
छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोकधारा और साहित्यिक परंपरा में अनेक ऐसे रचनाकार हुए हैं जिन्होंने न केवल साहित्य को नई दिशा दी बल्कि समाज को जागरूक और प्रगतिशील बनाने में भी अमूल्य योगदान दिया। इन्हीं में से एक हैं डिहुर राम निर्वाण ‘प्रतप्त’, जिनका जन्म 27 नवम्बर 1935 ई. को रायपुर जिले के (वर्तमान में धमतरी जिला) भेण्डरी (राजिम) गांव में हुआ। आपके पिता श्री नन्दलाल सिंह निषाद और माता स्व. चमारिन बाई निषाद थे। साधारण कृषक परिवार में जन्म लेने के बावजूद आपने शिक्षा को जीवन का आधार बनाया और बी.ए., बी.टी.आई, साहित्य विशारद जैसी उपाधियां अर्जित की।
श्री डिहुर राम निर्वाण ‘प्रतप्त’ सरल, सादगीपूर्ण और कर्मनिष्ठ व्यक्तित्व के धनी रहे हैं। एक शिक्षक और शाला निरीक्षक के रूप में उन्होंने प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया। साहित्य, अध्यात्म और समाज सेवा इनके जीवन के प्रमुख स्तंभ रहे। साहित्य को उन्होंने साधना का माध्यम माना और “जाति, समाज, राष्ट्र एवं विश्व की सेवा अंतिम सांस तक” को अपना संकल्प बनाया।
श्री ‘प्रतप्त’ की साहित्यिक यात्रा अत्यंत व्यापक और विविधतापूर्ण रही है। आपने हिन्दी एवं छत्तीसगढ़ी दोनों भाषाओं में गीत, गजल, कविता, मुक्तक, प्रहसन, कहानी, सामयिक लेख आदि विधाओं में लेखन किया।
- समाज यात्रा निषाद (केंवट) समाज – सामाजिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण ग्रंथ।
- भावनामृत (भक्ति पद) – आध्यात्मिक चेतना का काव्य रूप।
- मइके के गोठ – छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह।
- पंचनंदा – ग़ज़ल संग्रह।
- हृदय की पुतली – बाल साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान।
- सुरभित सुमन ललाट – देशभक्ति काव्य।
- जीवन क्षितिज की ओर – आत्मकथ्यात्मक लघु उपन्यास।
- दोहा दांड़ बनथे कांड – छत्तीसगढ़ी दोहावली।
- राम सप्ताह – छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति पर आधारित।
- सुरता म राम – काव्य एवं कैसेट सहित।
- इसके अलावा अनेक अप्रकाशित कृतियां – बहुमंजरी काव्य संग्रह, कहानी संग्रह, छत्तीसगढ़ी प्रहसन, लघुकथा संग्रह एवं मुक्तक संकलन उनकी रचनात्मक सक्रियता के प्रमाण हैं।
आपकी रचनाएं देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय काव्य संकलनों में प्रकाशित होती रही और अब तक 110 से अधिक काव्य संकलनों में शामिल हो चुकी हैं।
श्री ‘प्रतप्त’ को साहित्यिक योगदान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनेक सम्मान प्राप्त हुए। इनमें प्रमुख हैं –
- साहित्य सारस्वत सम्मान,
- साहित्य रत्न सम्मान,
- काव्य महारथी सम्मानोपाधि,
- साहित्य गौरव सम्मान,
- राष्ट्र सचेतक सम्मानोपाधि,
- कवि मार्तण्ड उपाधि,
- साहित्य श्री सम्मान,
- साहित्य शिरोमणि सम्मान,
- साहित्य भारती सम्मान,
- काव्य वैभव श्री सम्मान,
- साहित्य सूजन सम्मान,
- साहित्य भूषण सम्मान इत्यादि।
- देश के अनेक राज्यों – मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान आदि में आयोजित साहित्यिक आयोजनों में उन्हें अलंकरण और प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुए।
स्व. श्री डिहुर राम निर्वाण ‘प्रतप्त’ ने छत्तीसगढ़ की माटी, संस्कृति, समाज और अध्यात्म को अपने साहित्य में गहराई से उतारा। उनकी कविताओं में छत्तीसगढ़ी जनजीवन की मिट्टी की सोंधी खुशबू, सामाजिक सरोकार, धार्मिक आस्था और मानवीय मूल्यों की झलक मिलती है। बाल साहित्य के माध्यम से उन्होंने नई पीढ़ी में संस्कार और देशप्रेम जगाने का प्रयास किया। उनकी रचनाएं केवल साहित्य तक सीमित नहीं रही बल्कि सामाजिक चेतना और समुदाय विशेष के आत्मगौरव को भी स्वर प्रदान करती है। निषाद समाज पर लिखी कृतियां इसका उदाहरण है।
श्री डिहुर राम निर्वाण ‘प्रतप्त’ छत्तीसगढ़ साहित्य जगत के ऐसे रत्न हैं जिन्होंने शिक्षण, समाज सेवा और साहित्य—तीनों क्षेत्रों में अपने कार्य से अमिट छाप छोड़ी। उनकी रचनात्मकता ने छत्तीसगढ़ी भाषा-साहित्य को समृद्ध किया और हिन्दी साहित्य को भी मूल्यवान योगदान दिया। उनकी सादगी, कर्मनिष्ठा और साहित्य साधना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। वे न केवल छत्तीसगढ़ के गौरव हैं बल्कि राष्ट्रीय साहित्य धारा के भी महत्वपूर्ण हस्ताक्षर माने जाते हैं।
– डुमन लाल ध्रुव
मुजगहन, धमतरी (छ.ग.)
पिन – 493773
मोबाइल – 9424210208





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