Sliding Message
Surta – 2018 से हिंदी और छत्तीसगढ़ी काव्य की अटूट धारा।

छत्तीसगढ़ी व्याकरण : विशेषण-विनोद कुमार वर्मा

छत्तीसगढ़ी व्याकरण : विशेषण-विनोद कुमार वर्मा

छत्तीसगढ़ी व्याकरण : विशेषण

-विनोद कुमार वर्मा

छत्तीसगढ़ी व्याकरण : विशेषण-विनोद कुमार वर्मा
छत्तीसगढ़ी व्याकरण : विशेषण-विनोद कुमार वर्मा

विशेषण

जेन शब्द ले संज्ञा या सर्वनाम के आकार , अवस्था, रूप, गुण, स्वभाव अउ स्थिति के आधार म विशेषता के बोध होथे ओला विशेषण कहिथें।

जइसे-

  • अ) संख्या: इहाँ चार लड़की-मन बइठे रहिन।
  • ब) आकार: मोहन के हाथ म लम्बा छड़ी हावय।
  • स) अवस्था: गीता अड़बड़ेच्च बिमार हे/आय।
  • ड) रूप: मुस्कान सुग्घर लड़की आय।
  • इ) गुण: एहा पुराना पेन्ट आय।
  • फ) स्वभाव: सरला दीदी मिलनसार लेखिका आय।
  • क) स्थिति: राधा ह ओखर प्यारी बेटी आय।

विशेष्य

जेन शब्द के विशेषता बताय जाथे, ओला विशेष्य कहिथें।

जइसे-

मुस्कान सुग्घर लड़की आय।
इहाँ सुग्घर शब्द द्वारा मुस्कान के विशेषता बताये जात हे; एखरे बर मुस्कान विशेष्य हे।

प्रविशेषण

कभी-कभी विशेषण के घलो विशेषता बताय ला परथे। जेन शब्द ले विशेषण के विशेषता बताये जाथे; उन शब्द ला प्रविशेषण कहिथें।

जइसे-

मुस्कान अड़बड़ेच्च सुग्घर लड़की आय।
इहाँ अड़बड़/अड़बड़ेच्च शब्द विशेषण सुग्घर के विशेषता बतावत हे। एखरे सेती अड़बड़ेच्च प्रविशेषण होही अउ सुग्घर विशेषण होही।

नीचे दिये तीनों वाक्य ला देखव तो बात ह फरिया जाही।-

  • अ) वोह लड़की आय।( सामान्य वाक्य )
  • ब) वोह सुग्घर लड़की आय।( विशेषण सहित वाक्य )
  • स) वोह बहुतेच्च सुग्घर लड़की आय।( प्रविशेषण के साथ वाक्य )
  • जेन वाक्य म प्रविशेषण रइही ओमा विशेषण के रहना अनिवार्य हे।

विशेषण के भेद

विशेषण मूलतः पाँच प्रकार के होथे-

  • 1) सार्वनामिक विशेषण
  • 2) गुणवाचक विशेषण
  • 3) संख्यावाचक विशेषण
  • 4) परिमाणबोधक विशेषण
  • 5) तुलनात्मक विशेषण

1 . सार्वनामिक विशेषण

सर्वनाम के प्रयोग विशेषण के रूप म घलो होथे- बल्कि ये कहना सही होही कि सर्वनाम के विशेषण के रूप म प्रयोग अक्सर वाक्य बनाय म होत रइथे- एही ला सार्वनामिक विशेषण कहिथें।

नोट- अब एक ठिन नवा बात आ गे। ले-दे के सर्वनाम ला जाने-बूझे रहेंन अउ अब नावा समस्या आगे- सार्वनामिक विशेषण के रूप मा!….. सचमुच सर्वनाम अउ सार्वनामिक विशेषण के पहिचान करे म स्कूल म भारि चूक होथे- पढ़त-लिखत आदमी-मन घलो भोरहा म पर जाथन!- एला थोरकुन बारिक ले समझन।-

