छत्‍तीसगढ़ महतारी के वंदना-रमेश चौहान

छत्‍तीसगढ़ महतारी के वंदना

-रमेश चौहान

छत्‍तीसगढ़ महतारी के वंदना-रमेश चौहान
छत्‍तीसगढ़ महतारी के वंदना-रमेश चौहान

छत्‍तीसगढ़ महतारी के वंदना

छत्तीसगढ़ दाई

छत्‍तीसगढ दाई के वंदना (अनुष्‍टुप छंद)

छत्तीसगढ़ दाई के, परत हंव पांव ला ।
जेखर लुगरा छोरे, बांटे हे सुख छांव ला ।

पथरा कोइला हीरा, जेन भीतर मा भरे ।
सोंढुर अरपा पैरी, छाती मा अपने धरे ।।

जिहां के रूख राई मा, बनकठ्ठी गढ़े हवे ।
जिहां के पुरवाही मा, मया घात घुरे हवे ।।

अनपढ़ भले लागे, इहां के मनखे सबे ।
फेर दुलार के पोथी, ओखर दिल मा दबे ।।

छत्तीसगढ़िया बेटा, भुईंया के किसान हे।
जांगर टोर राखे जे, ओही हमर शान हे ।।

छत्‍तीसगढ़ के पहिचान (हरिगीतिका छंद)-

छत्तीसगढ़ दाई धरे, अचरा अपन संस्कार गा।
मनखे इहां के हे दयालू, करथे मया सत्कार गा ।
दिखथे भले सब कंगला, धनवान दिल के झार गा ।
पहिचान हे ये तो हमर, रखना हवे सम्हार गा ।।

छत्तीसगढ़ महतारी (कुण्‍डलियां)-

हे दाई छत्तीसगढ़, हाथ जोड़ परनाम।
घात मयारू तैं हवस, दया मया के धाम ।
दया मया के धाम, शांति सुख तैं बगरावत ।
धन धन हमरे भाग, जिहां तो हम इतरावत ।।
धुर्रा माटी तोर, सरग ले आगर भाई।
होवय मउत हमार, तोर कोरा हे दाई ।।1।।

महतारी छत्तीसगढ़, करत हवौं गुनगान ।
अइसन तोरे रूप हे, कइसे होय बखान ।।
कइसे होय बखान, मउर सतपुड़ा ह छाजे ।
कनिहा करधन लोर, मकल डोंगरी बिराजे ।।
पैरी साटी गोड, दण्ड़कारण छनकारी ।
कतका सुघ्घर देख, हवय हमरे महतारी ।।2।।

महतारी छत्तीसगढ़, का जस गावन तोर ।
महानदी सिवनाथ के, सुघ्घर कलकल सोर ।।
सुघ्घर कलकल शोर, इंदरावती सुनावय ।
पैरी खारून जोंक, संग मा राग मिलावय ।।
अरपा सोंढुर हॉफ, हवय सुघ्घर मनिहारी ।
नदिया नरवा घात, धरे कोरा महतारी ।।3।।

महतारी छत्तीसगढ़, सुघ्घर पावन धाम ।
धाम राजीम हे बसे, उत्ती मा अभिराम ।।
उत्ती मा अभिराम, हवय बुड़ती बम्लाई ।
अम्बे हे भंडार, अम्बिकापुर के दाई ।
दंतेसवरी मोर, सोर जेखर बड़ भारी।
देत असिस रक्सेल, सबो हमरे महतारी ।।4।।

महतारी छत्तीसगढ़, तोर कोरा म संत ।
कतका देवालय इहाँ, कतका साधु महंत ।।
कतका साधु महंत, बसय दामाखेड़ा मा ।
निरगुन भक्ति कबीर, जगावय जग बेड़ा मा ।।
सत के साधक संत, बसे गिरउध सुखकारी ।
चारो खुट बगराय, ग्यान हमरे महतारी ।।5।।

महतारी छत्तीसगढ़, हम जस गावन तोर ।
आनी बानी गीत ले, जग बगरावन सोर ।।
जग बगरावन सोर, देश दुनिया मा दाई ।
सुवा ददरिया गीत, फाग जस करमा गाई ।।
पंथी डंडा नाच, तोर सुघ्घर चिनहारी ।
नाचत गावत बात, सुनावत हन महतारी ।।6।।

महतारी छत्तीसगढ़, कतका हवस महान ।
तोरे कोरा मा हवय, लइका बहुत सुजान ।।
लइका बहुत सुजान, कपट छल नइ तो जाने ।
मनखे मनखे देख, सबो ला मनखे माने ।।
‘माथ, नवाय रमेश‘, करत तोरे बलिहारी ।
जय हो जय हो तोर, सुगढ़ हस तैं महतारी ।।7।।

गीत-सरग ले बड़ सुंदर भुईंया-

सरग ले बड़ सुंदर भुईंया, छत्तीसगढ़ के कोरा ।
दुनिया भर ऐला कहिथे, भैइया धान के कटोरा ।।

मैं कहिथंव ये मोर महतारी ऐ
बड़ मयारू बड़ दुलौरिन
मोर बिपत के संगवारी ऐ
सहूंहे दाई कस पालय पोसय
जेखर मैं तो सरवन कस छोरा

संझा बिहनिया माथा नवांव ऐही देवी देवता मोरे
दानी हे बर दानी हे,दाई के अचरा के छोरे ।।

मोर छत्तीसगढ़ी भाखा बोली
मन के बोली हिरदय के भाखा
हर बात म हसी ठिठोली
बड़ गुरतुर बड़ मिठास
घुरे जइसे सक्कर के बोरा

कोइला अऊ हीरा ला, दाई ढाके हे अपन अचरा
बनकठ्ठी दवई अड़बड़, ऐखर गोदी कांदी कचरा

अन्नपूर्णा के मूरत ये हा
धन धान्य बरसावय
श्रमवीर के माता जे हा
लइकामन ल सिरजावय
फिरे ओ तो कछोरा

सरग ले बड़ सुंदर भुईंया, मोर छत्तीसगढ़ के कोरा ।
दुनिया भर ऐला कहिथे, भैइया धान के कटोरा ।।

-रमेश चौहान

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