बाल साहित्य (कविता संग्रह):छोटी चिड़िया नीला रंग -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

31.चैताबुन्नी

चैताबुन्नी एक गिलहरी
खैराबुन्नी की मौसी।
रोज सवेरे उसे बुलाती ,
अच्छी अच्छी बात बताती।
कितने बच्चे मिलने आते ,
खैराबुन्नी के साथ ,
सब के सब खुश होकर जाते ,
अच्छी अच्छी बात सीखते।
चैताबुन्नी एक गिलहरी
खैराबुन्नी की मौसी।

32.फूल जे

फूल जे नन्ही चिड़िया
अल्मोड़ा से आयी।
मैदानों में आकर उतरी ,
ऊंचे पेड़ों की बातें लायी।
कहती बच्चों खाया है
क्या तुमने बाल मिठाई ?
प्यारे बच्चो , देखा है ,
क्या तुमने बाल मिठाई ?

33.संतरा रो

संतरा रो- संतरा रो ,
उसकी बातों में खुशबू है।
उसकी बातों में पर्वत ऊंचे ,
उसकी बातों में परियां हैं।
उसकी बातों में नदियां छिछली ,
उसमें रंगीन मछलियां हैं।
संतरा रो- संतरा रो ,
उसकी बातों में खुशबू है।

34.केका मे

    केका मे कौआ काला ,
    लाख हज़ारों बातों वाला।
    इधर घूमता , उधर घूमता
    समाचार लेकर आता।
    जंगल का समाचार ,
    शहरों , गावों का समाचार ,
    अपनी चोंच मे सब रखता।
    केका मे कौआ काला ,
    लाख हज़ारों बातों वाला।

    35.पुच्ची पुच्ची

    पुच्ची – पुच्ची भँवरा प्यारा
    फूल -फूल पर उड़ता रहता ,
    गाता रहता गीत नये।
    पुच्ची- पुच्ची भँवरा प्यारा।
    सभी फूल उसको भाते ,
    फूल भी उसको पास बुलाते।
    पुच्ची- पुच्ची भँवरा प्यारा
    फूल फूल पर उड़ता रहता ,
    गाता रहता गीत नये।

    36.तोपाप

    तोपाप तोतों का राजा
    हर तोते को वह भाता।
    सबका हाल चाल लेता ,
    सब के सुख -दुःख मे रहता।
    तोपाप है तोतों का राजा।
    उसने पूरी दुनिया देखी,
    कई कई देशों को जाता।
    बड़ा वीर है बड़ा दयालु ,
    तोतों की वह रक्षा करता।

    37.घोड़ाकू

    घोड़ाकू है टिड्डा तेज,
    हरेक काम मे आगे रहता।
    कीट पतंगों को वह भाता ,
    उसको आतीं हैं भाषायें।
    तरह तरह के गाने आते ,
    पंखों से संगीत बजाता।
    घोड़ाकू है टिड्डा तेज,
    हरेक काम मे आगे रहता।
    कीट पतंगों को वह भाता।

    38.कोपाबिल्ली

    कोपाबिल्ली है जासूस
    जंगल की सेना में ,
    कोपाबिल्ली है अधिकारी।
    उसे पता है शत्रु कहाँ है ,
    उसे पता है मित्र कौन है।
    इधर उधर वह चलती रहती ,
    बातें क्षेत्र क्षेत्र की लाती।
    वह बड़ी तेज है अपने गुन में ,
    कोपाबिल्ली है जासूस।
    जंगल की सेना में ,
    कोपाबिल्ली है अधिकारी।

    39.बेनजो

    बेनजो गैंडा सेनापति है ,
    जंगल की सेना कर ।
    रक्षा करता घूम घूम कर ,
    जीव जंतु हैं सब उससे ,
    शान्त है पर सक्रिय है।
    अच्छी सोच लिए चलता है ,
    बेनजो गैंडा सेनापति है ,
    जंगल की सेना कर ।

    40.गोलबच्चा

    गोलबच्चा प्यारा बच्चा,
    नन्हा सा है वह खरगोश।
    अभी नया है विद्यालय में ,
    छोटा है वह प्यारा बच्चा।
    लिखना सीख रहा है अब तक ,
    पढ़ना उसको है आता ,
    याद कर चुका कई कहानी।
    गोलबच्चा प्यारा बच्चा,
    नन्हा सा है वह खरगोश।

    लेखक के विषय में
    प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्किट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें(2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी(2019) , चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। , बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017) ,पथिक और प्रवाह(2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑफ़ फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी हिंदी अंग्रेजी कवितायेँ लगभग बीस साझा संकलनों में भी संग्रहीत हैं । उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में बाल साहित्य के अंतर्गत लगभग 50 नाटक भी लिखे हैं। बाल साहित्य लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे 21 पुरस्कार प्राप्त हैं ।

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