दीया बुतावत हे छत्तीसगढ़ी साहित्य म छावत हे अंधियारी – डॉ.अशोक आकाश

    छत्तीसगढ़ राज बनायबर हमर पुरखा मन गजब संघर्ष करिन। बड़ आशा विश्वास ले स्वाभिमानी छत्तीसगढ़ के सपना देखैया हमर बलिदानी पूर्वज मन धीरज संयम ले मजबूती के साथ छत्तीसगढ़ राज बनायके बात रखिन। हमर देश में राज्य बनायबर कतको खूनी संघर्ष होयहे लेकिन पचपन साल तक सरलग आवाज उठायके बाद हमर देश के इतिहास में छत्तीसगढ़ ऐसन राज्य बनिस जे हा बगैर खूनी संघर्ष के राज्य के रूप में अस्तित्व में आईस। आजादी के बाद पचपन साल के देखे सपना बिना खूनखराबा के पूरा होगे, ये हमर छत्तीसगढ़ के सीधापन के प्रत्यक्ष प्रमाण हरे। 
   जब हमन छत्तीसगढ़ राज पायेन त गजब अकन सपना देखत रेहेन, छत्तीसगढ़ के सबे संसाधन के उपयोग अब सही दिशा में होही, हमर छत्तीसगढ़िया मन ला नौकरी मिलही, व्यापार -व्यवसाय, खेती-किसानी में तरक्की होही! छत्तीसगढ़ी ला राजभाषा के दर्जा मिलही! ऐसन कतको अकन सपना हमर ऑंखी-ऑंखी में झूलत रीहिस। छत्तीसगढ़ के सबे संसाधन के उत्खनन अउ संवर्धन में उन्नति होवत रीहिस फेर छ्त्तीसगढ़ी ला राजभाषा के दर्जा मिलना बाँचे रीहिस, एकर पीरा हमर छत्तीसगढ़िया साहित्यकार के मन के दाहरा में हिलोरा मारत रीहिस। आखिर में रमन सिंह के सरकार हा छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग बनाइस त छत्तीसगढ़ के सबे साहित्यकार मन में खुशी के ठिकाना नइ रीहिस, लागत रीहिस कि हमर छत्तीसगढ़ी हा अब राजभाषा बन जही, सबे प्रशासनिक कारज हा अब छत्तीसगढ़ी में होही लेकिन प्रशासनिक अक्षमता के सेती सबे सपना धरे के धरे रहिगे। 
      छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ला चलाय बर अध्यक्ष सचिव अउ कार्यालयीन कर्मचारी मनला वैतनिक रखेगिस लेकिन विडम्बना ये रिहीस कि जिला स्तर में काम करैया समन्वयक मनला अवैतनिक रखेगीस। बीच में पॉंच हजार रुपिया हर महीना देयके बात उठे रीहिस फेर उहू हा कचरा में फेंकागे। जिला स्तर में ये समन्वयक मन आज भी छत्तीसगढ़ी भाषा के असली सेवा करथे। छत्तीसगढ़ सरकार में राजभाषा आयोग के जिलास्तर में नेतृत्व करैया ये जिला समन्वयक मन के कोनो देखैया पुछैया नइ हे। ये मन अपन पैसा खरचा करके छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा करथे। ये समन्वयक मन लगातार आयोग के शोषण के शिकार होय हे। 
      छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के चाहे कार्यालय स्थापना दिवस होय, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग दिवस होय या प्रान्तीय अधिवेशन होय ये समन्वयक मन ला ट्रेन या बस के टिकट दिखाबे तभे ओतकेच रुपिया मिलथे जतका रुपिया ये मन बस या ट्रेन में आय जायबर खर्चा करे रथे। आटो रिक्शा चाय पानी के खर्चा तो ये मनला कभू मिलबे नइ करे। कतकोन स्वाभिमानी समन्वयक मन बस ट्रेन के पैसा लेबे नइ करे ये मन अपन पैसा में आथे जाथे । आयोग में कोनो आयोजन होही त जिलास्तरीय बरदिहा के बुता जिला समन्वयक के रहिथे। ये मनला जिला स्तर में निर्धारित संख्या में साहित्यकार मंगवाये जाथे। साहित्यकार मन ला कार्यक्रम स्थल में लेगे के बाद ईंकर काम खतम। ये समन्वयक मन अपन जिला के बड़का साहित्यकार रहिथे लेकिन ये मन ला वक्ता के रूप में स्थान मिले न कवि सम्मेलन ला छोड़के कोनो दूसरा सत्र में सम्मानजनक स्थान नइ मिले। कोनो कार्यक्रम में सबे जिला समन्वयक मन अतकी कहिके मन ला मड़ालेथे कि चलो रे भाई छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा करथन। ये मन छत्तीसगढ़ी भाषा के सच्चा सेवक आय, एकर सेती  ये मन मान सम्मान के ध्यान नई देके, छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा करथे। आयोग द्वारा भुलावा में रखके ईंकर उपयोग ऐसे किये जाथे जैसे दूध के मॉंछी। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला समन्वयक कहिबे त ऐसे लागथे जैसे आयोग के बहुत बड़े अधिकारी होही लेकिन ढोल तरी पोल मशाल तरी अंधियार। ये पद के नाम जिला स्वयंसेवक रखे जाय ते जादा अच्छा रही। 

     छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग हा समन्वयक ही नहीं छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन के तक शोषण करथे, साहित्यकार मन ला बलाके सिरिफ बस ट्रेन के किराया या कार के दस रुपिया प्रति किलोमीटर के पैसा भर दे देथे, बिचारा मन भात साग खाके हाथ हलावत चल देथे। 

      आयोग में एक झन ऐसे साहित्यकार हे जेन हा सत्ताधारी पार्टी के सदस्य हे, तेन हा पूरा आयोग ला पोगरा के बैठे हे। ओकर आदेश पत्थर के लकीर होगे हे। वो बाहॉं चढ़ाये आयोग के सबे कर्मचारी मन ला निर्देशित करत रहिथे, बड़े बड़े साहित्यकार मनके आयोग में कोनो पुछैया नइ हे। एकर लंगोटी धोवैया कईझन हे जेकर पिछला दुवारी ले आगमन होगेहे। जेमन अब सबे समन्वयक, बड़का साहित्यकार अउ आयोग के कर्मचारी मन ला आदेशित करत हवे। लंगोटी धोवैया मनके राज में स्वाभिमानी साहित्यकार मन कोंटा में तिरियागेहे। 

     छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जब ले बने हे स्व.श्यामलाल चतुर्वेदी, स्व.दानेश्वर शर्मा अउ डॉ.विनय कुमार पाठक अध्यक्ष बनिस। हमर ये साहित्यिक पुरोधा मन नींव के पथरा बनके आयोग ला मजबूती  देके काम करीसे। सबे अध्यक्ष के कार्यकाल में आठवॉं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी विषय में ढोल पीटत दिन बीतगे फेर सही दिशा में निशाना नीं लग पइस, काबर कि आयोग ला ओतका मजबूते नइ करेगेहे। हॉंथ गोड़ ला बॉंध के दाहरा में छोड़े तैराक बनके रहिगेहे आयोग हा। अब तक एला पूरा आजादी नइ मिले हे। बड़े बड़े दिग्गज अउ उत्साही साहित्यकार मन हा अध्यक्ष बनिन फेर अब तक बने हकन के काम नइ कर सकिन। 

        छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सबे अध्यक्ष में डॉ.विनय कुमार पाठक के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ी भाषा ऊपर जमके काम होईस। कतको अकन काम के क्रम में एम. ए. छत्तीसगढ़ी के पाठ्यक्रम के शुरुआत डॉ.विनय कुमार पाठक के कार्यकाल में होईस तब ऐसे लागे कि छत्तीसगढ़ी में एमए करलेव सरकारी नौकरी पक्का। आज छत्तीसगढ़ी में एम ए करैया लइका मनहा बेरोजगार घूमथे, सरकार ला चाही कि पाठ्यक्रम खोले हव त रोजगार भी देव,तभे तो ये लइका मन के सपना अउ पाठ्यक्रम खोले के उद्देश्य पूरा होही। 

