कोरोना वायरस का साइडइफेक्ट
-रमेश चौहान
कोरोना वायरस का साइडइफेक्ट
कोरोना वायरस का साइडइफेक्ट जानने से पहले हम यह जान लेते हैं कि ये कोरोना वायरस क्या है ? इस वायरस का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा ? फिर हम इस बात का मूल्यांकन करें कि इसका सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव क्या है ?
कोराना वायरस क्या है ?
कोरोना एक ऐसा वायरस है जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है। इस वायरस का संक्रमण दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में शुरू हुआ था। धीरे-धीरे यह विश्व के प्राय: हर देशों तक फैल गया । अब सारी दुनिया इससे त्रस्त है । डब्लूएचओ के मुताबिक बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं।
कोरोना वायरस महामारी-
कोरोना वायरस बहुत ही सूक्ष्म आकार का किन्तु बहुत ही प्रभावी वायरस है। कोरोना वायरस हमारे सिर के एक बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है, लेकिन कोरोना के संक्रमण से पूरी दुनिया मे हाहाकार मचा हुआ है । यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया है।
कोरोना वायरस की व्यापकता-
कोरोना वायरस के दुष्परिणाम की भयावह का अंदजा इसी बात से लगाया जा सकता है विश्व के सुपरपॉवर शक्ति कहे जाने वाले अमेरिका इसके आतंक से बुरी तरह से कराह रहा है । पूरी दुनिया इस महामारी के चपेट में है । करोड़ो-करोड़ लोग इस रोग से संक्रमित हो चुकें है और लाखों लोग रोज संक्रमित हो रहे हैं । इस संक्रमण से पूरी दुनिया में अब तक लगभग 6 करोड़ संक्रमित हो चुके हैं और इस संक्रमण से 14 लाख से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई है । इसके बाद भी इस संक्रमण के रोकथाम की निकट भविष्य में संभावना कम ही दिख रही है । हालाकि कुछ देशें ने इसके टीके विकसित कर लिये हैं, कुछ देश इस कतार में हैं, बहुत जल्दी कई देशें का टीका आ जायेगा किन्तु इनके वितरण में समय लगेगा तब तक इसके प्रकोप से दुनिया को दो-चार हाथ करना ही होगा ।
कोरोना वायरस का साइडइफेक्ट लॉकडाउन-
लॉकडाउन अर्थात तालाबंदी। इस शब्द का प्रयोग मानव जाति के इतिहास में पहली बार देश के संदर्भ में हुआ जब पूरे देश में कोराना वायरस के रोकथाम के लिये लॉकडाउन लगाया गया । इसके तहत देश के सभी नागरिकों को अपने-अपने घरों में रहने की सलाह दी गई । जिसका सरकार की तरफ से कड़ाई से पालन भी करवाया गया । विश्व के कई देशों में लॉंकडाउन लगाया गया । इस समय किसी भी व्यक्ति को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी । सड़कें सुनी-सुनी गलियां सुनी थी । केवल और केवल मलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले अपनी सेवा दे रहे थे । शेष सभी अपने-अपने घरों के चारदीवारी के अंदर थे ।
कोरोना वायरस के कारण भारत में लॉंकडाउन-
जब कोरोना वायरस का प्रकोप पूरे विश्व के साथ भारत में भी देखा गया तो भारत में विवशता के चलते लॉकडाउन लगाया गया । 22 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री के आव्हान पर एक दिवसीय जनता कर्फ्यू रहा । इस दिन लोग स्वेच्छा से अपने घर में कैद रहे । इसके ठीक तीन दिन बाद 25 मार्च 2020 को पहले 21 दिनों के लिये लॉकडाउन लगया गया । यह लॉकडाउन 14 अप्रैल को समाप्त होना था किन्तु इसे 19 दिनों के लिये 3 मई तक के लिये बढ़ा दिया गया । इसे फिर 14 दिनों के लिये 17 मई तक बढ़ा दिया गया । एक बार फिर इसे 14 दिनों के लिये 31 मई तक बढ़ा दिया गया । इस प्रकार चार चरणों में कुल 68 दिनों के लिये भारत लॉकडाउन के गिरफ्त में रहा । इस समय पूरा देश कोराना वायरस से लड़ने के लिए अपने-अपने घरों में कैद हो गये।