अ) मौलिक सार्वनामिक विशेषण –

जेन सर्वनाम बिना रूपान्तर के याने मौलिक रूप म संज्ञा के पहिली आ के ओखर विशेषता बताथे- ओला मौलिक सार्वनामिक विशेषण कहिथन।
उदाहरण –
# येह मोर किताब आय।( यह मेरा किताब है।)
यहाँ येह ( यह ) किताब के विशेषता बतावत हे कि ये किताब मोरेच्च आय, कोन्हों दूसर के नि होय।
अब एक ठिन अउ उदाहरण ला देखव-

येह/वोह घर श्याम के आय।( यह घर श्याम का है। )

ये उदाहरण म येह/वोह शब्द श्याम के घर के विशेषता बतावत हे कि घर श्याम के ही आय आन कोन्हों के नि होय।

ब) यौगिक सार्वनामिक विशेषण –

जब सर्वनाम रूपान्तरित होके संज्ञा शब्द के विशेषता बताथे तब ओला सार्वनामिक विशेषण कहिथन। उदाहरण-

कइसन आदमी आय? ( कैसा आदमी है? )
इहाँ कइसन ( कैसा ) के प्रयोग विशेषण के रूप म होय हावय।एखर मूल रूप का /कैसा हवय। एखरे सेती ये वाक्य म कइसन ( कैसा ) यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहे जाही।
अब एक ठिन अउ उदाहरण ला देखव-
अइसन कइसे काम चलही?( ऐसे कैसे काम चलेगा?)
ये उदाहरण म अइसन ( ऐसा) के प्रयोग विशेषण के रूप म होय हे। अतएव परिवर्तित रूप ला यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहिबो।.

2.गुणवाचक विशेषण

जेन शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण-धर्म, स्वभाव के बोध कराथे। ओला गुणवाचक विशेषण कहिथें। जइसे-
वोह झूठर्रा मइनखे आय। ( वह व्यक्ति झूठा है। ) – ये उदाहरण म व्यक्ति के गुण ( झूठर्रा ) के बोध करावत हे। एखरे सेती ये वाक्य म झूठर्रा गुण बोधक- गुणवाचक विशेषण आय।

गुणवाचक विशेषण कई प्रकार के हो सकत हे।एखर विस्तार ले विवरण नीचे लिखत हौं-

अ) काल बोधक-

नवा, नया, पुराना, प्राचीन।

” रामायण प्राचीन ग्रंथ आय। एला विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथ माने गे हे।अधिकांश इतिहासकार मन के अभिमत हे एखर संकलन पहली बार 1500 ईसा पूर्व ( अर्थात् 3600 वर्ष पूर्व) करे गय रहिस। एमा 24000 पद हे अउ 07 कांड म विभाजित हे।ये महाकाव्य म आदर्श व्यक्ति के रूप म प्रस्तुत राम के कहानी के माध्यम ले मानव जाति के चार उद्देश्य ( पुरूषार्थ ) – धर्म, अर्थ, काम, अउ मोक्ष ला पाय के विषय म निर्देश दिये गे हे। “
उपरोक्त पैरा म प्राचीन शब्द काल बोधक ( गुणवाचक ) सर्वनाम हे।( ये उदाहरण म प्रस्तुत कहानी के सारांश आप-मन ला जरूर बने लागिस होही! )

ब) रंग बोधक-

लाली, पिंयर,करिया, मसरंग, हरियर, सादा आदि।

‘ परसा के फूल लाली रंग के होथे। ‘

स) दशा बोधक-

मोटलू, दूबर, बुढ़वा, गीला, सूखा, निरोगिल ( निरोगी ) आदि।

‘ ये टूरा मोटलू आय। ‘

द) गुण बोधक-

खीक, कपटी, झूठर्रा, पापी, सिधवा, सोज( सरल ), अमसुर, रतनपुरिहा, बने-बने आदि।

‘ गंगा नहाय ले का ओ पापी ला मुक्ति मिल जाही? ‘

इ) आकार बोधक –

गोल, तिकोना, लम्बा, चौड़ा, पातर आदि।

‘ तुमा अड़बड़ मोटा आय। ‘ ( लौकी बहुत मोटा है। )

