छत्तीसगढ़ी व्याकरण : शब्द साधन- संज्ञा अउ सर्वनाम

शब्द साधन- संज्ञा अउ सर्वनाम

-डॉ. विनोद कुमार वर्मा

छत्तीसगढ़ी व्याकरण : शब्द साधन- संज्ञा अउ सर्वनाम
छत्तीसगढ़ी व्याकरण : शब्द साधन- संज्ञा अउ सर्वनाम

शब्द साधन के अन्तर्गत शब्द मन के भेद, ओखर प्रयोग, रूपान्तर अउ व्युत्पत्ति के निरूपण किए जाथे।
शब्द मन के मुख्यतः पाँच भेद होथे-

1) वाक्य के प्रयोग के अनुसार
2) रुपांतर के अनुसार
3) व्युत्पत्ति के अनुसार
4)अर्थ के अनुसार
5)उद्गम के अनुसार

वस्तुतः कोई भी भाषा के ‘ शब्द साधन’ हो वो विभाग हे जेमन भाषा के स्वरूप, दशा-दिशा, यति-गति ला निर्धारित करथे। वाक्य के प्रयोग के अनुसार शब्द मन के आठ भेद माने जाथे-

  1. संज्ञा,
  2. क्रिया
  3. विशेषण
  4. क्रिया विशेषण
  5. सर्वनाम
  6. सम्बन्धसूचक
  7. समुच्चयबोधक
  8. विस्मयादिबोधक

1)वस्तुओं आदि के नाम बताने वाला शब्द- संज्ञा
2) वस्तुओं के संबंध म विधान निर्धारित करने वाला शब्द- क्रिया
3)वस्तुओं की विशेषता बताने वाला शब्द- विशेषण
4) विधान बताने वाला शब्द के विशेषता बताने वाला शब्द- क्रिया विशेषण
5) संज्ञा के बदले आने वाला शब्द- सर्वनाम
6) क्रिया के नामार्थक शब्द मन के संबंध बताने वाला शब्द- सम्बन्ध सूचक
7) दो शब्दों को मिलाने वाला शब्द- समुच्चयबोधक
8) केवल मनोविकार सूचित करने वाला शब्द- विस्मयादिबोधक

अब एक वाक्य म शब्द भेद के बात ला समझे के कोशिश करथन-

” अरे!सुरूज बुड़ गईस अउ तैं अभीच्च ले एही गाँव के पास घुमत हस! “

1)’ सुरूज’ ( सूरज ) संज्ञा हे, काबर कि ये शब्द ह एक नाम ला बतावत हे।
2)’ बुड़ गइस’ ( डूब गया ) क्रिया हे, काबर कि ये शब्द सूरूज के विषय म विधान करत हे।
3)’ अउ’ ( और ) ये शब्द दू वाक्य ला जोड़त हे। एला समुच्चय बोधक कहिथें।
4)’ तैं ‘ (तुम ) सर्वनाम हे, काबर कि ओ हा नाम के बदले आवत हे।
5)’ अभीच्च’ (अभी ) क्रिया विशेषण हे, काबर कि ‘ घुमत हस ‘ के विशेषता बतावत हे।
6)’ एही’ ( इसी ) विशेषण हे , काबर कि वो हा गाँव के विशेषता बतावत हे।
7)’ के ‘ शब्दांश प्रत्यय हे काबर कि वो हा गाँव शबाद के साथ आ के सार्थक होवत हे।
8)’ पासे'( पास ) संबंध सूचक हे काबर कि ये शब्द ‘ गाँव ‘ शब्द के साथ ‘ घुमत हस ‘ क्रिया ले मिलात हे।
9) ‘ घुमत हस ‘ क्रिया हे।
10) ‘ अरे !’ शब्द विस्मयादिबोधक हे काबर कि मनोविकार याने आश्चर्य के भाव ला प्रगट करत हे।

संज्ञा

संज्ञा के अर्थ हे- ‘ नाम’। संसार म जतका भी व्यक्ति या वस्तु आदि हें, ओखर कोई-न-कोई नाम जरूर होही।
जइसे- मोहन, आमा, मंजूर
कुल मिला के कोनो व्यक्ति, वस्तु, स्थान, जाति या भाव के नाम ला संज्ञा कहिथन।
संज्ञा के पाँच भेद होथे-
1) व्यक्तिवाचक संज्ञा
2) जातिवाचक संज्ञा
3) द्रव्यवाचक संज्ञा
4) समूहवाचक संज्ञा
5) भाववाचक संज्ञा

