छत्तीसगढ़ी साहित्य के दशा अउ दिशा
-कन्हैया लाल बारले

छत्तीसगढ़ी साहित्य के दशा अउ दिशा
छत्तीसगढ़ी साहित्य के इतिहास-
छत्तीसगढ़ी साहित्य के दशा अउ दिशा ल जाने बर सबले पहिली हम ओकर इतिहास जानन। काबर कि जब ले मनखे मन उपजे हे उंखरे संगे संग साहित्य ह घलो उपजे हे । भले वो कोन्हो भाषा के राहय। साहित्य अउ समाज संघरा उपजथे अउ संघरा बिकास पाथे। अइसने हमर छत्तीसगढ़ी भाषा में घलो हे। अट्ठारह सौ नब्बे ईसवीं सन में हीरालाल काव्योपाध्याय ह छत्तीसगढ़ी के पहली व्याकरण लिखिस। एकर पाछू छत्तीसगढ़ी भाषा सम्मान पाएं के लाइक होइस। नहीं ते ओकर पहली छत्तीसगढ़ी एकठन बोली रहिस। अंदाजी 1000 ईसवीं सन के पहिली अपन अपन बोली भाखा म अलग-अलग जनपद और जाति के आधार ले के बिकट असन बोली समाय रिहिस। अंदाजी 1000 ईसवी के पहली अपन अपन बोली भाषा मा भले कोन्हो किताब नहीं रहिस फेर मुंह आखरा गीत ,कहानी ,कविता, भजन, पंडवानी होवय। जेमा मनखे के कला संस्कृति परंपरा दिखय। जिहां सुआ, करमा, ददरिया, रहस, डंडा गीत, भरथरी गीत ,बांस गीत, पंथी गीत,बिहाव गीत,भोजली गीत जइसे कतको बिधा ले गावत सुनावत सुना एक पीढ़ी ले दूसर पीढ़ी होवत बिकास पावय । मनखे मन इंकरे ले मनरंजन करय।
छत्तीसगढ़ी साहित्य के काल विभाजन-
डॉक्टर नरेंद्र देव वर्मा जी बताइन कि छत्तीसगढ़ी साहित्य लेखन अंदाजी 1000 ईसवी सन ले चालू होइस । जेला वर्मा जी ह समे के आधार ले के तीन भाग म बांट के बताइन-
1.कथा जुग
कथा जुग (1000 ईसवी ले 1500 ईसवीं तक ) जेमा पंडवानी , केवला रानी ,अहिमन रानी, रेवा रानी ,फूलबासन, कल्याण सिंह के कथा, राजा वीर सिंह ,ढोला मारू ,लोरिक चंदा, जैसे कतको लोककथा लिखे गिस। जमा धार्मिक पौराणिक अउ जादू वाले कहिनी किस्सा समाय हे।
3. भक्ति जुग
भक्ति जुग( 1500ईसवीं ले 1900 ईसवीं तक) कथा युग के बाद विदेशी मन के उत्पात के दुख ले उबरे बर साहित्यकार मन अपन देवी देवता के अरजी बिनती म गीत ,कविता ,कहानी लिखिन।जेमा गोपल्ला गीत, राय सिंह के पावरा ,नगेसर कइना, सरवण गीत, फुलकुवर देवी कथा, बिशेष हे। ए समें मा धरमदास, गोपाल दास मिश्र, माखन मिश्र, बाबू रेवाराम ,प्रह्लाद दुबे ,जइसे बड़का साहित्यकार मन कलम चलाइन।
3.आधुनिक जुग
आधुनिक जुग 1900 ईसवीं ले अभिन तक । आधुनिक युग ल घलो तीन भाग म बांट के बताय हे।
1. शिशु काल
शिशु काल (1900ईसवीं ले 1925 ईसवी तक) ए समे म पंडित सुंदरलाल शर्मा के “दानलीला” , गोपाल दास मिश्र के” खूब तमाशा ” ,नरसिंह दास वैष्णव, लोचन प्रसाद पांडे, सुकलाल पांडे जइसे मूर्धन्य साहित्यकार मन रचना करिन।
2. विकास काल
विकास काल (1925 ईसवीं ले 1950 ईसवीं तक) ए समे म प्यारे लाल गुप्त, द्वारिका प्रसाद विप्र, छत्तीसगढ़ी साहित्य ल आगू बढ़ाइन।
4. प्रगति काल
