पााछू भाग- छत्तीसगढ़ के तिज तिहार भाग-2: भोजली
छत्तीसगढ़ के तिज-तिहार भाग-3: कमरछठ (खमरछठ) तिहार
-रमेश चौहान
कमरछठ तिहार (हलषष्ठी)-
हर साल भादो महिना के अंधियारी पाख के छठ तिथि के शेषावतार भगवान बलराम के जन्म उत्सव पूरा भारत देश म मनाय जाथे । ये दिन मथुरा सहित देश के सबो बलराम/बलदाउ/हलधर के मंदिर मा पूजा पाठ करके ओखर जनम दिन मनाये जाथे । येही दिन ल छत्तीसगढ़ म खमरछठ या कमरछठ के नाम ले जाने जाथे ।
कमरछठ नामकरण के आधार-
बलराम के एम नाम कुमार घला रहिस अउ ऐखर जनम छठ तिथि के होइस ऐ पाएके ए दिन पहिली कुमारछठ कहे गिस होही जउन बाद म कमरछठ के नाम ले प्रसिद्ध होगे । छत्तीसगढी म कमरछठ के अपभ्रंस खमरछठ जादा प्रचलन म हे, फेर सही नाम कमरछठ आय ।
कमरछठ उपास-
छत्तीसगढ म खमरछठ ल उपास तिहार के रूप मा मनाय जाथे । ये दिन संतान के सुख समृद्धि अउ लंबा जीवन के कामना ले दाई-माई मन उपास रहिथें । ए दिन नागर चले जगह मा रेंगब मनाही होथे । नागर ले उपजे अन्न अउ गाय के दूध के सेवन के आज के दिन मनाही होथे । आज के दिन बिना नागर चले जगह ले उपजे पसहर चाउर अउ भाजी, ले बने भाजी-भात बना के ऐमा भइसी के दूध-दही मिला के खाए जाथे।
कमरछठ उपास रहे के नियम-
हर उपास-व्रत अमन अलग नियम-धियम अउ परम्परा होथे जेखरे पालन उपास रहईयामन ल करे ल परथे । खमरछठ उपास केवल माईलोगिन मन रहिथे । ए उपास रहईयामन ल कमरछठ उपासीन कहे जाथे जेन ऐ प्रकार के नियम-धियम मानथें-
- नमक वाले चीज के खना-पीना के मनाही- उपास रहईया मन ऐ उपास के दिन नमक वाले चीज नई खाएं । एखर जगह म सेंधा नमक के उपयोग करथें ।
- नागर चले जगह म रेंगे के मनाही- ए दिन उपास रहईया मन नागर चले जगह, रद्दा म नई रेंगॅय ।
- गाय के दूध के मनाही- ए दिन गाय के दूध अउ ए दूध ले बने चीज के मनाही होथे ।
- भइसी के दूध के महत्व-ए उपास म भइसी के दूध अउ ए दूध ले बने घीव, दही के बड़ महत्व होथे । उपासहिन मन भइसी के दूध, दही, घीव के उपयोग करथें ।
- पसहर चाउर- कमरछठ उपास पसहर चाउर बिना पूरा नई होवय । पसहर चाउर एक अलग प्रकार धान ले बनाए जाथे । ए धान ह पानी भरे जगह तरिसा-नरवा-डोचका म होथे जेन झार के निकाले जाथे । ए चाउर ह करछठहू होथे । ऐही चाउर के भात बना के खाए जाथे ।
- पटपर भुईंया के भाजी- आज के दिन बिना नागर चले जगह के साग भाजी के उपयोग होथे । एखर बर पटपर जगह म उपजे भाजी या नदिया-तरिया म उपजे भाजी ल खाए जाथे ।
- महुॅवा फर धान-लाई-कमरछठ के पूजा म महुँवा फर अउ धान लाई के प्रसाद चढ़ाए जाथे। महुॅवा पत्ता के बने दोना, पतरी के ही उपयोग करे जाथे अउ महुॅवा डारा के ही दतून करे जाथे ।
- छैै संख्या के महत्व- ए उपास म छै संख्या के बड़ महत्व होथे । ऐमा छै प्रकार के अन्न (राहेर, तिवरा, मसूर, चना, लाई, महुँवा), छैै प्रकार के खिलौना (बांटी, भौरा, गिल्ली-डंडा, फुग्गा, गेड़ी), छै प्रकार के तरल (दूध, दही, घीव, मधुरस, गंगाजल, पानी), छै प्रकार के भाजी अउ इहां तक के पूजा म छै अध्याय के कथा के महत्व होथे ।
कमरछठ पूजा-पाठ के रीति-
कमरछठतिहार अपन आप एक अलग प्रकार के तिहार हे, जेमा सामूहिक पूजा-पाठ होथे । आज के दिन सगरी बना के ओखर पूजा करे जाथे, ये सगरी लाा हलषष्ठी दाई के रूप माने जाथे, जेन वास्तव मा पार्वती के एक रूप आवय । हलषष्ठी ला संतान के देवी माने जाथे । सगरी ला शंकरजी के परिवार सहित प्रतिक मान के पूजा करके ये कामना करे जाथें के आपके परिवार कस हमरो परिवार खुश रहय । जइसे आपके लइका बच्चा योग्य हे ओइसने हमरो लइका मन योग्य बनय । लइका वालेमन अपन लइका के स्वास्थ्य अउ सुख के कामना करथें त बिना लइका वाले मन अपन बर लइका के कामना ले ए उपास ल रहिथें ।