1) व्यक्तिवाचक संज्ञा-

व्यक्तिवाचक संज्ञा म केवल एकेच्च व्यक्ति या वस्तु के बोध होथे।
परिभाषा म वस्तु के व्यापक अर्थ म प्रयोग किए गे हे। एमा देश के नाम ( भारत, जापान आदि ), नदिया के नाम ( अरपा, पैरी, महानदी आदि ), शहर-नगर-गाँव के नाम, पुस्तक के नाम ( रामचरितमानस ), त्यौहार के नाम ( हरेली ,तीजा, होली आदि ), फल के नाम, समाचार पत्र के नाम, महीना/दिन के नाम, दिशा के नाम ( उत्ती -पूर्व, बुड़ती-पश्चिम,भंडार-उत्तर, रक्सहू-दक्षिण ), पेड़-पौधा, साग-भाजी, पहाड़ आदि के नाम घलो व्यक्तिवाचक संज्ञा के अन्तर्गत आथे।

2) जातिवाचक संज्ञा-

जातिवाचक संज्ञा ले व्यक्ति या फेर वस्तु के पूरा जाति के बोध होथे। जइसे- मनुष्य के नाम ( टूरा, टूरी, आदमी, औरत, भाई, बहिनी ), पशु पक्षी के नाम ( गाय, बइला, सुआ,मैना, मंजूर ), वस्तु के नाम ( घड़ी, कुर्सी, किताब, मोबाईल ), पद या व्यवसाय के नाम ( शिक्षक, लेखक, कवि, डाॅक्टर, संतरी, चपरासी )
ध्यान देहे के बात ये हे कि डोली ( खेत ), पहाड़ या नदी जातिवाचक संज्ञा माने गे हे, काबर कि ओमा बहुत सारा कृषि योग्य खेत, पहाड़ – बहुत सारा पहाड़, बहुत सारा नदी के बोध होथे।

3) द्रव्यवाचक संज्ञा-

द्रव्य या पदार्थ जेला हमन गिन नि सकन फेर माप या तौल सकत हन- द्रव्यवाचक संज्ञा के अन्तर्गत आथे। जइसे- धातु या खनिज के नाम ( सोना, चांदी, पीतल, कांसा ), खाय-पीये के जिनिस ( गोरस, नून, चाउंर, घी, पानी, तेल ), ईंधन के नाम ( मिट्टी तेल, पेट्रोल, डीजल, कोयला ), अन्य ( तेजाब )

4) समूहवाचक संज्ञा –

जेन संज्ञा ले अनेक वस्तु या प्राणी मन के समूह के बोध होथे ओला समूहवाचक संज्ञा कहे जाथे। जइसे- व्यक्ति मन के समूह ( परिवार, सेना, झुण्ड, मेला, कक्षा ), वस्तु मन के समूह – ( गुच्छा, ढेर ), अन्य समूह ( बरदी/गोहड़ी/खइरखा-जानवर मन के समूह। कोरी-बीस के समूह। हप्ता-सात दिन के समूह। साल- 12 महीना के समूह आदि। )

5) भाववाचक संज्ञा –

जेन शब्द ले व्यक्ति के गुण, दोष, दशा, भाव या कार्य के बोध होथे, ओला भाववाचक संज्ञा कहे जाथे।
भाववाचक संज्ञा विकारी शब्द हे अउ प्रायः तीन प्रकार ले बनथे-
अ) क्रिया शब्द ले- लहुटना ले लहुटई, गोठियाना ले गोठियाई आदि।
ब) संज्ञा शब्द ले- लइका ले लइकाई, लोहा ले लोहाइन, तेल ले तेलइन।
स) विशेषण शब्द ले- गरम ले गरमी, सरल ले सरलता, मोटा ले मोटाई, करू ले करूआसी/करुआई, अम्मट ले अमटहा, सियान ले सियानी आदि।