प्रगति काल (1950 ईसवीं ले अभीन तक) ए समे म कुंज बिहारी चौबे, हेमनाथ यादव ,हरि ठाकुर ,विनय कुमार पाठक, दानेश्वर शर्मा ,मुकुंद कौशल, परदेशी राम वर्मा ,सत्यभामा अडेल ,रामेश्वर वैष्णव, लक्ष्मण मस्तूरिया मन गीत कविता लिखे के उदिम करिन ।जेमा आने-आने बिषय म विचार के हास्य कविता, मनरंजन के गीत कविता, सिंगार गीत, देशभक्ति गीत लिखे के बुता करत हवय।
छत्तीसगढ़ी साहित्य के विषय-
पद्य साहित्य-
जम्मो जुग म छत्तीसगढ़ी साहित्य के पुरोधा मन अलग-अलग बिषय म रचना रचिन जइसे सुंदरलाल शर्मा के दानलीला के बिषय कृष्ण लीला ले आधार मान के लिखे हे । जेमा गुवालीन मन के मन के पीरा देखे बर मिलथे। जइसे
जबले सपना में निहारंव वो ,
तबले मिलकी नइ मारंव वो।
दिन-रात मोला हयरान करै,
दुखदाई ये दाई! जवानी जरै।
मैं गोई अब कोन उपाय करंव।
ये कहूं दहरा बीच बुड़ मरंव।
गोपालदास मिश्र के खूब तमाशा ह वीर रस ले भरे पूरे हे। जइसे
लखि सैन अपार हि क्रोध बढ़यो।
बहु वानिन भूतल ब्योम मढ़यो।
नरेंद्र देव वर्मा के छत्तीसगढ़ी गीत अरपा पइरी के धार म छत्तीसगढ़ के राज गीत आय । ए गीत म छत्तीसगढ़ के जम्मो जिला अउ उनखर सुघ्घरई ल छत्तीसगढ़ महतारी के जम्मो अंग के उपमा देखे बर मिलथे।
अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार।
इंद्रावती ह पखारे तोर पंइया ।
जय हो! जय हो! छत्तीसगढ़ मइया।
हरि ठाकुर के कविता ‘सबे खेत ल बनादिस खदान ।’ किसान मन के दुख ल उबारे के उदीम करें हे। एमा सरकार ह खदान अउ कारखाना खोलत जात हे त कते जमीन म किसान किसानी करही ? वो कथे कि-
सबे खेत ल बनादिस खदान।
किसान अब का करही ?
कहां बोही कहां लुही धान। किसान अब का करही?
भगवती लाल सेन “श्रम के आरती ” म मजदूर मन के सबल होय के बात कहे हे। वो कहिथे कि-
काबर डर्राबो कोनो ल,
जब असल पसीना गारत हन।
हम नवा सुरुज परघाये बर ,
श्रम के आरती उतारत हन।
ठाकुर जीवन सिंह ह “जीवन के दोहा ” लिखे हे । जेमा जीवन के उतार-चढ़ाव अउ याद रखे के लइक बात बताय हे। जीवन के उपयोगी बात बताय हे।
डॉक्टर जीवन यदु “एक सांस आजादी के” के कविता म देशभक्ति आजादी और गुलामी के बीच फरक ल बताय हे-
जीयत – जागत मनखे बर जे धरम बरोबर होथे।
एक सांस आजादी के सौ जनम बरोबर होथे।
कोदूराम दलित “भारत बन जाही नंदनवन” म देश के जवान मन ले, मजदूर अउ किसान ले आलस छोड़ के मिहनत करे के बात कहे हे, ये कविता देशभक्ति कविता आय-
हे नव भारत के तरुण वीर
हे भीम भगीरथ महावीर ।
झन भुला अपन पुरुषारथ बल
खंडहर मा रच अब रंगमहल।
छत्तीसगढ़ गांव के राज आय। गांव के सुघ्घरइ प्यारेलाल गुप्त के गीत म दिखथे । ए गीत आए-
हमर कतका सुघर गांव
जइसे लक्ष्मी जी के पांव
हमर कतका सुघर गांव।
लाला जगदलपुरी के “बरखा आथे ” कविता म बरसा रितु के बात बताथे।
खेती ल होशियार बनाए बर
जिनगी ल ओसार बनाए बर
सोन बनाय बर माटी ल
सपना ला सिरतोन बनाय बर
आँसू ल बनिहार बनाय बर
भुईंया मा बरखा आथे।
द्वारिका प्रसाद तिवारी “विप्र” “शरद रितु आगे ” के सुघ्घर बर्णन करें हें-
चौमास के पानी परागे ।
जाना माना अब आकाश हर