     छत्तीसगढ़ी भाषा संस्कृति के नंगाड़ा बजैया मनखे मनके मुड़ी में गाज तब गिरगे जब भुपेश बघेल के सरकार हा आयोग ला अध्यक्ष विहीन करदिस। बिगर ताज के राजा ला राजा कोन मानही ? बिगर कलश के मंदिर में पूजा कोन करही? अउ बिगर पंख के चिरई कतका उड़ाही ?
    ताज विहीन राजभाषा आयोग के सचिव डॉ.अनिल भतपहरी हा अपन कार्यकाल में बढ़िया काम करिसे। जिला समन्वयक अउ साहित्यकार मन ला सम्मान देके

कोशिश अउ छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य अउ संस्कृति के रखवारी में करे एकर काम सुरता करे जाही।
आज सरकार बदल गेहे अब छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय के सरकार हे, संस्कृति मंत्रालय हा अब विष्णु देव साय के अधीन काम करथे। राजभाषा आयोग के रमन सिंह के दो कार्यकाल अउ भूपेश बघेल के एक कार्यकाल के लेखा जोखा करथन त जतका ऊँचाई रमन सिंह के कार्यकाल में होय रीहिसे भूपेश बघेल केे मुख्यमंत्रित्व काल में छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य अउ संस्कृति हा ओतकेच गड्ढा में बोजागेहे। एला उबारे के बुता मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी स्वयं अपन हाथ में लेहे तभे तो 28 नवंबर 2024 के छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के कार्यक्रम में पहिली बेर मुख्यमंत्री के आगमन होय रीहिस ये बात चर्चा के विषय हे।
अब हमन ला आशा बंधे हे कि हमन ला अपन अध्यक्ष मिल जही, राज्य सम्मान प्राप्त साहित्यकार अउ कलाकार के पुछारी होही। जिला समन्वयक अउ साठ साल के ऊपर के वरिष्ठ साहित्यकार मन ला सम्मानजनक मासिक राशि मिलही, छत्तीसगढ़ी में एम.ए. करैया लइका मन ला नौकरी में प्राथमिकता मिलही, शासकीय कार्य में छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग होही, न्यायपालिका, कार्यपालिका, व्यवस्थापिका में छत्तीसगढ़ी के उपयोग बढ़ही। एकर पहिली कि छत्तीसगढ़ी भाषा अउ संस्कृति के दीया बुताके अंधियारी छा जाय ओला जीवन देयबर तेल डारना जरूरी हे। प्रभावहीन छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग में नवॉं जान डाले बर छत्तीसगढ़ी भाषा बर दहाड़ के बोलैया मजबूत साहित्यकार ला अध्यक्ष बनाके छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोगरुपी मंदिर में कलश चढही तभे हमर छत्तीसगढ़िया अउ छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के उद्धार होही।
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डॉ.अशोक आकाश वरिष्ठ साहित्यकार
बालोद
9755889199

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One thought on “दीया बुतावत हे छत्तीसगढ़ी साहित्य म छावत हे अंधियारी – डॉ.अशोक आकाश

  1. ये लेख हा तो एक समन्वयक के पीरा नोहे आकाश भैया।ये सब बात ला तो आदरणीय माटी पुत्र लक्ष्मण मस्तुरिया जी जैसे गीतकार घला गोठियाय।
    आप बिलकुल सही कहत हव।
    अब समय हा उसने आगे हे,जे जतका चमचागिरी करही ।उही मन ला ऐसन शोभा देते।।
    बहुत बढ़िया लेख हे।
    ऊंखर बर ए दर्पण के काम करही।
    जय हो।

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