कमरछठ सगरी-
सागर या तरिया के प्रतिक रूप सगरी के बनाए जाथे । इसे ऐखर कोनो विशेष नाप-जोख नई होवर तभो ले सवा दू हाथ के लंबा-चौड़ा अउ सवा हाथ के गहिरा गढ्ठा खन के ऐखर तीरे-तीर मेढ-पार बनाए जाथे । ए सगरी म पानी अउ भइस के दूध अपन शक्ति के अनुसार भरे जाथे । सगरी म हरेली तिहार बने गेड़ी ल घला रखे जाथे । ए सगरी मॉं पार्वती के रूप मान के एखर पूजा-पाठ करे जाथे ।
पोता छुवाना –
खमरछठ दाई के आशीर्वाद के रूप म उपसहिन दाई मन अपन लइका ल पोता छुवाथें । सगरी के पूजा करे के बखत लाल, पीला अउ सफेद रंग के नवा कपड़ा के छोटे-छोटे टुकड़ा चढ़ाए जाथे ऐही म क सफेद रंग के कपड़ा ल सगरी के पानी म गिला करके दाई मन घर म लाथे अउ लइका मन ल आशीर्वाद के रूप म पीठ के बाखा म छुवाय जाथे । बेटा मन जेउनी बाखा म अउ बेटी मन के डेरी बाखा । दाई मन ए पोता छुवा के अपन लइका मन ल खमरछठ के प्रसाद देथें ।
कमरछठ मनाये के मान्यता-
ये व्रत के संबंध में अइसे मान्यता हे कि जब कंस हा देवकी के छै लइका ला मार डरिस ता देवकी ला बहुत चिंता होगे के आखिर मोर एको लइका बाचही के नही कहिके, ओही बखत नारद हा देवकी ला सलाह देइस के तैं मां पार्वती (हलषष्ठी) के व्रत कर ओखर कृपा ले तोर संतान मन ला आयु एवं समृद्धि जरूर मिलही । देवकी हा कंस के कारागार मा परे परे ये व्रत ला करिस । ये व्रत के ये प्रभाव होइस के ओखर गर्भ मा जेन लइका संचरत रहय, ओखर गर्भ परिवर्तन होगे, मने व्रत के परभाव ले देवकी के गर्भ रोहणी के गर्भ मा प्रतिस्थापित होगे । रोहणी के गर्भ ले जेन शिशु के जन्म होइस ओही हा बलराम आय, ऐती देवकी के गर्भपात होगे कहिके कंस ला बता दे गीस । ये परकार ले जेखर लगातार छै लइका मारे गे रहिस ओखर सातवइया लइका बांच गे । जेन दिन बलराम के जनम होइस ओ दिन भादो बदि छठ रहिस, ते पाइके हर साल ऐही दिन खमरछठ मनायेे जाथे ।
श्रद्धा अउ विश्वास फलदायी होथे-
देवी-देवता अउ धरम-करम ल मानब ह श्रद्धा अउ विश्वास के चीज आय । अइसे अनुभव म आथे के श्रद्धा अउ विश्वास ले करे गे खमरछठ उपास बड़ फलदायी होथे । लइका के कामना ले करे गे खमरछठ उपास ले कईझन के लइका-बच्चा होय हे, कतको लइका के नौकरी-चाकरी लगे हे त कतको लइका के काम-बुता म बरकत होय हे, अइसे कतको दाई मन के विश्वास हे । एक विश्वास के कोनो वैज्ञानिक पुष्टि नई हो सकय काबर विश्वास, विश्वास होथे, ऐही ह आस्था आय ।
कमरछठ गीत-
जय हो दाई कमरछठ, महिमा तोर अपार ।
लइका मन बर दे असिस, करत हवन गोहार ।।
तोरे सगरी पार मा, बइठे हाथे जोर ।
लइका के दाई सबो, पाव पखारत तोर ।।
रखबे दाई लाज ला, बन के तैं रखवार ।। जय हो दाई खमरछठ ….
तोर दया ले देवकी, पाय रहिस बलराम ।
उतरा पाये बेटवा, परीक्षीत हे नाम।।।।
तोरे दर मा आय हन, हमरो कोख सवार ।।
जय हो दाई खमरछठ…….
नागर रेंगे ना जिहां, ऊंहे के ले धान ।
भाजी पाला खाय के, राखे हन हम मान ।।
महुवा लाई अउ चना, जोरे हवन निमार ।। जय हो दाई खमरछठ …
दूध दही ल भईस के, भर के महुवा पान ।
फुड़हर फूले हाथ ले, करत हवन यशगान ।।
भर दे हमरे पोतनी, दया मया तैं झार ।। जय हो दाई खमरछठ….
तोर दया के पोतनी, मारॅंव लइका पीठ ।
धन दौलत अउ यश मिलय, होय उमर के ढीठ ।।
गोरस के ओ लाज ला, राखय बने समार । जय हो दाई खमरछठ…….
-रमेश चौहान
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