चाउर सही छरागे ।
वरिष्ठ साहित्यकार सीता राम साहू श्याम जी के । “बुझो बुझो गोरखना अमरित बानी।” आध्यात्मिकता के पराकाष्ठा आय। एमा कबीर दास जी के उलट बासी कविता के छांव देखे ल मिलथे ।
छत्तीसगढ़ी साहित्य म घलोक रस, छंद ,अलंकार, साहित्य में जउन बात होना चाही वो जम्मो बात समाय हे।
गद्य साहित्य-
छत्तीसगढ़ी उपन्यास-
अब गद्य विधा ऊपर गोठबात करन। वइसे तो छत्तीसगढ़ी साहित्य म पद्द्य बिधा पोठ अउ सजोर हे । वइसने छत्तीसगढ़ी गद्य विधा घलो पोठ हे। एला अलग-अलग विधा ल ले के गोठियाथन। लोगन मन कहिथे कि छत्तीसगढ़ी मां गद्य लेखन के कमी हे। एमा अउ लिखे के जरूवत हे। फेर हमन देखथन कि छत्तीसगढ़ी म उपन्यास विधा म बंशीधर पांडे के “हिरु के कहिनी”, शिव शंकर शुक्ल के “दियना के अंजोर “
लखनलाल गुप्त के” मोगरा” “चंदा अमरित बरसाइस” केयूर भूषण के “कुल के मरजाद” “लोकलाज” “समे के बलिहारी” “कहां बिलागे मोर धान के कटोरा” परदेशी राम वर्मा के “आवा” डॉ जे आर सोनी के “उड़हरिया” चंद्रकला” रामनाथ साहू के “कका के घर अउ माटी के बरतन” ठाकुर हृदय सिंह चौहान के “फूटहा करम ” कृष्ण कुमार शर्मा के “छेरछेरा” संतोष कुमार चौबे के “भाग जबर करनी म दिखथे” सरला शर्मा के “माटी के मितान” सुधा शर्मा के “बनके चंदैनी” कामेश्वर पांडे के “तुंहर जाय ले गिया “जइसे बिकटअसन उपन्यास लिखे गे हे। छत्तीसगढ़ी साहित्य उपन्यास के नाव ले सजोर हे। तभो ले अउ लिखे के जरुवत हे।
छत्तीसगढ़ी कहिनी-
अब कहिनी के गोठ करथन कि छत्तीसगढ़ी म कतेक कहिनी हे? ओकर जवाब म ए कहे म गजब निक लागथे कि छत्तीसगढ़ी म कहिनी आदिकाल ले काहत अउ सुनत सुनावत आवत हे। अतिक कहिनी हे जला बताय म बड़ मुस्कुल के काम आय। तभो ले जेन कहिनी मन साहित्य जगत ल जादा उजियार करत हे वइसन कहानी मन म सत्यभामा आडिल के “रमिया अउ केतकी” केयूर भूषण के” आँसु म फिले अचरा” डॉक्टर पालेश्वर शर्मा के “सुसक झन कुररी सुरता ले ” श्यामसुंदर चतुर्वेदी के “सतवंतिन सुकवारा” पंडित सीताराम मिश्र के “सुरही गइया” कथा संग्रह भुलवा बनिस भोलाराम” जइसे कहिनी मन साहित्य संसार ल अंजोर करत हे।
छत्तीसगढ़ी म अनुवाद-
छत्तीसगढ़ी अनुवाद विधान म मुकुटधार पांडे के “मेघदूत” अउ श्रीमती गीता शर्मा के “शिव महापुराण ” सहीराय के लइक हे। नाटक विधा म पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी के “कारी” लोचन प्रसाद पांडे के “कलिकाल” रामेश्वर वैष्णव के “कुकरी चोर “परसिद्ध हे। जीवनी म परदेशी राम वर्मा के लिखे “आरुग फूल” पढ़े म बड़ निक लागथे।
छत्तीसगढ़ी लघुकथा, एकांकी, अउ आने विधा-
लघुकथा म शकुंतला शर्मा के “करगा” बियंग लिखे म शरद कोठारी सबले आगू हे। एकांकी विधा म “परेमा” समीक्षा विनय कुमार पाठक के लिखे “छत्तीसगढ़ी साहित्य और साहित्यकार” चरचा म हे। अइसने निबंध ,जनउला, संस्मरण, चित्रकथा ,चिट्ठी पत्री, जइसे जम्मो विधा म कलम चलत हे। अतका बताय के बाद अब कोनो भरम नइ हे कि हमर छत्तीसगढ़ी साहित्य अड़बड़ पोठ अऊ सजोर हे।