लॉकडाउन का प्रभाव-
लॉकडाउन से पहले के समय की बात करें तो हर व्यक्ति के जीवन में केवल आपाधापी, व्यस्ता ही व्यस्ता था सभी केवल और केवल आय अर्जन करने में लगे हुये थे । लॉकडाउन का मनुष्य जीवन पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रभाव देखने को मिला । जहाॅ इस लॉंकडाउन से कोरानो संक्रमण के फैलाव को रोकन में मदद मिली वहीं पारिवारिक संबंध में मधुरता बढ़ाने का अवसर भी प्राप्त हुआ । लोग घर में कैद होकर कई रचनात्मकर कार्य में संलग्न हो गये । लॉंकडाउन का मुख्य उद्देश्य कोरोना वायरस के संक्रमण रोकना था । इस उद्देश्य की पूर्ति हुई भी बहुत लोगों को संक्रमण से बचाव हुआ कई लोगों की जान बचाई जा सकी । लॉकडाउन में सड़के सुनी होने के कारण सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली जन हानि से बचाव भी हुआ । इसके अनेक लाभ होने के बाद भी इससे नुकसान अधिक देखने को मिल रहा है ।
लॉकडाउन का साइडइफेक्ट-
लॉकडाउन से कोरोना वायरस के फैलाव में मदद मिली या नहीं यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता किन्तु यह लॉकडाउन लाखों लोगों से रोजी-रोटी छिन ली । लाखों लोगों का व्यपार चौपट हो गया । असंख्य लोगों रोजगार छिन गया । लॉकडाउन का साइडइफेक्ट हमें अभी कई-कई वर्षो तक देखने को मिल सकता है ।
मजदूरी छिनने से मजदूरों की भयावह स्थिति-
लॉकडाउन से जहॉं पूरी दुनिया थम चुकी थी, भारत के लोग भी घरों में कैद थे, कलकारखाने बंद पड़े थे ऐसे में प्रवासी मजदूरों को रोजी-रोटी के लाले पड़ गये उनके सामने भूखों मरने की समस्या आ खड़ी हुई इस स्थिति से उबरने के लिये ये मजदूर अपने घर लौटने को विवश होग गये । चूँकि लाफकडाउन के कारण यातायत के सारे साधन बंद थे इस स्थिति में हमारे देश में लाखों-करोड़ों मजदूर भूख-प्यास से बेहाल, पैरों में छाले लिए दिन-रात घर वापसी के लिए सैकड़ों मील लंबा दुरूह सफर पैदल ही तय करने को मजबूर थे । इसी बीच भयावह दृश्य उभर कर तब सामने आया जब औरंगाबाद में ट्रैक पर सोए मजदूरों के कटने की खबर ने दिल झकझोर कर रख दिया। उनके पास शहरों में काम नहीं रहा, देने को मकान का किराया नहीं रहा, खाने को रोटी नहीं, जाने को किराया नहीं । ऐसे में मजदूर घर वापसी नहीं करेगा तो क्या करेगा। सड़कों से जाते तो पुलिस रोकती, गांव से जाएं तो गांव वाले आपत्ति करते हैं। रेलवे ट्रैक से चलने को ये मजबूर ट्रेन से कट कर मर गये ।, कंधों पर भूख-प्यास से बिलखते बच्चे, भूख से लड़खड़ाती टांगें, पांवों में छाले और बहुत से तो नंगे पैर ही पत्थर, कंकड़, कांटों भरी राह पर चलने को मजबूर । चलते-चलते इंतजार था तो केवल राह किनारे इन मजदूरों के लिए खाना खिलाने वाले कुछ सज्जन लोगों का। कुछ खाते और कुछ बचा कर साथ रख लेते, क्या मालूम आगे कुछ मिले न मिले। सभी मजदूरों की दुख भरी कहानी एक सी थी। कुछ के भूख-प्यास व थकान से मरने के समाचार भी आये। घर वापसी के लिए जो ट्रेनें व बसें चलीं वो भी पर्याप्त नहीं थी । लॅकडाउन के समय इन मजदूरों के पलायन का भयावह मंजर था ।
अन्य रोगों से ग्रस्त लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा-
