मन संग। दु चार गोठ पुछही तेन ला बता देबे ..। नन्दू ठाढ़े रिहिस।
“पइसा सेठ……. मोर ददा बिमार हावय …..इलाज कराये बर लागही… ।”
पइसा कौढ़ी के गोठ सुनथे तब सेठ भैरा हो जाथे बाकी बेरा तो नार्मल रहिथे।
ले जा …दु रूपिया वाला बिसकुट ला धर ले। नन्दू ला चेचकार के बइठार दिस गाड़ी मा। पंजाबी साहब गुजराती साहब अऊ छत्तीसगढि़या साहब मन बर किलो किलो सुस्वाद मिठई जोरा गिस अब गाड़ी मा अऊ नन्दू घला।
मिडिया पत्रकार नेता बैपारी जम्मो कोई जुरियाये हावय थाना मा। आगे आगे के आरो आइस अऊ जम्मो कोई मोहाटी कोती दउडे़ लागिस। मशहुर टी.वी. सिरियल के बाल कलाकार सुहानी आवत रिहिस। अऊ ओला देखइया के भीड़। केमरा के फलेस अऊ बिजली के चमक अब बाढ़गे। फिलिम अऊ सिरियल के डायलाग बोलिस। एक्शन करिस। साहर भर के मन थपोली मारिस। सुहानी के फोटू वाला स्कूल बैग, टिफिन बाक्स, पेन, कापी अऊ टी शर्ट बाटिस। सिरियल के प्रमोशन करिस। आटोग्राफ के संग जम्मो कोई फोटू खिचाइस।
“ये बाल कलाकार ला देख के हमरो साहर के लइका मन प्रेरणा लिही अऊ ऐखरे असन बनही । नानकुन लइका फेर अब्बड. गुणवति। देश विदेश मा नाव कमाही ये लइका हा … अभिन अतका पइसा कमावत हावय तब बड़का होके कतका पइसा कमाही…?”
अब्बड. आसिर बचन के गोठ रिहिस समाजसेवी संस्था के अध्यक्ष के। अब्बड़ नामी अध्यक्ष आवय जौन हा बाल श्रमिक ला रोके बर अब्बड़ बुता करे हावय अऊ देश के बड़का इनाम झोके हावय। पुलिस अधिकारी मन घला बालश्रमिक रोके बर प्रेसवार्ता करिस। अब्बड़ बड़का बड़़का आंकड़ा घला बताइस।
अब तो थाना मा सब होथे। सुहानी के प्रोग्राम घला अऊ नन्दू के गम्मत घला ? सुहानी के प्रोग्राम ला जम्मो कोई देखिस फेर नन्दू के गम्मत ला कोठरी मा पहरा देवइया सिपाही मन देखिस। नन्दू अब्बड़ बेरा गोहराइस अपन दुख पीरा ला फेर सिपाही मन नइ पतियाइस। कठल कठल के हासे लागिस जइसे गम्मतिहा ला देख के हासथे। जम्मो ला देखिस अऊ सुनिस नन्दू हा सुहानी के प्रोग्राम ला, आंकड़ा ला अध्यक्ष के भासन ला घला। अब्बड़ गोहराइस घला मोला काबर इहां धांधे हावय ? काय बाल श्रमिक आए कही ला नइ जानो मेहां। सेठ बुता करवाइस मेहा करेव। …. नइ करवातिस नइ करतेव। मोर पइसा ला घला नइ दिस मोर ददा का करत होही… लइका नन्दू अब चिचियाके रो डारिस।
दु चार झन पुलिस वाला के आरो आवत रिहिस आने कुरिया ले खिलखिलाये के आरो। थपोली के आरो । टाइम पास होवत रिहिस इक्की दुक्की अऊ बादषाह के खेल चलत रिहिस। भितरी कोती पुलिस के खिलखिलाये के आरो अऊ बाहिर कोती कुकुर भुके के आरो आए लागिस भू… भू…. । नन्दू कइसे सुतही ? अऊ चिंगोर के सुते के उदिम करथे तब जाड़ हा राच्छस बन जाथे। कांपे लागथे नन्दू हा । उप्पर ले जूड़ हवा वइसना फरस हा घला कनकना बरफ कस। अलथी कलथी मारिस अऊ मोहाटी के परदा कपड़ा ला ओढ़ के सूते के उदिम करिस। जस रात बाढ़थे तस जाड़़ बाढ़थे। मुठा भर जाड़ फेर राच्छस ले कमती नइ हावय। टोटा ला मसक देथे। सांस बोजा जाथे अऊ काया अकड़ जाथे अइसन जाड़ मा। बजरंगा मइनखे घला थरथर कांपथे ऐसो के जाड़ मा। नन्दू हा तो लइका आवय दुबर पातर। हू हू….. किनकिन दांत बाजे लागिस।
नींद झपाये लागिस अऊ सुध लागे लागिस काकी बर। जनम देवइया दाई के सुध लागिस जइसे बिपत मा हावय ओहा अऊ सब ले जादा सुरता आइस ददा के। मइरका मा चाऊर नइ हावय। टूकनी मा गहू नइ हावय। लांघन जर मा हकरत हावय ददा हा …। तब कभू चार झन मइनखे खटिया मा बोहो के रासन दुकान कोती लेगत हावय ददा ला अऊ ओहा मुचकावत अंगठा देखावत हावय। अंगठा चपक के चाऊर गहू पाये के गरब मा। …. आनी बानी के बोदरा कस बिचार आइस। अपने अपन खासिस नन्दू हा अरहज के। अऊ नींद उमछ गे। थाना के आने कुरिया ले खर्र खर्र के आरो कमती होये लागिस। अब नन्दू के कुरिया घला कलेचुप होगे। मुठा भर जाड़ सांस मा समाये लागिस। फेफड़ा धड़कन सब सुन्न होये लागिस,काया अकड़े लागिस। रूख राई मा बइठे चिरई चिरगुन फरफराये लागिस जइसे गिर जाही। चिगोर के सुत गे सादा परदा कपड़ा ला ओढ़ के। दु बेरा हिचकिस आखरी सांस के हिचकी कस अऊ सब सून्न होगे …. आरूग सून्न । रूख के चिरई घला गिरगे। जियइया के जीव उड़ागे अऊ बाचिस ते सुक्खा पाना पतई पेरा अऊ पोनी के खोंधरा …. सादा … उज्जर सादा जइसे नन्दू घला ओढ़े हावय।
बाल श्रमिक ला रोके बर साहर भर मा छापा। कार्यवाही अऊ बड़का बड़का आंकड़ा। फेमस टी.वी. सिरियल के बाल कलाकार सुहानी हा साहर मा आके गौरवान्वित करिस। मुचकावत बड़का फोटू ।
आज के बिहनिया के अखबार अऊ टी.वी. मा इही ब्रेकिंग न्यूज रिहिस … ब्रेकिंग न्यूज।
-चन्द्रहास साहू
द्वारा श्री राजेष चौरसिया
आमातालाब रोड श्रध्दा नगर धमतरी
पिन 493773
मो. क्र. 8120578897
बहुत मर्मस्पर्शी कहानी लेखन हेतु हार्दिक बधाई शुभकामनाएं