छत्तीसगढ़ी साहित्य ल अउ पोठ करे बर-
अब छत्तीसगढ़ी साहित्य के दिशा ऊपर गोठ बात करन।
वइसे तो छत्तीसगढ़ी साहित्य जम्मो जगा अपन सनमान पावत हे। फेर अभीन तक ले जउन मान हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ल मिलना चाही ओला नइ मिल पाय हे।
- हमर भारत देश के आठवीं अनुसूची में हमर छत्तीसगढ़ी ल नइ मिलाय हे। येखर बर हम सब ल पुरजोर उद्दीम करे ल परही।
- हमर छत्तीसगढ़ी के साहित्य ल उच्च शिक्षा बर बने ढंग ले नइ अपनाय हे। छत्तीसगढ़ी ल अभीन तक ले जनपदी भाषा मानथे। हमर छत्तीसगढ़ी भाषा के साहित्य ल जादा से जादा विधा के रचनामन ल लइका मन ल पढ़ाय के उदीम करना चाही ।
- छत्तीसगढ़ी साहित्य ला प्राथमिक शिक्षा से लेके कॉलेज के पढ़ाई में लाय के जरूवत हे।
- संगे संग तकनीकी शिक्षा म घलो छत्तीसगढ़ी भाषा के संग साहित्य ल जोड़े के जरूवत हे।
- मीडिया म प्रिंट मीडिया अउ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया म छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य के दिनों दिन उपयोग बढ़त हे। जइसे इंटरनेट गूगल व्हाट्सएप इंस्टाग्राम फेसबुक में छत्तीसगढ़ी साहित्य के बढ़ोतरी होवथे। प्रिंट मीडिया में कतको परकार के पत्रिका अखबार म छत्तीसगढ़ी साहित्य ल जगा देय जावत हे। जइसे हरिभूमि म “चौपाल,” पत्रिका म “पहेट पत्रिका” अलग अलग जगा देके मान बढ़ावत हे।
- छालीवुड म छत्तीसगढ़ के दुरदरसन चेनल मा छत्तीसगढ़ी साहित्य के ऊपर बने नाटक एकांकी फिलिम अउ गाना के वीडियो प्रसारित करे जात हे तभो ले जादा से जादा फिलिम बनाय के उदिम करना चाही । जेकर ले जनता तिर बने संदेश जाय।
- आकाशवाणी म हमर छत्तीसगढ़ के जम्मो आकाशवाणी मा छत्तीसगढ़ी गीत, कहानी ,कविता पाठ सुने बर मिलथे ।आजकल छत्तीसगढ़ी में समाचार सुने बर तको मिलथे। जम्मो जानकारी छत्तीसगढ़ी म प्रसारित करें जात हे। तभो ले अउ जादा से जादा कहानी श्रव्य नाटक ,श्रव्य एकांकी, लेख गोठ बात प्रसारित करें के जरूवत हे।
- जम्मो साहित्यकार मन ल अइसन साहित्य के रचना करें के जरूवत हे जेन ल लोगन जादा ले जादा पढ़े बर सुने बर राजी हो जाय। आजकल तो चटक चदैनी गीत कविता चलन म हे। ए साहित्य के अपमान आय । एकर ले लोगन सुधरे नहीं, बिगड़थे । जेकर ले हमला बच के रहना हे।
- हमला छत्तीसगढ़ी साहित्य ल अतेक सजोर अउ पोठ बनाय के जरूवत हे कि छत्तीसगढ़ के जम्मो लइका जवान सियान मन अपन भाखा उपर गुमान करय, अउ अपन जीवन म उतारय।
बालोद जिला के पइरी वाले गुरुजी सीता राम साहू श्याम जी ह बड़ निक गोठ गोठियाय रिहिन कि “बोलव अइसन जेला लिखे जा सके । लिखव अइसन जेला पढ़े जा सके।” इही संदेश ल काहत अपन बानी थिरावत हंव।
जय जोहर
जय छत्तीसगढ़ महतरी—
प्रस्तुतकर्ता
कन्हैया लाल बारले
अध्यक्ष, मधुर साहित्य परिषद
इकाई डौन्डी लोहारा
जिला बालोद(छत्तीसगढ़)