कोरोना वायरस के चलते देश के छोटे-बड़े अधिकांश अस्पताल को केवल कोरोना संक्रमित लोगों के उपचार में झोंक दिय गये । जो कुछ बचे तो वे अन्य संक्रमण के भय से अन्य रोगियों के उपचार के लिये कतराने लगे । इससे समान्य मरीजों के सामने उपचार कराने की विकट परिस्थिति खड़ी हो गई । नियमित उपचार कराने वाले लोगों का उपचार भी बाधित हो गया । इस स्थिति में इन मरीजों को शारीरिक कष्ट के साथ-साथ मानसीक कष्ट भी झेनले के विवश हुये । बहुत लोग डिप्रेशन के शिकार हो गये । इस विवशता के चलते कई लोगों को जान से हाथ भी धोना पड़ा जिसका कोई सरकारी आंकड़ा है नहीं है किन्तु यह कटु सत्य है ।
अनेक लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा-
कोरोना वायरस के रोकथाम के लिये लगाये गये लॉकडाउन ने अनेक लोगों से नौकरी छिन ली । इसका कुप्रभाव निजि क्षेत्र में काम कर रहें प्राय: सभी लोगो पर पड़ा । लगभग सभी निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को आधा वेतन ही भुगतान किया जा सका कई लोगों को कर्मचारी कम करने, छटनी करने के नाम पर नौकरी से निकाल दिया गया । इस विकट परिस्थिति का प्रभाव आज लॉकडाउन के 6 माह बाद भी लोग नौकरी के लिये दर-दर भटक रहे हैं । पूरा वेतन पाने तरस रहे हैं ।
फुटकर, लघु व्यवसाय का बंद होना-
लॉकडाउन का इतना कुप्रभाव हुआ कि गोमटी-ठेले में फुटपाथ पर व्यवसाय करने वाले व्यवसायी भूखों मरने पर विवश हो गये । कई लोगों का व्यवसाय दुबारा खड़ा नहीं हो पाया । ऐसे लोग आज भी संघर्ष कर रहे हैं ।
स्कूल बंद होने से बच्चों में नैतिक पतन-
कहा जाता है ‘खाली दिमाग शैतान का’ । कोरोना वायरस के कारण स्कूल आज 8 माह बाद भी नहीं खुल पाये । ऐसे में बच्चें खाली हैं । ऑनलाइन पढ़ाई हाेने के कारण प्राय: बच्चों के हाथ में एनराइड़ मोबाइल हैं । बच्चें ऑनलाइन पढ़ रहें हैं सत्य है किन्तु कटु सत्य है कि जहॉं छोटे बच्चे विडियो गेम, कार्टुन देख रहे हैं वहीं बड़ बच्चें में 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे मोबाइल से अनैतिक बाते ग्रहण कर रहें हैं । मैं निजी अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि अधिकांश बच्चें मोबाइल का दुरूपयोग कर रहे हैं । स्कूल के लॉकडाउन होने और ऑनलाइन पढ़ाई के साइडइफेक्ट किशोर-किशोरियों पर अधिक हो रहा है । बहुत अभिभावक अपने बच्चों में वैचारिक नकारात्मक परिवर्तन अनुभव कर रहे हैं ।
देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान-
लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हुआ है। कारखानों को बंद रखने के कारण भारी नुकसान वहन करना पड़ रहा है, वहीं व्यापार भी पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। लोगों की नौकरियां चली गई हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। लॉकडाउन की वजह से देश आर्थिक रूप से कमजोर पड़ रहा है।
सामाजिक दूरी का पालने करें जिससे लॉंकडाउन फिर से लगाने की जरूरत न पड़े-
कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए इस संक्रमण से मुक्ति के लिए भारत में लॉकडाउन की घोषणा की थी, क्योंकि सामाजिक दूरी ही कोरोना को रोकने के लिए कारगर उपाय है। सामाजिक दूरी बनाये रखने के लिये लोगों में मानसिक परिवर्तन आवश्यक है । जब तक हम मानसिक रूप से सामाजिक दूरी बनाये रखने के लिये तैयार नहीं होंगे इसका पालन करना संभव नहीं है । लॉकडाउनके दुष्परिणाम से बचने के लिये यह आवश्यक है कि हम सामाजिक दूरी का पालन करें । लॉकडाउन का दुष्परिणाम हम भुगत रहे हैं । इसलिये हमें सामाजिक दूरी का पालन करना ही होगा जिससे कभी भी लॉकडाउन लगाने की जरूरत न पड़े ।
-रमेश चौहान
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बहुत अच्छा लगा भैया जी
धन्यवाद नारायण भाई