3. संख्यावाचक विशेषण

जेन शब्द संज्ञा या सर्वनाम के संख्या के बोध कराथे; ओला संख्यावाचक विशेषण कहे जाथे। ये दू प्रकार के होथे-

अ) निश्चित संख्यावाचक –

एमा निश्चित संख्या के बोध होथे। जइसे- दस झन टूरा, पचास रूपिया।
प्रयोग के आधार म एला चार भाग म विभाजित करे गे हे-

1. गणना वाचक –

एक, दू, तीन, चार आदि।

2.क्रम वाचक –

पहिला, दसवाँ, बीसवाँ आदि।

3.आवृति वाचक –

तिगुना, चौगुना आदि।

4.समुदाय वाचक –

चारों, तीनों, आठों आदि।

ब) अनिश्चय संख्यावाचक –

एमा अनिश्चित संख्या के बोध होथे। जइसे-

‘ कई लोगन मन आय रहिन। ‘
‘ कुछ टूरा मन भाग गइन! ‘

4. परिमाणबोधक विशेषण

जेन संज्ञा या सर्वनाम शब्द ले परिमाण ( मात्रा ) के बोध होथे, ओला परिमाणबोधक विशेषण कहे जाथे।
एखर दू भेद हे-

अ) निश्चित परिमाणबोधक –

दस किलो घीव/घी,
पाँच किलो तेल

ब) अनिश्चित परिमाणबोधक-

बहुत घीव/घी,
थोरकन गोरस ( थोड़ा दूध )

5. तुलनात्मक विशेषण

विशेषण के तुलनावस्था ला तुलनात्मक विशेषण कहे जाथे। अर्थात जब दू या दू ले जादा वस्तु या भाव के गुण, मान आदि के परस्पर तुलना किये जाथे तब ओला तुलनात्मक विशेषण कहे जाथे। अइसन विशेषण के तीन अवस्था होथे-

  • अ) मूलावस्था
  • ब) उत्तरावस्था
  • स) उत्तमावस्था

अ) मूलावस्था –

मूलावस्था म विशेषण बगैर काकरो ले तुलना किये हुए अपन मूल रूप म रहिथे। एमा केवल एक व्यक्ति, वस्तु आदि के गुण-दोष प्रगट होथे। जइसे-
# मुस्कान सुघ्घर आय/हे। ( मुस्कान सुन्दर है। )

ब) उत्तरावस्था –

जब दू व्यक्ति या वस्तु मन के बीच अधिकता या न्यूनता के तुलना किये जाथे तब ओला विशेषण के उत्तरावस्था कहे जाथे। जइसे-

मुस्कान पायल ले जादा सुग्घर हे/आय।

स) उत्तमावस्था –

जब दू ले जादा व्यक्ति या वस्तु के बीच तुलना किये जाथे अउ ओमे ले एक के श्रेष्ठता या फेर निम्नता प्रतिपादित किये जाथे तब ओला विशेषण के उत्तमावस्था कहे जाथे। जइसे-

मुस्कान अपन स्कूल के सबो लड़की मन ले बहुतेच्च सुग्घर आय/हे।

(1)

भाषामूलावस्थाउत्तरावस्थाउत्तमावस्था
अंग्रेजीGoodBetterBest
हिन्दीअच्छाबहुत अच्छाबहुत ही अच्छा
छत्तीसगढ़ीअच्छाबहुत अच्छाबहुतेच्च अच्छा
छत्‍तीसगढ़ी तुलनात्मक विशेषण

(2)

भाषामूलावस्‍थाउत्‍तरावस्‍थाउत्‍तमावस्‍था
अंग्रेजीMuchMoreMost
हिन्दीअधिकबहुत अधिकअधिकतम
छत्तीसगढ़ीजादाबहुत जादाबहुतेच्च जादा
छत्‍तीसगढ़ी तुलनात्मक विशेषण

