छत्तीसगढ़ी व्याकरण : वाच्य अउ क्रिया-डॉ. विनोद कुमार वर्मा

छत्तीसगढ़ी व्याकरण : वाच्य अउ क्रिया

-डॉ. विनोद कुमार वर्मा

छत्तीसगढ़ी व्याकरण : वाच्य अउ क्रिया-डॉ. विनोद कुमार वर्मा
छत्तीसगढ़ी व्याकरण : वाच्य अउ क्रिया-डॉ. विनोद कुमार वर्मा

छत्तीसगढ़ी व्याकरण : वाच्य

परिभाषा -क्रिया के रूपान्तरण ला वाच्य कहिथें। एकर ले ये पता चलथे कि वाक्य म काकर प्रधानता हे ? – कर्ता के, कर्म के या फेर भाव के। छत्तीसगढ़ी व्याकरण के मानकीकरण म वाच्य ला सबले महत्वपूर्ण माने जा सकत हे; काबर कि क्रिया के रूपान्तरण ले ही छत्तीसगढ़ी के रद्दा आन भाषा ले अलग-बिलग होवत हे। एला छोटकुन उदाहरण ले समझे जा सकत हे-

हिन्दी- मैं जाता हूँ। / मैं जाती हूँ।
अंग्रेजी- I go.
छत्तीसगढ़ी- मैं जाथौं।

हिन्दी- वह जाता है। / वह जाती है।
अंग्रेजी- He goes. / She goes.
छत्तीसगढ़ी- वोह जाथे।

उपर के उदाहरण ले ये स्पस्ट हे कि छत्तीसगढ़ी के क्रिया पद म परिवर्तन लिंग के आधार म नि होवत हे; जबकि हिन्दी के क्रिया पद म परिवर्तन ( जाता / जाती ) अउ अंग्रेजी के सर्वनाम ( He / She ) म परिवर्तन लिंग के आधार म होवत हे।……. सबो बोली/भाषा मन एही तरा अपन रद्दा अलग- बिलग करथें।

वाच्य के भेद

वाच्य के तीन भेद होथे-

1) कर्तृवाच्य
2) कर्मवाच्य
3) भाववाच्य

1) कर्तृवाच्य-

जब क्रिया रूप म परिवर्तन कर्ता के कारण होथे या वाक्य म कर्ता के प्रधानता के बोध होथे; तब ओला कर्तृवाच्य कहिथन। जइसे-

मैं दुकान गे रहेंव। ( मैं दुकान गया था। )

वोह दुकान गे रहिस। ( वह दुकान गया था / गई थी। )

  इहाँ कर्ता ( मैं / वोह ) के कारण क्रिया पद म परिवर्तन होवत हे। एकर कारण इहाँ कर्तृवाच्य होही। 

2) कर्मवाच्य-

जेन वाक्य म कर्म के प्रधानता रहिथे या कर्म के कारण क्रिया रूप म परिवर्तन होथे, ओला कर्मवाच्य कहिथन। जइसे-

किताब पढ़े गइस।( पुस्तक पढ़ी गई।)

 ये वाक्य म कर्म ( किताब/पुस्तक) के प्रधानता हे अउ ओकरे अनुसार क्रिया पद म परिवर्तन होवत हे। एकर कारण इहाँ कर्मवाच्य होही।

3) भाववाच्य –

वाक्य म जब भाव के प्रधानता होथे अउ ओकर कारण क्रिया पद म परिवर्तन होथे; तब ओला भाववाच्य कहिथन। जइसे-

सीता ले दूध नि/नई पिये जात हे। ( सीता से दूध नहीं पीया जा रहा है।)

 ये उदाहरण म भाव ( पीया जाना ) के प्रधानता हे। एकर कारण इहाँ भाववाच्य होही।   
           

क्रिया के प्रयोग

कोनो भी वाक्य म क्रिया काकर अनुसरण करत हे- कर्ता, कर्म या भाव के ? – एहर महत्वपूर्ण हे। ये आधार म क्रिया के तीन प्रकार के प्रयोग माने जाथे-
1) कर्तरि प्रयोग
2) कर्मणि प्रयोग
3) भावे प्रयोग

1) कर्तरि प्रयोग-

छत्तीसगढ़ी म क्रिया के वचन कर्ता के अनुसार होथे। जइसे-

महिमा आमा खाथे। ( महिमा आम खाती है।)