सर्वनाम

परिभाषा- जउन शब्द संज्ञा के स्थान म प्रयुक्त होथे, ओ ला सर्वनाम कहे जाथे। जइसे-

1) सीमा बोलिस कि मैं खाना बनावत हौं।
( मैं सीमा के स्थान म )
2) सुकालू ह कहिस कि वोहा बाजार जावत हे।
( वोहा सुकालू के स्थान म )
3) राम ह दुकालू ले पूछिस कि तैं कब अइबे/आबे ?
( तैं दुकालू के स्थान म )
उपरोक्त वाक्य मन म मैं, तैं, वोहा ( वह ) नाम के स्थान म आय हे एखरे खातिर सर्वनाम हे/आय।

नोट- अइबे/आबे अउ हे/आय शब्द मन के प्रयोग केन्द्रीय छत्तीसगढ़ी के अलग-अलग भाग म बदले हुए रूप म हे। छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण म विशेषज्ञ विद्वान मन विमर्श के बाद ए/ये तय करहीं कि दुनों शब्द ला मानक माने जाही या फेर कोनो एक शब्द ला। छत्तीसगढ़ म व्यवहृत 93 बोली मन म लगभग 70 बोली आर्य भाषा परिवार से हे/आय। एही परिवार के बोली मन म छत्तीसगढ़ी, हल्बी ( बस्तरी ), सरगुजिहा, खल्टाही, लरिया, भतरी आदि शामिल हें। सुप्रसिद्ध भाषाविद् डाॅ रमेश चन्द्र महरोत्रा ह भतरी ला छोड़ के छत्तीसगढ़ म प्रचलित आर्य भाषा परिवार के अन्य सब्बो बोली ला छत्तीसगढ़ी के ही भिन्न-भिन्न रूप माने हे जेमा पिजनीकृत हल्बी ( बस्तरी ) अउ सदरी कोरवा शामिल हें।

. हिन्दी म कुल 11 सर्वनाम हे जबकि छत्तीसगढ़ी म 10 सर्वनाम हे।- मैं( मैं ), तैं ( तुम ), आप( आप ), येह( यह ), ओह( वह ), जउन( जो ), कोन्हों( कोई ), कुछु( कुछ ), कोन( कौन ), का( क्या )।
हिन्दी म सो के प्रयोग स्वतंत्र रूप म केवल काव्य म सर्वनाम के रुप म होथे।-
‘ सो सुनि भयउ भूप उर सोचू’। ( रामचरितमानस)
सो के प्रयोग सर्वनाम के रूप म हिन्दी गद्य म नि होय; ते पाय के छत्तीसगढ़ी म सो के कोन्हों ( कोई ) विकल्प सर्वनाम नि माने गे हे।

छत्तीसगढ़ी म 10 सर्वनाम के वाक्य म प्रयोग-

1) मैं-

मैं घर जा रहा हूँ। (हिन्दी )
मैं घर जावत हौं। ( छत्तीसगढ़ी)

2) तैं-

तुम खाना खा लो। (हिन्दी )
तैं खाना खा ले।( छत्तीसगढ़ी)

3) आप-

आप खाना खा लीजिए।( हिन्दी )
आप मन खाना खा लेवव।( छत्तीसगढ़ी )

4) येह-

यह सुंदर लड़की है।( हिन्दी)
येह सुग्घर लड़की आय।( छत्तीसगढ़ी )

5) ओह-

वह गाना गा रही है।/ वह गाना गा रहा है। ( हिन्दी )
ओह गाना गावत हे।( छत्तीसगढ़ी )

6) जउन-

जो भी बात करना हे- कर ले भाई। ( हिन्दी )
जउन भी गोठ करना हे- कर ले भाई।( छत्तीसगढ़ी )

7) कोन्हों-

कोई कुछ भी कह ले। ( हिन्दी )
कोन्हों कुछुच कह ले। ( छत्तीसगढ़ी )

8) कोन-

यहाँ कौन है जो मुझे नहीं जानता ? ( हिन्दी )
इहाँ कोन हे जउन मोला नि जाने? ( छत्तीसगढ़ी )

9) का-

वह क्या चाहता है?( हिन्दी )
वोह का चाहत हे? ( छत्तीसगढ़ी )