तुलनात्मक विश्लेषण : अंग्रेजी, हिन्दी, छत्तीसगढ़ी अउ संस्कृत

अंग्रेजी अउ हिन्दी दुनों भारोपीय भाषा परिवार के समृद्ध भाषा आय। भारोपीय = भा (रत)+(यू) रोपिय। एला प्राक् आर्य भाषा परिवार घलो कहे जाथे। एखर उत्पत्तिकाल 2900 ईसा पूर्व से 2400 ईसा पूर्व माने जाथे। 2400 ईसा पूर्व एखर दू शाखा विकसित होइस- 1. एनाटोलियन 2. भारोपीय । कालान्तर म एनाटोलियन बूड़ गे अउ भारोपिय बच गे। एही भारोपीय भाषा परिवार के प्राचीन भाषा लौकिक संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, फ्रांसीसी, अवेस्ता, ग्रीक, लैटिन आय; जबकि आधुनिक भाषा म अंग्रेजी, रूसी, जर्मन, स्पेनी, फ्रांसीसी, पुर्तगाली, इतावली, फारसी, हिन्दी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, असमी आदि सैकड़ों बोली अउ भाषा आय जेमा छत्तीसगढ़ी घलो शामिल हे। एही भाषा परिवार पूरा विश्व म राज करत हे। 90% ले जादा अनुसंधान, नवाचार आदि एही भाषा मन म होवत हे।
व्याकरण के अनेक सिद्धान्त/ नियम जननी भाषा संस्कृत ले उद्भूत हे अउ अंग्रेजी ओखर अनुसरण करथे ओमा तुलनात्मक विशेषण घलो शामिल हे।

संस्कृत म तुलनात्मक विशेषण

संस्कृत म तुलनात्मक विशेषण के तीन रूप होथे- मूलावस्था, उत्तरावस्था अउ उत्तमावस्था। जइसे-

अधिकअधिकतरअधिकतम
गुरुगुरुतरगुरुतम
महत्महत्तरमहत्तम
लघुलघुत्तरलघुत्तम
श्रेष्ठश्रेष्ठतरश्रेष्ठतम
संस्‍कृत म तुलनात्मक विशेषण

अंग्रेजी म तुलनात्मक विशेषण

अंग्रेजी म घलाव तीन रूप होथे-

PositiveComparativeSuperlative
OldOlderOldest
GoodBetterBest
LargeLargerLargest
UglyUglierUgliest
अंग्रेजी म तुलनात्मक विशेषण

संस्कृत अउ अंग्रेजी दुनों म शब्द रूप परिवर्तित होवत हे। संस्कृत म ‘तर’ अउ ‘तम’ प्रत्यय लगाके तुलना किये जाथे जबकि अंग्रेजी म ‘er’ अउ ‘est’ प्रत्यय लगाके तुलना किये जाथे।
हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी म अक्सर शब्द रूप नि बदले बल्कि ओमा शब्द के आघू नवा शब्द जोड़े जाथे।जइसे-

अच्छा बहुत अच्छा बहुत ही अच्छा(हिन्दी)
अच्छा बहुत अच्छा बहुतेच्च अच्छा(छत्तीसगढ़ी)

हिन्दी म घलो तर अउ तम लगाके विशेषण शब्द बनाए गय हे-
सुन्दर सुन्दरतर सुन्दरतम
सुग्घर बहुत सुग्घर बहुतेच्च सुग्घर(छत्ती)

विनोद कुमार वर्मा
कहानीकार, समीक्षक, संपादक
मो. 98263-40331
ईमेल. [email protected]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अगर आपको ”सुरता:साहित्य की धरोहर” का काम पसंद आ रहा है तो हमें सपोर्ट करें,
आपका सहयोग हमारी रचनात्मकता को नया आयाम देगा।

☕ Support via BMC 📲 UPI से सपोर्ट

AMURT CRAFT

AmurtCraft, we celebrate the beauty of diverse art forms. Explore our exquisite range of embroidery and cloth art, where traditional techniques meet contemporary designs. Discover the intricate details of our engraving art and the precision of our laser cutting art, each showcasing a blend of skill and imagination.