  • ये उदाहरण म कर्ता ‘ महिमा ‘ एकवचन हे अउ क्रिया ( खाथे ) ओकर अनुसरण करत हे।

ओ लोगन मन आमा खाथें। ( वे लोग आम खाते हैं।)

  • ये उदाहरण म कर्ता ‘ ओ लोगन मन ‘ बहुबचन हे अउ क्रिया ( खाथें ) ओकर अनुसरण करत हे। हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी म अन्तर हिन्दी म कर्ता के लिंग के आधार म क्रिया के लिंग के परिवर्तन होथे। जबकि छत्तीसगढ़ी म कर्ता के लिंग के क्रिया उपर कोई प्रभाव नि पड़े। जइसे-

राम आमा खाथे।( राम आम खाता है।)

सीता आमा खाथे। ( सीता आम खाती है।)

उपर के दुनों उदाहरण ल देखव। हिन्दी म कर्ता ' राम या सीता ' के लिंग के अनुसार क्रिया के लिंग ' खाता/खाती ' म परिवर्तन होवत हे जबकि छत्तीसगढ़ी म क्रिया ' खाथे ' स्थिर हे।

2) कर्मणि प्रयोग-

हिन्दी म क्रिया के लिंग अउ वचन कर्म के अनुसरण करथें। एही ला कर्मणि प्रयोग कहे गे हे। जइसे-

मोहन ने किताब पढ़ी।( मोहन किताब ला पढ़िस।)

मोहन ने किताबें पढ़ीं। ( मोहन किताब मन ला पढ़िस।)

  - उपर के उदाहरण ला देखव अउ गुनव।.....  हिन्दी म ' किताब ' ( स्त्रीलिंग, एकवचन ) व किताबें ( स्त्रीलिंग, बहुवचन ) के अनुसार क्रिया के रूप क्रमशः ' पढ़ी' अउ ' पढ़ीं' परिवर्तित होय हे। जबकि छत्तीसगढ़ी म क्रिया के रूप ( पढ़िस) स्थिर हे  अर्थात ओमा कोनो बदलाव नि आय हे।

निष्कर्ष- हिन्दी म कर्मणि प्रयोग होथे जबकि छत्तीसगढ़ी म कर्मणि प्रयोग नि होय।

3) भावे प्रयोग-

जब वाक्य म क्रिया के लिंग अउ वचन कर्ता के अनुसरण नि करे अउ सदैव एक समान ( एकवचन, पुल्लिंग) रहिथे; तब ओला भावे प्रयोग कहिथन। जइसे-

राम ले पढ़े नि जाय।( राम से पढ़ा नहीं जाता।)

सीता ले पढ़े नि जाय।( सीता से पढ़ा नहीं जाता।)

टूरा मन ले पढ़े नि जाय।( लड़कों से पढ़ा नहीं जाता।)

 उपर के तीनों उदाहरण ला देखव अउ गुनव। तीनों उदाहरण म क्रिया ( जाय/जाता ) एकवचन अउ पुल्लिंग हे  अउ ओह कर्ता ( राम/सीता/लड़कों/टूरा मन) के अनुसरण नि करत हे अर्थात कर्ता के अनुसार क्रिया के पद परिवर्तन नि होवत हे।

निष्कर्ष- हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी दुनों म भावे प्रयोग एक समान होथे।

संप्रति( कुल मिला के ), हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी भाषा म क्रिया के प्रयोग के तुलनात्मक विश्लेषण करे म निम्न बात सामने आथे-

1) कर्तरि प्रयोग – हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के कर्तरि प्रयोग म अन्तर हे।

2) कर्मणि प्रयोग- हिन्दी म कर्मणि प्रयोग होथे; छत्तीसगढ़ी म कर्मणि प्रयोग नि होय।

3) भावे प्रयोग- हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी म भावे प्रयोग एक समान होथे।

छत्तीसगढ़ी व्याकरण : क्रिया

परिभाषा- जेन शब्द ले कोनो काम के होना या करना समझे जाय या व्यक्त हो, ओला क्रिया कहिथें। जइसे-
खाबो ( खाना ), पीबो ( पीना ), पढ़बो ( पढ़ना ), लिखबो ( लिखना ) आदि।

वास्तव म क्रिया विकारी ( परिवर्तित ) शब्द हवय अर्थात मूल शब्द म विकार या परिवर्तन होय ले क्रिया शब्द बनथे।

जइसे- पढ़ मूल शब्द हवय अउ ओमा विकार उत्पन्न होय के बाद ‘ पढ़त ( पढ़ना ) ‘ शब्द बनथे। एही शब्द ला क्रिया कहिथें।