10) कुछु –

कुछ तुमने पाया, कुछ मैंने पाया। ( हिन्दी )
कुछु तैं पाय, कुछु मैं पाँय। ( छत्तीसगढ़ी )

अन्य संयुक्त सर्वनाम –

दू या दू ले जादा शब्द ले बने सर्वनाम ला संयुक्त सर्वनाम कहिथें। कुछ उदाहरण नीचे देवत हौं-

1) कुछु-न-कुछु ( कुछ-न-कुछ)

2) काकरो-नि- काकरो ( किसी न किसी )

3) कोन्हों- न-कोन्हों ( कोई न कोई)

4) जउन-जउन ( जो-जो )

5) हर कोन्हों ( सब कोई )

वाक्य म प्रयोग –

1) कुछु-न-कुछु तो करना परही।( कुछ-न-कुछ तो करना पड़ेगा।)

2) कोन्हों-न-कोन्हों तो आहीं।( कोई-न-कोई तो आएगा )

3) काकरो-न-काकरो करा/मेर होही।( किसी न किसी के पास होगा।)

4) जउन-जउन जाहीं, तउन-तउन आहीं। ( जो-जो जाएंगे, वो-वो आएंगे।)

5) हर-कोन्हों जानथे।( सब-कोई जानते हैं।)

सर्वनाम के भेद-

प्रयोग के आधार अउ अर्थ के दृष्टि ले सर्वनाम के छः भेद माने गे हे-

1) पुरूषवाचक सर्वनाम
2) निश्चयवाचक सर्वनाम
3) निजवाचक सर्वनाम
4) सम्बन्धवाचक सर्वनाम
5) अनिश्चयवाचक सर्वनाम
6) प्रश्नवाचक सर्वनाम

  1. पुरूषवाचक सर्वनाम –
    नाम के बदले म आने वाला शब्द पुरूषवाचक सर्वनाम कहे जाथे चाहे पुरूष के नाम हो या फेर स्त्री के।
    हिन्दी में- मैं, हम, तुम, आप, यह, वह, ये, वे।
    छत्तीसगढ़ी म- मैं, हमन, तैं, तुमन, आप, येह, वोह।
    उदाहरण –
    अ) मैं स्कूल जावत हौं।
    ब) हमन रायपुर ले आवत हन।
    स) तैं कहाँ जावत हस?
    ड) आप बहुतेच/बहुतेच्च अच्छा हॅव।
    इ) येह राम के साईकिल आय।
    फ) ओमन कहाँ जावत हें?
  2. निश्चयवाचक सर्वनाम-
    कोनो निश्चित व्यक्ति, वस्तु, घटना या कर्म बर प्रयुक्त होने वाला शब्द निश्चयवाचक सर्वनाम कहे जाथे।
    हिन्दी में- यह, ये, वह, वे
    छत्तीसगढ़ी म- वोह, ये, येह, ओमन, एमन।
    उदाहरण –
    अ) येह बने टूरा आय।
    ब) ये आमा ह बहुतेच/बहुथेच्च मीठ हावय।
  3. निजवाचक सर्वनाम –
    वक्ता या फेर लेखक अपन बर जेन सर्वनाम शब्द के प्रयोग करथे; ओला निजवाचक सर्वनाम कहे जाथे। एखर बर मैं ,आप,स्वयं के प्रयोग होथे।
    उदाहरण –
    क) मैं अपन काम आप कर लेहूँ/लूहूँ।
  4. सम्बन्धवाचक सर्वनाम –
    जेन सर्वनाम शब्द ले दो भिन्न बात, वस्तु, या फेर व्यक्ति मन के संबंध स्पस्ट होथे, ओला संबंधवाचक सर्वनाम कहे जाथे।
    जउन, जइसन, वइसन, जेखर, तेखर, जे,जेन, जौन, ते, तेने, तउन शव्द मन के प्रयोग छत्तीसगढ़ी म संबंधवाचक सर्वनाम के रूप म होथे।
    उदाहरण –
    अ) वो टूरी जउन कालि आय रहिस, पढ़े म कमजोर हे/आय।
    ब) जइसन बोइबे, वइसन काटबे।

