बाल साहित्य (कविता संग्रह):छोटी चिड़िया नीला रंग -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

11.उसे पता है आम किधर

दस बारह तोते आ बैठे ,
आम वृक्ष के ऊपर।
उन्हें आम खाने की इच्छा ,
आम छिपे पत्तों के अंदर।
ढूंढ रहे हैं देख रहे हैं ,
पत्ते पत्ते झांक रहे हैं।
देख गिलहरी मुस्काती ,
उसे पता है आम किधर।
दस बारह तोते आ बैठे ,
आम वृक्ष के ऊपर।

12.चिड़िया बैठ गयी है छिपकर

अनार वृक्ष की डाली पर
चिड़िया बैठ गयी है छिपकर।
बच्चे बजा रहे हैं ताली ,
खुश हैं सारे उसे देखकर।
बुलबुल अंदर से गाती ,
मंद हवा से पत्ती हिलती ,
ताली बजा रहे हैं बच्चे
खुशियां जैसे खुश हो जातीं।
अनार वृक्ष की डाली पर
चिड़िया बैठ गयी है छिपकर।

13.मधुमक्खी भागी -भागी आयी

छत्ते में आकर बोली ,
अभी अभी है पता चला ,
बूँदा -बाँदी होने वाली।
हंसी वहां पर सभी मधुमक्खियां ,
मधु को थोड़ा किया व्यवस्थित।
बूँदा -बाँदी से क्या डर हमको ,
छत्ते का स्थान तो देखो
अच्छी जगह पर है यह स्थित।
पूर्व योजना से जब करते
हम अपना कोई काम ,
कभी नहीं तब होता है ,
उसमे कोई व्यवधान।

14.पतझड़ वाली हवा चली

पतझड़ वाली हवा चली ,
पीले पत्ते उड़ते -उड़ते ,
इधर उड़े , फिर उधर उड़े।
तरह तरह के रूप दिखाते ,
कभी सरा -सर ,
कभी बिना ध्वनि।
संग हवा के गाते गाते ,
हवा इन्हे ले उड़ा -उड़ा ,
एक ढेर में रख देती है।
फिर इन सब की जाने क्या ,
आपस में चर्चा होती है।
पतझड़ वाली हवा चली ,
पीले पत्ते चले उड़े।

15.छोटी चिड़िया नीला रंग

छोटी चिड़िया नीला रंग ,
खेल रही बच्चों के संग ,
बहुत चमकते उसके पंख।

नई नई है उसकी आभा ,
उसको मिला चमकता रंग।

बच्चे ब्लू जे , ब्लू जे कहते ,
चिड़ियों जैसे ही गाने गाते।
जैसे जैसे चिड़िया उड़ती ,
उसी रस्ते पर वे जाते।
आज पार्क में यही है खेल
छोटी चिड़िया नीला रंग ,
खेल रही बच्चों के संग।

16.मिटा प्रदूषण , धूल धुली

अप्रैल की गर्मी में आयी
आज अचानक थोड़ी वर्षा।
धुले रास्ते , पौधे पत्ते ,
बच्चों का मन कितना हरषा।
मिटा प्रदूषण , धूल धुली ,
आसमान ज्यों धुला धुला।
देखा तारे आज रात में ,
जैसे सब कुछ धुला धुला।
अप्रैल की गर्मी में आयी
आज अचानक थोड़ी वर्षा।

17.जैसे ही अब होगी छुट्टी

जैसे ही अब होगी छुट्टी
हम समुद्र तटों पर जायेंगे।
हम देखेंगे वहाँ पर लहरें ,
जलराशि वहाँ पर देखेंगे।
बड़ी बड़ी लहरें होंगी ,
मछली कितनी बड़ी बड़ी।
बड़े बड़े जल जीव जंतु भी ,
हम दूर तटों से देखेंगे।
जैसे ही अब होगी छुट्टी
हम समुद्र तटों पर जायेंगे।

18.नदियाँ

बरसात में नदियाँ बड़ी बड़ी
बालू मिट्टी के संग बहीं।
धीरे धीरे शरद ऋतु तक
निरथा कर जल धवल हुईं।
अब बसंत है पतली नदियाँ ,
सूंदर सूंदर कितनी नदियाँ।
शायद अपना थोड़ा पानी
सागर को दे आयीं हैं।
इस बसंत में देखो कितनी ,
शांत सरल दिखती नदियाँ।

19.प्यारी मछली कूद रही

प्यारी मछली कूद रही
शांत सरोवर , तेज धूप है ,
सूरज की किरणें भी तेज हैं।

मछली किरणों संग खेल रही ,
कभी कूदती एक आध फुट
कभी उछलती मीटर भर।
दूर पेड़ के नीचे बैठे ,
देख रहे हैं खेल ये हम सब।

20.है बसंत की ऋतु प्यारी सी ,

फूल खिले हैं खुशबू वाले।
हरे भरे हैं रंग रंग के
पेड़ों में नये -नये पत्ते।
कुछ दिन बाद बीत जायेगी ,
इस बसंत की छटा निराली ,
फिर आएगी गरमी की ऋतु ,
गरमी की अपनी बात निराली।
पाक जायेंगे आम पेड़ पर ,
खरबूजे , तरबूज मिलेंगे।
तरह तरह के शाक और फल ,
लीची होंगी और ककड़ियाँ।
है बसंत की ऋतु निराली
गरमी है अब आने वाली।

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