धातु-

क्रिया के मूल रूप ला धातु कहिथें अर्थात धातु ले ही क्रिया पद के निर्माण होथे। जइसे-
‘ मैं पढ़त हँव।’- एमा पढ़त शब्द पढ़ धातु ले बने हे।

धातु के भेद

धातु के दू भेद होथे-
अ) मूल धातु
ब) यौगिक धातु

अ) मूल धातु-

एहा स्वतंत्र होथे अउ कोनो आन शब्द उपर निर्भर नि रहे। जइसे- जा, खा, पी, रह, चल, पढ़ आदि।

ब) यौगिक धातु-

एकर रचना मूल धातु म प्रत्यय लगाके, कई धातु ला संयुक्त करके या फेर संज्ञा अउ विशेषण म प्रत्यय लगाके बनाए जाथे। जइसे- जाना, खाना, पीना, रहना, चलना, पढ़ना आदि।

यौगिक धातु के रचना

यौगिक धातु के रचना तीन प्रकार ले होथे-

अ) प्रेरणार्थक क्रिया ( धातु ) –

जेन क्रिया ले कर्ता स्वयं कार्य नि करके कोनो दूसर मन ला काम करे के प्रेरणा देथे, ओला प्रेरणार्थक क्रिया कहिथें।

मूल धातु मूल क्रिया प्रेरणार्थक क्रिया

उठ उठना उठाना, उठवाना
उड़ उड़ना उड़ाना, उड़वाना
चल चलना चलाना, चलवाना

ब) यौगिक क्रिया (धातु ) –

दू या दू ले जादा धातु के संयोग ले यौगिक क्रिया बनथे।
जइसे- उठ जाना, खा लेना आदि ।

स) नाम धातु –

संज्ञा या विशेषण ले बनइया धातु ला नाम धातु कहिथें।

जइसे-
संज्ञा ले

हाथ हथियाना
बात बतियाना

विशेषण ले

चिकना चिकनाना
गरम गरमाना

.
मूल शब्द(धातु) नाम धातु यौगिक धातु

दुख- दुखाना दुख देना
बात -बतियाना बात करना
गोठ -गोठियाना गोठ बात करना
बिलग -बिलगाना बिलग करना

रचना के दृष्टि ले क्रिया के दू भेद

रचना के दृष्टि ले क्रिया के दू भेद होथे-
1) सकर्मक क्रिया
2) अकर्मक क्रिया

1) सकर्मक क्रिया ( Transitive Verb ) –

जेन क्रिया फल के साथ आथे ओला सकर्मक क्रिया कहिथें। जइसे-
‘ कविता रोटी खावत हे/हवय। ‘

इहाँ खावत ( खाना ) क्रिया शब्द हे अउ रोटी कर्म हे।

2) अकर्मक क्रिया ( Intransitive )-

जब क्रिया के फल कर्ता म ही निहित रहिथे तब ओला अकर्मक क्रिया कहिथें ।

जइसे-
‘ मधु हाँसत हवय। ‘

इहाँ क्रिया शब्द हँसना/हाँसना के फल कर्ता ( मधु ) म ही निहित हे।

क्रिया के भेद

क्रिया के कुछ अउ भेद होथे-

1) सहायक क्रिया ( Helping Verb )
2) पूर्णकालिक क्रिया ( Absolutive Verb )
3) नामबोधक क्रिया ( Nominal Verb )
4) द्विकर्मक क्रिया ( Double Transitive Verb )
5) संयुक्त क्रिया ( Compound Verb )
6) क्रियार्थक क्रिया ( Verbal Noun )

1) सहायक क्रिया ( Helping Verb )

मुख्य क्रिया के साथ मिल के वाक्य ला पूरा करे अउ अर्थ ला स्पस्ट करे म सहायक शब्द ला सहायक क्रिया कहिथें।
( हिन्दी म ‘ हूँ, है, हैं, था, थे, थी ‘ सहायक क्रिया हवय। )
जइसे-

वोह/ओह घर जावत हे। ( वह घर जा रहा है- हिन्दी )

  ये उदाहरण म ' हे/ है ' सहायक क्रिया माने जाही काबर कि मुख्य क्रिया ' जाना ' के साथ मिलके वाक्य ला पूर्ण अउ अर्थ ला स्पस्ट करत हे।

वोह/ओह घर जावत रहिस।( वह घर जा रहा था।- हिन्दी )