5) अनिश्चयवाचक सर्वनाम-
जेन सर्वनाम शब्द ले कोई निश्चित वस्तु के बोध नि होय, ओला अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहे जाथे। एखर बर कोन्हों/कोनो, कुछु शब्द के प्रयोग छत्तीसगढ़ी म होथे।
उदाहरण –
अ) कोन्हों/कोनो जावत हे।
ब) कोन्हों/कोनो तो आही।

  1. प्रश्नवाचक सर्वनाम –
    जेन सर्वनाम शब्द ले कोनो व्यक्ति, वस्तु या फेर घटना के बारे म प्रश्न के बोध हो- ओला प्रश्नवाचक सर्वनाम कहे जाथे।एखर संकेतक चिह्न ‘ ?’ ले आप सबो परिचित ह। कोन, का, काकर, कहाँ, कती, कोन-मन, काबर, कतका आदि शब्द के प्रयोग प्रश्नवाचक सर्वनाम के रूप म होथे।
    उदाहरण –
    अ) कोन जावत हे/हवय ?
    ब) एखर का करबे? इस तरह हमन कहि सकत हन कि कुल दस सर्वनाम मूल रूप म विद्यमान हे; फेर अनेक सर्वनाम के विकारी ( परिवर्तित ) रूप घलो विद्यमान हे जेखर प्रयोग छत्तीसगढ़ी के वाक्य बनाय म करथन।
    ये सबो परिवर्तन मुख्य रूप ले एकबचन, बहुबचन, उत्तम पुरूष, मध्यम पुरूष, अन्य पुरूष, पारस्परिक संबंध अउ कारक के कारण होथे।

. सार्वनामिक विशेषण मन के प्रयोग

हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी- दुनों भाषा म अनेक सर्वनाम के प्रयोग कभू सर्वनाम के रूप म तो कभी विशेषण के रूप म होथे। एला ही सार्वनामिक विशेषण कहे जाथे।

हिन्दी : यह – इस, इतना, ऐसा
छत्तीसगढ़ी : येह -ये, अतका, अइसना

हिन्दी: वह – उस, उतना, वैसा
छत्तीसगढ़ी : वोह – वो, ओतका, वइसना

हिन्दी: सो – तिस, तितना, तैसा
छत्तीसगढ़ी: — तिस,ततका, तइसना

हिन्दी: जो – जिस, जितना, जैसा
छत्तीसगढ़ी: जेन – जेन, जतका, जइसना

हिन्दी: कौन – किस, कितना, कैसा
छत्तीसगढ़ी: कोन – कोन, कतका, कइसना

सर्वनाम-मन के व्युत्पत्ति

हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी दुनों भाषा के सबो सर्वनाम प्राकृत के द्वारा संस्कृत ले निकले हें जेन ला विश्व के प्राचीनतम भाषा माने जाथे। संस्कृत ला आर्य भाषा परिवार के जननी कहे जाथे । जेन ह 3500 वर्ष प्राचीन अउ ध्वनि आधारित ब्राह्मी लिपि में लिखे जात रहिस। प्राचीन भारतीय आर्य भाषा के लेखन 1500 ई.पू. प्रारंभ होइस; जबकि आधुनिक भारतीय भाषा-मन के उत्पत्तिकाल 1000 ई. के आसपास माने जाथे।

संस्कृतप्राकृतहिन्दीछत्तीसगढ़ी
अहम्अम्हमैं, हममैं, हमन
त्वम्तुम्हतू, तुमतैं, तुमन
एषःएअयह, येये, ये मन
सःसोसो/वह, वे, ओओ मन
यःजोजोजउन
कःकोकौनकोन
किम्किम्क्याका
कोऽपिकोविकोईकोन्हों
आत्मन्अप्पआपआप-मन
किंचित्किंचिकुछकुछु
सर्वनाम-मन के व्युत्पत्ति

डाॅ विनोद कुमार वर्मा
कहानीकार, समीक्षक, संपादक
मो: 98263-40331
email: vinodverma8070@gmail.com

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3 thoughts on “छत्तीसगढ़ी व्याकरण : शब्द साधन- संज्ञा अउ सर्वनाम

  1. सुग्घर शोध परक आलेख बधाई भईया

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