    ये उदाहरण म ' रहिस/था' सहायक क्रिया माने जाही काबर कि मुख्य क्रिया ' जाना' के साथ मिलके वाक्य ला पूर्ण अउ अर्थ ला स्पस्ट करत हे।

नोट- हिन्दी के शब्द ‘ रहा था ‘ के स्थान म छत्तीसगढ़ी म ‘ रहिस’ शब्द के प्रयोग के बाद वाक्य पूर्ण होवत हे अउ अर्थ घलो स्पस्ट होवत हे।…..छत्तीसगढ़ी म ‘ रहिस’ शब्द ला सहायक क्रिया माने जाही जबकि हिन्दी म केवल ‘ था’ शब्द ला सहायक क्रिया माने जाथे- ‘ रहा था ‘ ला सहायक क्रिया नि माने जाय।
अइसने छोटे-बड़े अन्तर एक भाषा ले दूसर भाषा ला अलग करथे। संज्ञा शब्द मन के अपभ्रंस ( डराइबर, कम्पोटर, मुबाइल, किरोना, परकिरिती, ससकिरिती, परधानमंतरी, रास्टरपति) बनाय ले कोनो भाषा बिलग नि होय बल्कि दहरा म बोजा के खत्म हो जाथे!!

2) पूर्णकालिक क्रिया ( Absolutive Verb ) –

जब कर्ता एक क्रिया ला खतम कर दूसर क्रिया ला शुरू करथे, तब पहिली क्रिया ला पूर्णकालिक क्रिया कहे जाथे। जइसे-

राम खाना खाय के बाद सोये बर चल दिस। ( राम खाना खाने के बाद सोने के लिए चला गया। )

ये उदाहरण म ' खाना खाना' पूर्णकालिक क्रिया माने जाही; जेला पूरा करे के बाद दूसर क्रिया ( सोना ) सम्पन्न होवत हे।

3) नामबोधक क्रिया( Nominal Verb )-

# संज्ञा या विशेषण के साथ क्रिया जुड़े ले नामबोधक क्रिया बनथे। जइसे-

संज्ञा+ क्रिया = नामबोधक क्रिया

लाठी + मारना = लाठी मारना
हाथ + चलाना = हाथ चलाना

काम ला तुरते पूरा करे बर जल्दी-जल्दी हाथ चलावा।

  • ये उदाहरण म ‘ हाथ चलावा’ नामबोधक क्रिया हे; जेकर मूल रूप ‘ हाथ चलाना’ हे।

4) द्विकर्मक क्रिया( Double Transitive Verb )-

जेन क्रिया ले दू कर्म होवत हे ओला द्विकर्मक क्रिया कहे जाथे। जइसे-

गुरूजी ह विद्यार्थी मन ला गणित पढ़ाइस। ( अध्यापक ने विद्यार्थियों को गणित पढ़ाया।)

  • ये उदाहरण म दू ठिन कर्म होवथ हे :

अ) गुरूजी ह विद्यार्थी मन ला पढ़ाइस।
ब) गुरूजी ह गणित पढ़ाइस।

ये तरा ‘ विद्यार्थी ‘ अउ ‘ गणित ‘ दू कर्म होइस।

5) संयुक्त क्रिया ( Compound Verb ) –

जब कोनो क्रिया दू क्रिया के संयोग ले बनथे, तब ओला संयुक्त क्रिया कहे जाथे।जइसे-

तैं आत-जात रहिबे। ( तुम आते-जाते रहना। )

  • ये उदाहरण म आना अउ जाना दू क्रिया मन आपस म जुड़ गय हें। एकरे बर आत-जात संयुक्त क्रिया माने जाही।

6) क्रियार्थक संज्ञा( Verbal noun )-

जब कोनो क्रिया शब्द ला संज्ञा जइसन प्रयोग म लाये जाथे, तब ओ क्रिया ला क्रियार्थक संज्ञा कहिथें। जइसे-

पैदल चलना स्वास्थ्य बर फायदेमन्द होथे। ( पैदल चलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। )

  • ये उदाहरण म ‘ पैदल चलना ‘ के प्रयोग संज्ञा के रूप म होय हे; ते पाय के वोह क्रियार्थक संज्ञा माने जाही।+

डाॅ विनोद कुमार वर्मा
कहानीकार, समीक्षक, संपादक
बिलासपुर
मो.: 98263-40331
ईमेल: vinodverma8070@gmail.com

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